Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) के पुराना बाजार स्थित स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर बाबू की दुकान को भले ही कोयलांचल वासी भूल गए हों, लेकिन आजादी की लड़ाई में इनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने ठाकुर बाबू को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. उन्हें पहले धनबाद जेल में, इसके बाद हजारीबाग, फिर पटना जेल में रखा गया. वर्ष 1942 में उन्हें सिंदरी के रामरक्षा सिंह और रामवृक्ष बेनीपुरी के साथ काला पानी की सजा दी गई थी. बाद में उनकी कम उम्र को देखते हुए गवर्नर जनरल ने सजा माफ कर दी थी. उस समय नगरपालिका के चेयरमैन रहे बिहारीलाल गुटगुटिया ने ठाकुर बाबू को पुराना बाजार में एक दुकान अलॉट करवाया था. बाद में इसी दुकान से उन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियां शुरू कीं और सुर्खियों में आए. नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी इस दुकान में आए थे.
क्रांतिकारी गतिविधियों से बचपन से था नाता
जोड़ा फाटक रोड स्थित पाटलिपुत्र नर्सिंग होम में बतौर फिजीशियन कार्यरत उनके पुत्र डॉक्टर सतीश चंद्र बताते हैं कि पिता जी जब स्कूल में पढ़ते थे, तभी से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे. पुराना रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरने वाले क्रांतिकारी पुराना बाजार में उनके दादाजी महादेव साव की तंबाकू दुकान (वर्तमान में लुंगी हाउस) पर आया करते थे. वहां से उन्हें भूली के आम बागान ठिकाने पर ले जाते थे, जहां सभी मिलकर अपनी योजनाएं बनाते थे.
सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी चलने का दिया था सुझाव
ठाकुर बाबू के पुराना बाजार स्थित आवास एक हिस्से में एक होटल था कॉस्मोपॉलिटन, जिसे बंगाली दादा चलाते थे. बंगाली दादा ठाकुर बाबू की गतिविधियों से परिचित थे. यही वजह रही कि कभी कभार होटल में भी कुछ देर के लिए क्रांतिकारी रुकते थे. एक दिन शाम करीब छह बजे कतरास से आकर एक काले रंग की बेबी ऑस्टिन कार होटल के पास रुकी, जिससे एक एक युवक उतरा. वह और कोई नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे. बंगाली दादा ने ठाकुर बाबू से उनका परिचय कराया. नेताजी उनके पुराना बाजार स्थित दुकान पर भी गए और उनके उनके कार्यों से प्रभावित होकर उन्हें अपने साथ आजाद हिंद फौज में शामिल होने के लिए जर्मनी चलने का ऑफर दिया. लेकिन बूढ़े माता-पिता की विवशता देख ठाकुर बाबू नेताजी के साथ नहीं जा सके. इस पर नेताजी ने उन्हें धनबाद में ही रहकर क्रांतिकारी गतिविधियों में सहयोग का तरीका बताया और लौट गए. उन्हें देहाती कपड़ों में बैलगाड़ी पर बैठाकर गोमो रवाना किया गया.
भारत सरकार ने ताम्रपत्र से किया था सम्मानित
स्वतंत्रता आंदोलन में ठाकुर बाबू की भूमिका से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया था, लेकिन किसी कारणवश् वह नहीं जा सके. तब भारत सरकार की ओर से भेजा गया ताम्रपत्र तत्कालीन उपायुक्त केबी सक्शेना ने उन्हें देकर सम्मानित किया था. ठाकुर बाबू लंबे समय तक डीएवी स्कूल पुराना बाजार के उपाध्यक्ष और 35 वर्षों तक पुराना बाजार चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे.
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