Ranchi: जल बिना सबकुछ सूना. यह सच है कि जिस जगह जल नहीं होगा, वहां जीवन नहीं होगा. इसके लिए गांव से लेकर शहर तक में जलस्रोत बनाए गए हैं. कहीं बांध बनाकर जल का भंडारण किया गया तो कहीं नदी से नाला निकालकर पानी को आबादी तक पहुंचाया गया. लेकिन गर्मी आते ही पीने के पानी की समस्या उभरने लगी है. जो डैम शहर की जान समझे जाते हैं, वहां का जलस्तर घटने लगा है. जबकि तेज गर्मी अभी बाकी है. पेयजल को लेकर आम लोगों अभी से चिंतित हैं. प्रदेश में जलस्रोत(डैम-तालाब) की स्थिति पर शुभम संदेश की टीम ने पड़ताल की और तैयार की एक रिपोर्ट..
रांची
ड्राइ सीजन का साइड इफेक्ट
बारिश नहीं होने से रूक्का का वाटर लेबल दो फीट घटा
कौशल आनंद/रांची । सितंबर के बाद रांची-झारखंड में सबसे ड्राइ सीजन का साइड इफेक्ट अब दिखने लगा है. 2016 के बाद सबसे लंबा ड्राइ सीजन इस बार देखने को मिल रहा है. रांची में होने वाले मौसमी बारिश भी इस बार नहीं हुई. जिसका अब सीधा असर रांची के जलाशयों पर दिखने लगा है. 1 जनवरी से लेकर 9 मार्च तक शहर के 90 प्रतिशत इलाकों में वाटर सप्लाई करने वाले रूक्का डैम का जलस्तर घटने लगा है. दो महीने में बारिश नहीं होने से और फरवरी से नमी कम होने के कारण रूक्का डैम के वाटर लेबल में करीब दो फीट की कमी आयी है. अगर मार्च-अप्रैल में होने वाले मौसमी बारिश नहीं हुई तो इस बार गर्मी में जलसंकट हो सकता है.
डैम में आयी 2.08 फीट की कमी
रूक्का डैम में दो महीने में 2.08 फीट की कमी हुई है. यह रांची का सबसे बड़ा डैम है. इसमें एक इंच पानी करीब एक महीने में आपूर्ति होती है. इस डैम से रांची के 90 प्रतिशत क्षेत्रों में जलापूर्ति होती है. रूक्का डैम से प्रति दिन 30 से 32 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है.
आपूर्ति क्षेत्र : विकास, रूक्का, बूटी मोड़, कोकर, दीपाटोली, कांटा टोली, बहु बाजार, सिरम टोली, ओवर ब्रीज, रेलवे, रेलवे कॉलानी, चुटिया, डोरंडा के कुछ क्षेत्र, निवारणपुर, मेन रोड, लालपुर, वर्द्धमान कम्पाऊंड, हिंदपीढ़ी, चर्च रोड, मोरहाबादी, बरियातू रोड, रिम्स, रातू रोड, पिस्का मोड़, हरमू रोड, किशोरगंज, मधुकम, पहाड़ी मंदिर क्षेत्र, अपर बाजार, रांची रेलवे, एमईएस नामकुम, दीपा टोली, होटवार, विधि विद्यान प्रयोगशाला होटवार, महिला बटालियन जैप, जैप-टू टाटिसल्वे, डेयरी फार्म, जेल, मॉडल हॉस्पिटल, झारखंड आमर्ड फोर्स, नामकुम और आसपास के क्षेत्रों में वाटर सप्लाई होती है.
हटिया डैम में 1.05 फीट की आयी कमी
हटिया डैम से प्रति दिन साढ़े आठ एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है. इस डैम के वाटर लेबल में करीब 1.05 फीट की कमी आयी है. आपूर्ति क्षेत्र : इस डैम से शहर के एचईसी कंपनी, हटिया, सिंह मोड़,लटमा, जगरनाथपुर, बिरसा चौक, डोरंडा, शुक्ला कॉलानी, हीनू, सेल व मेकॉन कॉलानी, हरमू हाऊसिंग कॉलानी, एजी, सीआरपीएफ, एचईसी, विद्युत बोर्ड कुसई, अशोक नगर, हटिया रेलवे व आसपास के क्षेत्रों में आपूर्ति होती है.
गोंदा डैम में 2.08 फीट की कमी
गोंदा (कांके डैम) से प्रति दिन 4 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है. इस डैम के लेबल में 1 फरवरी से अब तक 2.08 फीट की कमी आयी है.
आपूर्ति क्षेत्र : इस डैम से शहर के कांके रोड दोनों तरफ, सीएम हाऊस, राजभवन, विधानसभा अध्यक्ष आवास, चीफ जस्टिस आवास, सीआईपी, रिनपास, आईआईसीएम, गांधी नगर, जवाहर नगर व आसपास के क्षेत्रों में आपूर्ति होती है.
