Seraikela (Bhagya sagar singh) : सरायकेला जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में भी जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. इसका मुख्य कारण भूखंड खरीद प्लाटिंग कर खरीद-बिक्री करने के व्यवसाय में विगत कुछ वर्षों से जारी प्रतियोगिता को बताया जा रहा है. यह व्यवसाय काफी फल-फूल भी रहा है. साथ ही इस धंधे में कुछ अराजक तत्व भी अपनी करामत दिखाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. वहीं, क्षेत्र के गोचर व खास भूखंडों पर भी तेजी के साथ अतिक्रमण जारी है. जिसका खामियाजा क्षेत्र के पशुधन भुगत रहे हैं. पहले जहां पशु चरते थे, वैसे अनेक मैदानों में अब कंटीले तारों की घेराबंदी या चारदीवारी नजर आ रही है.
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खेती के समय पशुओं पर आती है शामत
खेतों में धान के पौधे निकल आने पर पशुओं को चारागाह नहीं मिलती. चरवाहे सड़कों पर पशुओं को लेकर घास की खोज में टहलाने लगते हैं. यह संकट पशुधन पर जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक रहती है. हालांकि, सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में इस क्षेत्र में एक ही फसल उत्पादन होती है. अन्यथा वर्ष भर पशुओं पर यह संकट बनी रहती.
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क्या कहते हैं ग्रामीण पशुपालक किसान
गांव के उम्रदराज पशुपालक किसानों की सुने तो पहले हर गांव में पशुओं के चरने के लिए पर्याप्त मैदान होती थी. सरकारी खास व गोचर के नाम भी कुछ भूखंड हुआ करते थे. अब ऐसे भूखंड सरकारी आंकड़ों में हैं या कुछ नियम बदल दिए गए हमलोग यह बात नहीं जानते. हमें सिर्फ इतना ही पता है कि खेती के समय जिन मैदानों में हमलोग पशु चराया करते थे, अब वे मैदान गायब होने लगे हैं. ऐसे में यह भी बताया जा रहा है कि अब ग्रामीण क्षेत्र में पशुधन भी कम होते जा रहे हैं.
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