Saraikela : सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में गुरुवार को प्रभु जगन्नाथ-बलभद्र ने भक्तों को वराह-नृसिंह रूप में दर्शन दिये. गुरुवार को अहले सुबह ही गुंडिचा मंदिर का मुख्य गेट भगवान के नए स्वरूप के दर्शन के लिए खोल दिया गया. सुबह से ही प्रभु जगन्नाथ-बलभद्र के वराह-नृसिंह अवतार के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के अलग-अलग वेशभूषा में रूप सज्जा यहां के रथ यात्रा की विशेषता है. सरायकेला की रथ यात्रा क्षेत्र की इकलौती रथ यात्रा जहां वेश (रुप) परंपरा निभाई जाती है. कहा जाता है कि सरायकेला के रथ यात्रा में आयोजित होने वाली वेश ही यहां की विशेषता है. इस वर्ष भी गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, अमित महापात्र, पार्थ सारथी दास, शुभम कर, मुकेश साहू, अनुभव (मानू) सत्पथी एवं विक्की सत्पथी द्वारा भगवान की वेश सज्जा की गई.
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सरायकेला रथ यात्रा में वर्ष 70 के दशक से जारी है वेश परंपरा
बताया जाता है कि सरायकेला रथ यात्रा में वेश परंपरा की शुरुआत 70 के दशक में शुरू हुई थी. गुरु प्रसन्न कुमार महापात्र, डोमन जेना, सुशांत महापात्र जैसे कलाकारों ने प्रभु का वेष सज्जा किया जाता था. वर्तमान में गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में स्थानीय कलाकारों द्वारा सरायकेला रथ यात्रा में वेश परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. गुंडिचा मंदिर (मौसी बाड़ी) का कपाट बंद कर मध्य रात्रि से वेष सज्जा प्रारंभ की जाती है. अहले सुबह गुंडिचा मंदिर का कपाट खुलते ही अवतार के स्वरूप में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के दर्शन कर भक्त पूजा अर्चना करते हैं.