Chandil (Dilip Kumar) : सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना चांडिल बांध के विस्थापितों के बीच डैम में जल भंडारण को लेकर फिर से आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. विस्थापित मुक्ति वाहिनी की ईचागढ़ के घुनिया टोला में हुई बैठक में आंदोलन को लेकर चर्चा किया गया. बैठक में चांडिल डैम का पानी बढ़ा कर डुब क्षेत्र के गांवों को जलमग्न करने पर विभाग के खिलाफ आक्रोश देखा गया. विस्थापितों का कहना था कि पहले मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा सभी विस्थापित परिवारों को दें, फिर गांव को जलमग्न करें. इसके लिए विभाग को गांव-गांव में शिविर लगाकर विस्थापित परिवारों को बकाया मुआवजा राशि का वितरण करना होगा. एक-एक गांव में मुआवजा राशि का वितरण और पुनर्वास की सुविधा पूरा होते ही गांव को खाली करना होगा. इसमें विस्थापित संगठनों का भी सहयोग रहेगा. बगैर मुआवजा व पुनर्वास सुविधा के गांव को डुबाना न्यायसंगत नहीं है.
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एकरारनामा के मुताबिक 177 मीटर तक जल भंडारण करे विभाग
बैठक में विमुवा नेता अंबिका यादव ने कहा कि विस्थापित मुक्ति वाहिनी के एक आंदोलन के दौरान विभाग ने एकरारनामा किया था. एकरारनामा के तहत विभाग ने कहा था कि चांडिल डैम के विस्थापितों का बगैर संपूर्ण पुनर्वास किए डैम में 177 मीटर से अधिक जल भंडारण नहीं किया जाएगा. अब ऐसे में चांडिल डैम का जलस्तर 183.70 मीटर तक पहुंचाना एकरारनामा का उल्लंघन है. बैठक में उपस्थित विस्थापितों ने जल संसाधन विभाग से एकरारनामा के अनुसार चांडिल डैम में 177 मीटर तक जल भंडारण करने की मांग की है. वहीं, अंबिका यादव ने कहा कि 28 फरवरी को जल भंडारण के मसले पर विमुवा ने पुनर्वास कार्यालय के समक्ष धरना दिया था. उस वक्त पदाधिकारियों ने डैम में जल भंडारण को लेकर विचार करने की बात कही थी. बैठक में मनोहर कैवर्त, डोमन कैवर्त, सुभाष कैवर्त, सुभाष कैवर्त, गणपति कैवर्त समेत बड़ी संख्या में विस्थापित मौजूद थे.
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लंबे अंतराल के बाद सक्रिय हुआ विमुवा
विदित हो कि चांडिल डैम के विस्थापितों के लिए बना पहला संगठन विस्थापित मुक्ति वाहिनी लंबे अंतराल के बाद विस्थापितों के मुद्दे पर सक्रिय दिखा है. विमुवा धीरे-धीरे विस्थापितों के अहम मुद्दों से दूर होता गया और डैम में मत्स्य पालन, नौका विहार आदि रोजगार परख मुद्दों पर अधिक सक्रिय रहा. विमुवा का कहना है कि विस्थापितों को रोजगार कैसे मिले, उनका बिखराव कैसे रोका जाए यह भी अहम है. विस्थापितों के मूल मुद्दे से दूर होने के कारण विमुवा कमजोर होता गया और विस्थापितों का नया-नया संगठन बनता गया. रोजगार के मसले पर भी गिने-चुने विस्थापित नेताओं का कब्जा रहने के कारण उसमें भी बिखराव होता गया. अब विस्थापितों के कई निबंधित समिति द्वारा डैम में मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है. नौका विहार के संचालन को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. चांडिल डैम में नौका विहार के संचालन को लेकर समिति अधिकृत नहीं है.
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