Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के छोटानागरा पंचायत अंतर्गत दुबिल-धर्मरगुटु गांव (छोटानागरा) के बीच स्थित वर्षों पुरानी चेकडैम सह कैनाल पिछले 25 वर्षों से क्षतिग्रस्त है. चेकडैम के क्षतिग्रस्त होने के कारण छोटानागरा थाना क्षेत्र के धर्मरगुटु, दुबिल, बढुईया, छोटानागरा आदि गांवों की हजारों एकड़ भूमि पर सिंचाई पूर्ण रूप से प्रभावित है. वहीं, इससे किसानों के सामने आर्थिक तंगी आ गई है.
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चेकडैम के क्षतिग्रस्त होने पर किसान वर्षा के पानी पर निर्भर
वर्षों पूर्व वन विभाग द्वारा दुबिल गांव के बगल में पहाड़ी पर प्राकृतिक जल स्रोत के नीचे इस चेकडैम का निर्माण ग्रामीणों के कृषि समेत बहुउद्देशीय कार्य हेतु कराया गया था. साथ ही इस चेकडैम में कैनाल बनाकर व एक पतली कच्ची नहर निकाल पानी को विभिन्न गांव से छोटानागरा तक पहुंचाया जाता था. इसी चेकडैम व नहर से छोटानागरा व आसपास के गांवों की हजारों एकड़ भूमि पर सालों भर खेती होती थी. सभी खेत हरे-भरे रहते थे व किसान भी खुशहाल थे. लेकिन उक्त चेकडैम के क्षतिग्रस्त होते ही मानों किसानों का सब कुछ लूट गया. आज किसान वर्षा के पानी पर निर्भर हैं और खेती इनके लिए घाटे का सौदा बन कर रह गयी है.
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चेकडैम के पुनः निर्माण के लिए तमाम जन प्रतिनिधियों से लगाई गई गुहार, नहीं मिली सफलता
सारंडा पिढ़ के मानकी लागुडा देवगम, छोटानागरा के मुंडा बिनोद बारिक, उप मुखिया रमेश हंसदा, सुशेन गोप, मोहन हंसदा आदि ने बताया की उक्त कैनाल व चेकडैम हम ग्रामीणों की लाइफ लाइन थी. इसके पुनः निर्माण हेतु तमाम जन प्रतिनिधियों, सरकारी दफ्तरों, पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश, तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास आदि का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन हमें सफलता नहीं मिली. उन्होंने बताया कि इसके निर्माण से न सिर्फ सिंचाई बल्कि पेयजल समस्या का भी समाधान हो जायेगा. साथ ही ग्रामीणों को रोजी-रोटी के लिये दर-दर भटकना नही पडे़गा.
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डीएमएफटी फंड से बनाया जा सकता है चैकडैम
उन्होंने बताया कि पहले से सब ढांचा है, बस जरूरत है ईमानदारी पूर्वक इस योजना को ठीक कर हजारों किसानों के चेहरे पर खुशियां वापस लाने की. उक्त चेक डैम को मरम्मत करने व लगभग चार किलोमीटर लंबी सिंचाई नाला अथवा पतली नहर में भर आई मिट्टी को निकाल कर साफ करने और इसे पक्की नहर में परिवर्तित करने में लाखों रुपये खर्च आयेंगे. इसे डीएमएफटी फंड से बनाया जा सकता है. साथ ही छोटानागरा पंचायत की ग्रामीण सरकार इस समस्या का समाधान करने वाली किसी भी एजेंसी अथवा संस्था को पूर्ण सहयोग देने को तैयार है.
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