Bismay Alankar
Hazaribagh : हजारीबाग के प्रमंडलीय बंदोबस्त कार्यालय में दस्तावेज से छेड़छाड़ का मामला और उस पर जांच की खबर पिछले 2 दिनों से प्रमुखता से छापी जा रही है. इसी क्रम में शुभम संदेश को एक दस्तावेज हाथ लगा है, जिसमें कार्यालय में कार्यरत अमीन पर ही गैरमजरूआ जमीन को अपने नाम दर्ज करा लेने का आरोप लगा है.
सर्वे करने गए कर्मी पर अपने नाम जमीन करने का आरोप
दस्तावेज में स्पष्ट उल्लेख है कि रामगढ़ के मांडू प्रखंड के मौजा कोतरे में कार्यालय कर्मी पप्पू गोप और राजेंद्र यादव के परिजन का नाम दर्ज है. पप्पू और राजेंद्र स्थानीय कार्यालय में सर्वे कर्मचारी के रूप में कार्यरत है. वहीं शुभम संदेश को खुद पप्पू ने एक दस्तावेज व्हाट्सएप किया, जिसमें उनका दावा है कि जिस पंजी में उनके नाम होने की बात कही गई है, वह पंजी में नहीं है, उन्होंने यह भी कहा कि सर्वे रिपोर्ट अभी फाइनल नहीं है, इसलिए हो सकता है पंजी में आपत्ति आवेदन के बाद सुधार कर लिया गया हो.
![दस्तावेज](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/01/29rc_m_130_29012023_1-225x300.jpg)
![दस्तावेज](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/01/29rc_m_132_29012023_1-226x300.jpg)
एक ही पंजी के 2 तरह के कागज
दो दस्तावेज के मिल जाने से अब मामला और पेंचीदा हो गया है, क्योंकि प्रथम दृष्टया देखने से दोनों ही कागज सर्वे ऑफिस के ही लगते हैं. ऐसी स्थिति में अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या पुराने दस्तावेज को पुनः ठीक किया गया है और अगर ठीक किया गया है तो फिर पुराने कागज बनाए क्यों गए और जब बनाने वाला खुद उसी कार्यालय का कार्यरत कर्मी है तो फिर इस मामले की जांच क्यों नहीं हुई और यदि जांच हुई तो अब तक इस पर क्या हुआ. क्योंकि अगर किसी ने पंजी में नाम चढ़ाएं हैं तो इस मामले पर उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, जो अब तक नहीं हुई है. जबकि इस बात को उजागर हुए पांच महीने बीत चुके हैं. शुभम संदेश को जो जानकारी मिली है उस हिसाब से ऐसे कई मामले अभी बाहर आने शेष हैंं, जिसमें ऐसे कागजातों के साथ छेड़छाड़ हुई है.
कर्मी ने कहा मेरी मिलीभगत नहीं
इस पूरे मामले पर पप्पू गोप ने बताया उसने किसी कागजात पर अपने नाम नहीं चढ़ाएं हैं और इस पूरे मामले में उसकी कोई सहभागिता नहीं है. उसका नाम कैसे दस्तावेज में है यह उसे पता नहीं है. उसने यह भी कहा कि हो सकता है किसी ने साजिश के तहत उसके नाम को दस्तावेज में चढ़ा दिया हो.
कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं
पप्पू गोप के इस बयान के बाद फिर से सवालिया निशान बंदोबस्त कार्यालय पर ही खड़ा होता है. क्या कोई दफ्तर इतना गैर जिम्मेदार हो सकता है कि कोई भी चाहे तो वहां के आंकड़े में फेरबदल कर दे. दस्तावेज में इतना बड़ा हेरफेर हो जाये और 5 महीने से इसकी जानकारी होने के बाद भी विभागीय कार्यवाही काफी सुस्त चले तो इससे कहीं ना कहीं पूरे मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठते हैं.