Jamshedpur (Ashok Kumar) : पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कदमा आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि झारखंड और बृहद झारखंड क्षेत्र में आदिवासी अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी आज भयंकर संकट में खड़ा है. अबतक उसके प्रकृति पूजा धर्म-सरना धर्म को मान्यता नहीं मिलने, झारखंड में संताली भाषा को प्रथम राजभाषा नहीं बनने, सीएनटी/ एसपीटी कानूनों का घोर उल्लंघन जारी रहने, आसाम-अंडमान के झारखंडी आदिवासी को एसटी का दर्जा नहीं मिलने, शेड्यूल एरिया और टीएसी का अनुपालन नहीं होने, झारखंडी डोमिसाइल नहीं बनने, आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राइवल सेल्फ रूल सिस्टम में जनतंत्र और संविधान लागू नहीं होने और विस्थापन पलायन आदि का नहीं रुकना इसका भयंकर प्रमाण है. प्रेसवार्ता में सालखन मुर्मू के अलावा सुमित्रा मुर्मू व अन्य भी मौजूद थे.
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आदिवासियों को दुर्दशा के लिये झामुमो जिम्मेवार
सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों की दुर्दशा के लिए जेएमएम सर्वाधिक दोषी है और उसके साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़े हुए माझी परगना महाल, असेका जैसे कुछ नसमझ सामाजिक संगठन है. इन सब का कोई आदिवासी एजेंडा नहीं है. केवल वोट और नोट (भ्रष्टाचार) की राजनीति करते हैं. इसलिए पांच बार मुख्यमंत्री और हमेशा विरोधी दल के नेता बनने के बावजूद जेएमएम ने आदिवासियों के हासा, भाषा, जाति, धर्म, इज्जत, आबादी, रोजगार, चास-बास, संवैधानिक अधिकारों के लिए एक भी काम नहीं किया है. आदिवासियों का सर्वाधिक वोट लेकर आदिवासियों को सर्वाधिक बेवकूफ बनाने का काम किया है.
झामुमो ने की आदिवासी विरोधी राजनीति
एएसए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि जेएमएम ने केवल वोट के लाभ के लिए कुर्मी महतो और अन्य अनेक जातियों को एसटी (अनुसूचित जनजाति) सूची में शामिल करने का आदिवासी विरोधी राजनीति किया है. जेएमएम के पिछलग्गू आदिवासी सामाजिक संगठन भी इस मामले पर दोषी हैं. कुर्मी समाज या किसी अन्य समाज को एसटी में शामिल करने के पूर्व भारत सरकार और अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों को जरूर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि केवल वोट बैंक के लिए असली आदिवासियों का जाने-अनजाने जेनोसाइड या कत्ल न हो जाय. जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट जाये कुर्मी समाज
कुर्मी समाज का दावा है कि वे 1950 के पहले एसटी में शामिल थे. तो उन्हें अपने तथ्यों और तर्कों के साथ मान्य सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. वेबजह बखेड़ा खड़ा करना ठीक नहीं है. सांकेतिक रेल रोड चक्का जाम ठीक है. मगर अनिश्चितकालीन अवरोध सही नहीं है. संबंधित पक्षों के बीच वार्तालाप का रास्ता सही हो सकता है.
झामुमो से सावधान रहे आदिवासी समाज
आदिवासी समाज को बचना है तो जेएमएम और उनके सहयोगियों को पहचाना होगा. जिसमे अनेक नासमझ आदिवासी संगठनों के साथ-साथ दो धार्मिक समुदाय के लोग भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आदिवासी समाज का अहित कर रहे हैं.
“आबोआग दिशोम आबोआग राज” के लिये दृढ़ संकल्प
आदिवासी सेंगेल अभियान, आदिवासी अस्तित्व की रक्षा और “आबोआग दिशोम आबोआग राज” को पुनर्जीवित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है. 30 सितंबर 2022 को कोलकाता के रानी राश्मोनी रोड (एस्प्लेनेड) में 5 प्रदेशों से शामिल कार्यकर्ताओं का विशाल जनसभा और 2 अक्टूबर 2022 को बोकारो के बिरसा आश्रम हॉल में प्रैक्टिकल झारखंडी डोमिसाइल (लागू हो सकने वाला जो तत्कालीन प्रखंडवार रोजगार दे सके) पर परिचर्चा कर आदिवासी विरोधियों और 1932 खतियान के नाम पर जनता को ठगने वालों को बेनकाब किया जायेगा. आदिवासियों की रक्षार्थ आदिवासी सेंगेल अभियान संघर्ष को मजबूर है. चूकि देश में मजबूत बीजेपी पार्टी झारखंड में कमजोर और बेकार दिखती है. भ्रष्टाचारियों और आदिवासी विरोधी ताकतों के सामने प्रमुख विपक्ष बीजेपी यहां लाचार और बेबस लगती है.
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