Vinit Upadhyay
Ranchi: नियोजन नीति के मामले में झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है. झारखंड सरकार के द्वारा एसएलपी दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के बृहद पीठ द्वारा नियोजन नीति के मामले में सुनाये गये फैसले को चुनौती दी है. राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई की तिथि अभी मुक़र्रर नही हुई है, लेकिन राज्य सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद अब राज्य भर के लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट से बंध गयी हैं. वहीं झारखण्ड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में काफी उम्मीदें हैं.
हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी नियोजन नीति
बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट ने नियोजन नीति पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए झारखंड की नियोजन नीति को रद्द कर दिया था, हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए अपने आदेश में कहा था कि सरकार की यह नीति संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है और इस नीति से एक जिले के सभी पद किसी खास लोगों के लिए आरक्षित हो जा रहे हैं,जबकि शत-प्रतिशत आरक्षण किसी भी चीज में नहीं दिया जा सकता. अदालत ने राज्य के 13 अनुसूचित जिलों में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया को रद्द करते हुए इन जिलों में फिर से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था जबकि 11 गैर अनुसूचित जिलों में जारी नियुक्ति प्रक्रिया को बरकरार रखा गया था.