NewDelhi : सिर्फ जिंदा रहना ही जिंदगी का उदेश्य नहीं होना चाहिए. मनुष्य के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका निर्वहन उन्हें समय-समय पर करते रहना चाहिए. सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, यह काम तो जानवर भी कर सकते हैं. शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, यह जंगल का नियम है. वहीं शक्तिशाली जब दूसरों की रक्षा करने लगे, तो यह मनुष्य की निशानी है. यह बात संघ प्रमुख मोहन भागवत ने श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह में कही. उन्होंने कई मुद्दों पर विस्तार से बात की. धर्म परिवर्तन और जनसंख्या पर भी अपनी बात रखी.
मनुष्य के पास अगर बुद्धि नहीं होती तो वो पृथ्वी पर सबसे कमजोर प्राणी होता। लेकिन कभी संज्ञानात्मक आवेग मनुष्य के जीवन में आया जिसने उसे सर्वश्रेष्ट बनाया मगर केवल खाना-पीना और प्रजा बढ़ाना, ये काम तो पशु भी करते हैं: RSS प्रमुख मोहन भागवत, कर्नाटक (13.07) pic.twitter.com/JbKARelWfZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 13, 2022
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जल्द ही भारत, चीन को पछाड़ देगा
बता दें कि वर्तमान में देश में जनसंख्या को लेकर बहस जारी है. कुछ दिन पूर्व यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जल्द ही भारत, चीन को पछाड़ देगा. इसी बीच मोहन भागवत का यह बयान चर्चा में है. उन्होंने सीध बढ़ती जनसंख्या पर कुछ नहीं कहते हुए जानवर और इंसान का फर्क बताते हुए बड़ा संदेश दिया.
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कुछ सालों में देश ने काफी प्रगति की है
जान लें कि समारोह में संघ प्रमुख ने भारत के विकास पर भी काफी कुछ कहा. उनके अनुसार पिछले कुछ सालों में देश ने काफी प्रगति की है. काफी विकास हुआ है. कहा कि इतिहास की बातों से सीखते हुए और भविष्य के विचारों को समझते हुए भारत ने पिछले कुछ सालों में अपना ठीक विकास किया है. अगर कोई 10-12 साल पहले ऐसा कहता, तो कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता.
संघ प्रमुख के अनुसार जो विकास अभी देखने को मिल रहा है, उसकी नींव 1857 में पड़ गयी थी. बाद में विवेकानंद ने अपने सिद्धांतों से उसे आगे बढ़ाया. लेकिन भागवत मानते हैं कि विज्ञान और बाहरी दुनिया के अध्ययन में संतुलन का अभाव साफ दिख रहा है.
उनके अनुसार अगर आपकी भाषा अलग है तो विवाद है. अगर आपका धर्म अलग है तो विवाद है. आपका देश दूसरा है तो भी विवाद है. पर्यावरण और विकास के बीच तो हमेशा से ही विवाद रहा है. ऐसे में पिछले 1000 सालों में कुछ इसी तरह से दुनिया का विकास होता रहा है.