Ranchi : उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ 4 दिनों से चला आ रहा लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया. शनिवार को छठ गीतों के साथ भगवान सूर्य को जल्द दर्शन देने की प्रार्थना की गयी. इस दौरान छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की थोड़ी कम भीड़ देखी गयी. कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन के पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया.
‘उग हो सूरज देव, भइल अरघ के बेर’
छठ के गीतों के साथ राजधानी रांची समेत झारखंड के सभी जिलों में लोक आस्था के महापर्व पर व्रतियों ने छठ घाटों और जल कुंड में उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. रांची के कांके डैम, धुर्वा डैम, डोरंडा मत्स्य तालाब, बड़ा तालाब, अरगोड़ा तालाब, चुटिया समेत अन्य घाटों पर आस्था के साथ व्रती पहुंचे और भगवान सूर्य से जल्द उदय होने की प्रार्थना की. परंपरा के अनुसार सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य दिया जाता है और भगवान सूर्य से धन, धान्य और आरोग्य की कामना की जाती है.
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जानें क्यों दिया जाता है उगते सूर्य को अर्घ्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था. उन्हे कुष्ट रोग हो गया था. भगवान भास्कर ने इस रोग की मुक्ति के लिए छठ व्रत किया था. स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है. वर्षकृत्यम में भी छठ की महत्ता की चर्चा है.