Basant Munda
Ranchi : आज हम बात करेंगे रांची के प्रसिद्ध चर्च संत मारिया महागिरजा घर की. बता दें कि सन 1900 ईस्वी में पूरे मिशन क्षेत्र में हैजा फैली थी. इसमें बहुत सारे लोगों की जान चली गई थी. लोगों में भय का महौल था. इससे छोटानागपुर में रहने वाले आदिवासियों की स्थिति दयनीय होने लगी थी. इनकी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए चिंतन मनन किया गया. गिरजाघर का नक्शा अर्सोन बेल्जियम ने बनाया और आध्यात्मिक विकास के लिए रांची में संत मरिया गिरजा घर की नींव आर्चबिशप ब्राइस न्यूल मैन ने 20 मई 1906 में रखी.
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संत मारिया गिरजाघर 3 साल में बनकर हुआ तैयार
संत मरिया गिरजाघर 3 साल में बनकर तैयार हो गया. धार्मिक विधि विधान के साथ 10 अक्टूबर 1909 को ढाका के आर्चबिशप अर्थ के हाथों द्वारा उद्घाटन किया गया था. सन् 1909 में फादर जे.बी होफमन ने कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी का गठन किया और आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ाया.
गिरजाघर में सुबह 4 बजे बजता था घंटा
इसके बाद सभी क्षेत्रों के लोग इसका सदस्य बनकर लाभ उठाना शुरू किया. फादर जे,बी हाँफमैन ने गरीब आदिवासियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की रचना की.
पुरुलिया रोड स्थित कैथोलिक गिरजाघर में घंटा बजाया जाता था. सुबह 4 बजे कैथोलिक गिरजाघर का घंटा बजता था जिसकी गूंज दूर-दूर तक होती थी. यह रोमन घंटा था. इसी को सुनकर लोगों की दिनचर्या मालूम होती थी. 24 नवंबर1907 को फादर वान हुक को रांची बुलाया गया था. उन्हें मनरेसा हाउस के रेक्टर नियुक्त किया गया. सन् 1910-1919 तक धर्म प्रांत के स्कूल निरीक्षक का पद संभाला था. मिशन के तर्ज पर विभिन्न जगहों पर स्कूल खोले गए थे. फादर वानहुक ने कक्षाओं को अलग-अलग बाट दिया. एक लोअर प्राइमरी दूसरा अपर प्राइमरी था. स्कूलों में चरित्र निर्माण और नैतिक प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा था.
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प्रथम विश्वयुद्ध के बाद परिस्थिति बदली
सन 1914 प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया था. इस युद्ध से कई बीमारियां देश में फैल गई थी. 1917 ई में फ्रांस लेबर क्रोपस इयर का गठन किया गया. सैनिक के रूप में ख्रिस्त भाइयों को शामिल किया गया था. पहली बार 23 दिसंबर 1917 को फादर जूलियस कुजूर का धर्म प्रांतीय पुरोहित के रूप में अभिषेक किया गया. सन 1917 में अपोस्तोलिक स्कूल में 35 लड़कों का दाखिला लिया गया. इनमें 9 मुंडा, 9 उरांव, 7 एंग्लो इंडियन, 2 पहाडिया, 1 बामरे, 1 बंगाली, 1 बिहारी, 1 चीक, 1 गोवानीस,1 संथाल, 1 चालदरन और 1 खड़िया शामिल थे.
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