Ranchi: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में मंगलवार को डॉ रामदयाल मुण्डा की 83वीं जयंती मनायी गयी. विभाग के प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने रामदयाल मुण्डा के तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की. नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा जैसे महान व्यक्ति का सानिध्य मिलना सौभाग्य की बात है. झारखंड की जो परिकल्पना उन्होंने की थी आज उनकी वह परिकल्पना साकार रूप ले रही है. डॉ मुण्डा की परिकल्पना थी कि झारखंड के प्रत्येक शिक्षण संस्थान में एक अखड़ा हो, जिससे यहाँ के युवा पीढ़ी का अपनी संस्कृति से जुड़ाव हो. उन्होंने कहा कि डॉ मुंडा ने झारखंड में सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक क्रांति का बिगुल फूंका था. वे किसी जाति, धर्म, समुदाय के बारे में नहीं बल्कि पूरे झारखंड की कल्याण की बात करते थे.
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‘डॉ. रामदयाल मुंडा भेदभाव नहीं करते थे’
प्राध्यापक डॉ रामकिशोर भगत ने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा बगैर किसी भेदभाव के हर वर्ग के व्यक्ति से सहज रूप से उपलब्ध होते थे. उन्होंने झारखंड में झारखंडियत को कायम किया. अपनी बोली, अपनी संस्कृति के प्रति हमेशा सजग रहे. उन्होंने पूरे झारखंड को एक सूत्र में बांधने का काम किया. समन्वय की संस्कृति को प्रगाढ़ किया. क्योंकि संस्कृति हमें एक दूसरे से जोड़ती हैस इस बात को डॉ मुण्डा ने बताया. एक छात्र और ड्राइवर के रूप में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा विराट व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे. छात्रों को अपने बच्चों से भी अधिक स्नेह, दुलार करते थे.
”जे नाची से बांची” का मूलमंत्र दिया
मुण्डारी विभाग के विभागाध्यक्ष नलय राय ने कहा कि डॉ मुण्डा सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक पूरा संस्थान थे. ”जे नाची से बांची” का मूलमंत्र देने वाले ऐसे महामानव की जीवन से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा ने पूरे दुनिया में आदिवासियों की पहचान दिलाने का काम किया. पूरी दुनिया के आदिवासियों को एक करने, जोड़ने का भी काम किया. पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा ने झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों को एक सूत्र में बांधने का काम किया. वहीं प्राध्यापक मनय मुण्डा ने पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा द्वारा रचित रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनकी रचनाओं ने आदिवासी और मूलवासियों के बीच जागरूकता फैलाया. वे हमेशा हम सबों के लिए एक प्रेरणा के स्रोत के रूप में सदा अमर रहेंगे.
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झारखंड को एकसूत्र में बांधा
प्राध्यापक तारकेश्वर सिंह मुण्डा ने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा महान व्यक्तित्व के धनी थे. पूरे झारखंड के लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम किया. वे हम युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं. इस मौके पर विभाग के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे. इस कार्यक्रम में प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, डॉ दमयन्ती सिंकू, दिनेश कुमार दिनमणी, जयप्रकाश उराँव, रमाकांत बीरेन्द्र उराँव, डॉ किरण कुल्लू, अनुराधा मुंडू, प्रेम बास्के, राजकुमार मुर्मू, शकुन्तला बेसरा, रवि कुमार, मानिक कुमार, प्रवीण कुमार सिंह, पप्पू बांडों और धरमा मुण्डा उपस्थित रहे.