Kevadia : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ सालों के भीतर देश में डेढ़ हजार से अधिक पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किया गया है. राज्यों को भी आजादी के अमृतकाल में इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए गुलामी के समय से चले आ रहे तथा अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को खत्म करना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के केवड़िया में आयोजित विधि मंत्रियों और विधि सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे.
It’s imp for us to break the shackles of colonialism by removing regressing colonial laws, then only India can progress in true sense. In last 8 years,we removed 32,000 compliances to improve ease of living:PM Modi at the inaugural session of All India Conference of Law Ministers pic.twitter.com/w0KW95MEx5
— ANI (@ANI) October 15, 2022
इसे भी पढ़ें : हिजाब बैन पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस हेमंत गुप्ता ने विदाई भाषण में कहा, जज का काम लोगों को खुश करना नहीं
बनने वाले कानूनों की भाषा पर ध्यान केंद्रित करें राज्य
इस क्रम में प्रधानमंत्री ने राज्यों से अपील की कि वे अपने राज्यों में बनाये जाने वाले कानूनों की भाषा पर ध्यान केंद्रित करें ताकि गरीब से गरीब भी नये बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पायें. उन्होंने कहा, किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे. युवाओं के लिए मातृभाषा में अकादमिक प्रणाली (एकेडमिक सिस्टम) भी बनानी होगी, कानून से जुड़े पाठ्यक्रम मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल एवं सहज भाषा में लिखे जायें. कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण मामलों की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा.
इसे भी पढ़ें : Global Hunger Index : भारत 6 पायदान फिसलकर 107वें पर पहुंचा, पाकिस्तान और श्रीलंका की स्थिति हमसे बेहतर
गुलामी के समय के कई पुराने कानून अभी भी राज्यों में चल रहे हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के समय के कई पुराने कानून अभी भी राज्यों में चल रहे हैं और आजादी के अमृतकाल में गुलामी के समय से चले आ रहे इन कानूनों को समाप्त करके नये कानून आज की तारीख के हिसाब से बनाये जाना जरूरी है. उन्होंने सम्मेलन में शामिल कानून मंत्रियों एवं सचिवों से कहा, ‘मेरा आप सबसे आग्रह है कि सम्मेलन में इस तरह के कानूनों की समाप्ति का रास्ता बनाने पर विचार करना चाहिए. इसके अलावा राज्यों के जो मौजूदा कानून हैं, उसकी समीक्षा भी बहुत मददगार साबित होगी.
इसे भी पढ़ें : माओवादी संपर्क के आरोपी प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरी किया, महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, आज सुनवाई
न्याय में देरी नागरिकों की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक
उन्होंने कहा कि न्याय में देरी एक ऐसा विषय है जो नागरिकों की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और देश की न्यायपालिका इस दिशा में गंभीरता से काम भी कर रही है. कहा कि अब अमृतकाल में मिलकर हमें इस समस्या का समाधान करना है. पीएम मोदी ने अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों मामलों को सुलझाया गया है. इनसे अदालतों का बोझ भी बहुत कम हुआ है, खासकर गांव में रहने वाले लोगों और गरीबों को न्याय मिलना भी आसान हुआ है.
बता दें कि इस दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी गुजरात के विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा की जा रही है. सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं को भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है.