Chaibasa (Ramendra Kumar Sinha) : पश्चिमी सिंहभूम जिला में आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के लिए पोषाहार बनाने के लिए गैस सिलेन्डर की व्यवस्था की गई थी. ताकि बच्चों का पोषाहार कम समय में बन कर तैयार हो जाए. पर सिलेंडर दोबारा रिफिल कैसे हो इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई. इसका नतीजा यह हुआ कि जब तक सिलेंडर में गैस रहा बच्चों का पोषाहार समय पर तैयार होता गया पर सिलेंडर खत्म होने के बाद रिफिल की व्यवस्था नहीं की गई. इसके कारण केन्द्रों में लकड़ी के चूल्हे पर पोषाहार बनाना पड़ रहा है. ज्यादातर केन्द्रों पर यहीं स्थिति देखने को मिल रहा है. इतना हीं नहीं लकड़ियों के खरीदारी करने की जिम्मेदारी सेविका पर ही है. पर पैसा कब तक विभाग से मिलेगा यह कहना मुश्किल है.
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सरकार ने सिलेंडर भराने के लिए कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया
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पश्चिमी सिंहभूम जिला में 2330 आंगनबाड़ी केन्द्र है. इन केन्द्रों में लगभग 85 हजार से अधिक बच्चे पढ़ने आते है. जहां न केवल उन्हें खाना दिया जाता है बल्कि उनकी कक्षाए भी संचालित होती है. जिले के अधिकांश केन्द्रों में गैस सिलेंडर के बजाय उनका खाना लकड़ी के चूल्हे पर बनता दिख जायेगा . ऐसा इस लिये की केन्द्रों में सिलेंडर के खत्म हो जाने के बाद रिफिल की व्यवस्था नहीं की गई. बड़ी बात यह भी है कि सरकार के द्वारा सिलेंडर भराने के लिए कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया गया है.
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सरकार से मांग करेंगे- संघ
झारखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष अनिता बिरूवा ने कहा कि गैस पर पोषाहार बनाना अच्छा है. पर इसकी रिफिलिंग कैसे हो इस पर कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया गया है. अधिकारी से पूछने पर कोई जबाब नहीं मिलता है. अब विभाग से मिल कर इसकी जानकारी ली जाएगी की एसी स्थिति में सेविकाएं गैस कैसे भराएं.
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