New Delhi/Ranchi: राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया है. यशवंत सिन्हा के नामांकन कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिका अर्जुन खडगे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी और नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारुख अब्दुल्ला समेत कई विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहे. सबसे बड़ी बात यह रही कि झारखंड की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का कोई प्रतिनिधि नामाकंन कार्यक्रम में उपस्थित नहीं था. झामुमो ने नामांकन कार्यक्रम से पूरी तरह दूरी बनाये रखा. दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में झामुमो के समर्थन को लेकर अभी भी संशय बरकरार है. दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद ही झामुमो अपना पत्ता खोलेगा कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी एनडीए प्रत्य़ाशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट करेगी या विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में.
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चर्चा यह भी है कि झामुमो के कई विधायक झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की इच्छा रखते हैं. जेएमएम विधायकों का मानना है कि ऐसा करने पर आदिवासी समाज पर राजनीति करने वाली झामुमो का वोट बैंक और भी मजबूत होगा. पार्टी विधायकों का मानना है कि संथाली समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू के समर्थन से पार्टी संथाल में तो मजबूत होगी ही,साथ ही मयूरभंज की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू के समर्थन से कोल्हान क्षेत्र में भी पार्टी का जनाधार बढ़ेगा. हालांकि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिये जाने को लेकर झामुमो अभी भी पशोपेश में है.
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हेमंत सोरेन केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो गये है. मुख्यमंत्री संभवतः आज ही अमित शाह से मिलेंगे. मुलाकात के दौरान आदिवासी सरना धर्म कोड और केंद्र सरकार के सरकारी उपक्रमों पर झारखंड के 1.32 लाख करोड़ रुपये बकाया पर चर्चा हो सकती है.
इन सब के बीच एक बात यह भी तय है कि झामुमो अगर द्रौपदी मुर्मू को समर्थन नहीं करता है, तो भी उनके जीत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वर्तमान में जो राजनीतिक पार्टियों की स्थिति है, उसके मुताबिक राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को जीत के लिए 5.40 लाख वोट चाहिए. एनडीए के सांसदों और विधायक के पास कुल 5.63 लाख वोट बैंक है.
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ऐसे में अगर झामुमो के वोट देने या नहीं देने का द्रौपदी मुर्मू की जीत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन फिर भी जेएमएम विधायक यह जरूर चाहेंगे कि द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट कर पार्टी आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाये.