Saurabh Singh
Garhwa/Ranchi : झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के प्रबंध निदेशक के रूप में, झारखंड कैडर की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल ने कथित तौर पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशानिर्देशों के विपरीत अपने पसंदीदा ठेकेदारों को बालू खनन का अधिकार दे दिया था. जेएसएमडीसी ने केवल चर्चा के बाद ठेकेदारों को कम से कम दो बालू खदानें पचडूमर और सुंदीपुर आबंटित की थी, लेकिन खनन विभाग के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि कई अन्य बालू खनन स्थलों के खनन अधिकार अपनी मर्जी से दे दिए गए थे. यहां तक कि पिछले खनन सचिव और जेएसएमडीसी के प्रमुख के. श्रीनिवासन का कार्यकाल भी विवादास्पद रहा था.
अकाउंटेंट के माध्यम से चोरी की वारदातों को अंजाम दिया था
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें इस साल मई में आईएएस पूजा सिंघल को मनरेगा घोटाला मामले में गिरफ्तार कर चार्जशीट दायर की थी. ईडी झारखंड से 1000 करोड़ रुपये के अवैध पत्थर खनन घोटाले में भी उनके खिलाफ चार्चजशीट दायर करने की तैयारी में हैं. राज्य सरकार को सौंपी गयी रिपोर्ट में ईडी ने दावा किया है कि खनन विभाग के सचिव के रूप में पूजा सिंघल ने अवैध पत्थर खनन को संरक्षण दिया था और अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार सिंह के माध्यम से अवैध खनन से मोटी रकम की उगाही की थी. वारदातों को अंजाम दिया था.
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बिना टेंडर प्रक्रिया के खदानों का आवंटन ठेकेदारों को किया गया है
जेएसएमडीसी एक सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते सीवीसी नियमों द्वारा शासित होता है, जिसमें कहा गया है कि एक सार्वजनिक उपक्रम प्रतिस्पर्द्धी बोली के माध्यम से अनुबंध प्रदान करेगा, लेकिन नियम के विपरीत साल 2021 में गढ़वा जिले में पचडुमर और सुंदीपुर नामक दो बालू खदानों को ठेकेदार नंद किशोर सिंह और आत्मानंद उपाध्याय को आबंटित कर दिया गया था. दस्तावेज से पता चलता है कि खनन अधिकार चर्चा के आधार पर दिए गए थे. झारखंड में सभी बालू खनन स्थलों को नियंत्रित करने वाले जेएसएमडीसी द्वारा इस उद्देश्य के लिए कोई टेंडर भी नहीं निकाला गया था. पर्यावरण की दृष्टि से भी पचाडूमर बालू खदान का मामला अलग ही है. यह खनन स्थल बिहार के कैमूर में वन्यजीव अभ्यारण्य से लगभग 900 मीटर की दूरी पर है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक वन्य जीव अभ्यारण्य के एक किलोमीटर के दायरे में खनन नहीं किया जा सकता है. पचडूमर में अच्छी गुणवत्ता का बालू निकलता है। यह एक रमणिक स्थल भी है. यहां से झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के बाजार पर प्रबुत्व जमाया जा सकता है.
संविदा पर नियुक्त कर्मी पर जालसाजी का केस, लेकिन प्रोन्नत कर अहम जिम्मेवारी सौंप दी
गौरतलब है कि पूजा सिंघल ने पलामू संभाग के लिए रेत परियोजना के मंडल अधिकारी के रूप में संविदा कर्मचारी अशोक कुमार की प्रतिनियुक्ति की थी और वह अपनी मनमर्जी से ठेकेदारों को खनन अधिकार देने का आदेश पारित करता था. सिंघल पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद अशोक कुमार को संरक्षण देने का आरोप है. अशोक के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गयी थी. अशोक कुमार को प्रारंभ में जेएसएमडीसी के गढ़वा जिले के परियोजना अधिकारी के पद पर अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था. इस तथ्य के बावजूद कि उनकी नियुक्ति विशुद्ध रूप से अस्थायी आधार पर थी और उनका अनुबंध 2017 में समाप्त हो चुका था, उन्हें बालू सह कोयला प्रभारी सह स्थापना अधिकारी के रूप में पदोन्नत कर दिया गया था. अशोक कुमार के खिलाफ गढ़वा जिले के केतार थाना में मामला (कांड संख्या 04/2019 में आईपीसी की धारा 420, 379 और 411 और जेएमएमसी नियम की धारा 54 के तहत) दर्ज किया गया था. उनकी एक बार इस्तेमाल किए गए चालान से कई बार जालसाजी करने में संलिप्तता की बात सामने आयी थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें न सिर्फ प्रोन्नत किया गया, बल्कि अहम जिम्मेवारी भी सौंप दी गयी. उल्लेखनीय है कि जेएसएमडीसी एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है. ऐसे में यहां संविदा कर्मचारी को स्थायी पद पर न तो तैनात नहीं किया जा सकता है और न पदोन्नत किया जा सकता है. लेकिन नियमों को ताक पर रख कर उन्हें पदोन्नति देने के साथ अहम जिम्मेवारी सौंपी गयी थी.
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