Jamshedpur (Ashok kumar) : वर्ष 2000 के दशक में परसुडीह थाना क्षेत्र के लोको कॉलोनी का रहने वाला जोगा राव, बर्मामाइंस के कैरेज कॉलोनी का रहने वाला दुधई यादव और बागबेड़ा के सोमाय झोपड़ी का रहने वाला भी भीम माहली चर्चा में था. दोनों का अपना अलग-अलग गैंग हुआ करता था. साऊथ का रहने वाला जोगा राव को जैसे पुलिस नहीं पहचानती थी उसी तरह से बागबेड़ा के भीम माहली को भी पुलिस नहीं पहचानती थी. इसका लाभ दोनों खूब उठाते थे. भीम माहली बंगाल के अपराधियों के संपर्क में था और घटना को अंजाम देने के बाद दूसरे राज्य में जाकर अपना डेरा डाल लेता था. ठीक उसी तरह से जोगा राव भी रेलवे में लेवी वसूलने के बाद बचने के लिये साउथ के लिये कूच कर जाता था. पुलिस दोनों को ढूंढते रह जाती थी. दुधई यादव का नाम रंगदारी मांगने में सामने आता था. भीम माहली की मौत 2008 में बीमारी से हो गयी थी. वहीं जोगा राव अभी जीवित है और पुराने धंधे छोड़ चुका है. दुधई यादव शहर में ही पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया था.
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पेशी के दौरान कोर्ट से हो गया था फरार
परसुडीह के रेलवे लोको कॉलोनी का रहने वाला जोगा राव एक आपराधिक मामले में 1993 में कोर्ट में पेशी के दौरान ही फरार हो गया था. तब से ही पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन वह 2005 में पुलिस की गिरफ्त में आया था. तब परसुडीह में अशोक कुमार थानेदार थे. सालगाझड़ी रेलवे फाटक के पास पुलिस टीम जांच अभियान चला रही थी. इस बीच ही पुलिस ने उसे जांच में पकड़ा था. इसके बाद पुलिस ने उठे जमीन पर बैठाकर रखा था. उसने लघुशंका करने के बहाने भागने का प्रयास किया था. इसके बाद आशंका होने पर पुलिस उसे थाने पर लेकर गयी थी. थाने में ही उसकी पहचान जोगा राव के रूप में हुई थी. जोगा राव की बात करें तो वह कभी आनंद राव का चेला हुआ करता था.
ये मारे गये थे पुलिस मुठभेड़ में
डॉ. अजय कुमार के इस्तीफा देने के बाद फिर से जमशेदपुर शहर में अपराधी पनपने लगे थे. एसपी अनिल पालटा, राकेश मिश्रा, अमिताभ चौधरी ने भी उसी ढर्रे पर काम किया और मुहिम को जारी रखने का काम किया. राकेश मिश्रा ने हरि सावा हत्याकांड में शामिल अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. एसपी डॉ. अरूण उरांव के कार्यकाल में अखिलेश सिंह के चार गुर्गों को दोमुहानी में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया था. अरूण उरांव के बाद संजय आनंद लाठकर को नया एसपी बनाया गया था. तब बड़े व्यापारी अजय सिंह का अपहरण हुआ था. इस बीच कुलराज सिंह की हत्या की गयी थी. एसपी आशीष बत्रा के कार्यकाल में दुधई यादव, नसीम, सुधीर और 2007 में बड़ा निजाम को मुठभेड़ में मार गिराया था. इसके बाद ही आशीष बत्रा का यहां से ट्रांसफर कर दिया गया था. नवीन कुमार सिंह को नया एसपी बनाया गया था. परसुडीह और सुंदरनगर का आतंक नेपाल लोहार और अखिलेश का गुर्गा रज्जे सिदगोड़ा में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था.
पनपने लगा था परमजीत-अखिलेश गैंग
2000 के बाद परमजीत सिंह का गैंग शहर में पनपने लगा था. शहर में छिटपुट घटनायें होती रहती थी. यह गैंग मानगो के लोगों को साथ लेकर खड़ा हुआ था. परमजीत गैंग तब अपने अस्तित्व में आया था जब गरमनाला गैंग का सफाया हो गया था. परमजीत का अपना गैंग तो था ही साथ में तीन-चार बड़ा गैंग भी साथ था. इसमें गरमनाला गैंग का शूटर सूर्या पटेल भी शामिल था. इस गैंग की दुश्मनी अखिलेश सिंह गिरोह से थी. अखिलेश के गैंग में विक्रम शर्मा के अलावा उसका छोटा भाई अमलेश सिंह, अन्नू, सोनू, कन्हैया सिंह, सुधीर दुबे, हरीश सिंह, गौतम सिंह, करण सिंह, लालचंद सिंह, संतोष गुप्ता, बंटी जायसवाल, पंकज सिंह, करण सिंह, राजा स्वामी, टिंकू बनर्जी, मुन्ना सिंह, परेश पटेल, संतोष पांडेय आदि शामिल था.
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