रांची के 3 डैमों के जलस्तर की स्थिति
रूक्का डैम
कुल क्षमता 36 फीट
1 जनवरी 25.20 फीट
15 जनवरी 24.60 फीट
30 जनवरी 24.50 फीट
18 फरवरी 23.40 फीट
28 फरवरी 23.02 फीट
9 मार्च 23.01 फीट
हटिया डैम
कुल क्षमता 38 फीट
1 फरवरी 33.11 फीट
15 फरवरी 33.04 फीट
9 मार्च 32.05 फीट
गोंदा डैम
कुल क्षमता 28 फीट
1 फरवरी 24.05 फीट
15 फरवरी 22.05 फीट
9 मार्च 21.05
ऐसे समझें बारिश का लंबा ड्राइ सीजन
2022-23 : 26 नवंबर से 7 मार्च : 107 दिन
2021-22 : 28 दिसंबर से 23 फरवरी 2022 : 58 दिन
2020-21 : 17 दिसंबर से 25 जनवरी : 33 दिन
2019-20 : 11 नवंबर से 13 दिसंबर : 39 दिन
2018-19 : 20 दिसंबर से 23 जनवरी : 33 दिन
2017-18 : 19 दिसंबर से 8 फरवरी : 52 दिन
2016-17 : 1 नवंबर से एक जनवरी : 62 दिन
नोट : 2016-17 के 62 दिन बाद इस सीजन में 107 दिन से बारिश नहीं हुई. 8 मार्च को रांची, जमशेदपुर में बारिश हुई.
करीब 10 फरवरी तक नमी बनी रही. इसके बाद मौसम ड्राइ होते जाने के कारण नमी खत्म होते जा रही है. ठंढ में होने वाली मौसमी बारिश नहीं होने के कारण और प्रतिदिन सप्लाई होने के कारण वाटर लेबल घट रहा है. अगर मार्च-अप्रैल में होने वाली मौसमी बारिश नहीं हुई तो गर्मी में थोड़ी दिक्कतें रूक्का को लेकर आ सकती है. हटिया और गोंदा डैम में पूरी गर्मी के लिए पर्याप्त पानी है. -निरंजन कुमार, एसई, रांची सर्किल, पीएचईडी)
—-
आदित्यपुर
सीतारामपुर डैम का जलस्तर गिरकर पहुंचा 16 फीट, इसकी क्षमता है 22 फीट
आदित्यपुर में जलापूर्ति के लिए सीतारामपुर डैम से पानी की स्पलाई होती है. इसकी क्षमता 22 फीट है. जनवरी में इसका जलस्तर 18 फीट था, लेकिन मार्च में गर्मी के कारण जलस्तर घट कर 16 फीट पहुंच गया है. यह अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता है. चिंता की बात यह है कि सीतारामपुर डैम का जलस्तर हर महीने घट रहा है. पिछले पांच महीने से बारिश भी नहीं हुई है. इस वजह से भी डैम पर असर पड़ा है. इस डैम से होने वाली जलापूर्ति पर साढ़े 11 हजार परिवार यानी लगभग 55 हजार 700 लोग निर्भर हैं. इस डैम का निर्माण 1963 में हुआ था. उस समय यहां की आबादी महज 8 हजार थी. अब आबादी 2.5 लाख के करीब पहुंच चुकी है. कई साल डैम का जलस्तर 10 फीट से नीचे चला गया था. उस समय जलापूर्ति एक दिन छोड़ कर दूसरे दिन सप्लाई की जाती थी. इस वर्ष जिस तरह से वर्षा का अभाव है और मानसून अभी दूर है, आदित्यपुर में जल संकट गहरा सकता है. लोग अभी से इसे लेकर चिंतित हैं. इस पर विचार करने लगे हैं.
—-
हजारीबाग
छड़वा डैम का जलस्तर घटा, शहर की आधी से अधिक आबादी इसी पर निर्भर
हजारीबाग के छड़वा डैम का जल स्तर कम होता जा रहा है. इसके साथ ही ताल तलैया की भी स्थिति ठीक नहीं है. मार्च महीने की शुरुआत में ही ज्यादातर डैम और जलाशय सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. शहर की आधी से अधिक करीब 60% (तीन लाख) आबादी छड़वा डैम के सप्लाई वाटर पर निर्भर है. वर्तमान में छड़वा डैम में 22 फीट पानी शेष है. विभाग के अनुसार 3 मार्च 2020 को डैम में पानी 21 फीट था. जबकि तीन मार्च 2021 को 22 फीट आठ इंच और वर्ष 2022 को डैम का जलस्तर 23 फीट था. बता दें कि छड़वा डैम से हजारीबाग शहर में पांच टावर में पानी की सप्लाई होती है. इससे शहरवासियों को प्रतिदिन 36 लाख गैलन आपूर्ति की जाती है. वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र की कंचनपुर और गदोखर पंचायत के गांवों में जलापूर्ति के लिए एक टावर बनाया जा रहा है. एक ओर टावर की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, तो दूसरी ओर डैम का जलस्तर कम होता जा रहा है. वर्ष 1952 में डीवीसी की ओर से छड़वा डैम बनाया गया था. लेकिन डैम मरम्मत के अभाव में दिन-प्रतिदिन सिकुड़ता चला गया. डैम निर्माण के समय इसका क्षेत्रफल 200 एकड़ बताया जाता था. इन दिनों डैम मात्र 25 से 30 एकड़ क्षेत्र में सिमटकर आ गया है. छड़वा डैम निर्माण के बाद 2014 में क्षेत्रों को साफ-सफाई की गई.
—
बोकारो
तेनुघाट डैम का जलस्तर 4 फीट घटा मार्च में ही सूखने लगे हैं तालाब और कुएं
मानसून के बाद विगत 5 महीने से बारिश की कमी का असर बोकारो जिले में भी देखा जा रहा है. गर्मी अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई और पानी की कमी महसूस होने लगी है. मार्च महीने में ही जलाशय सूखने लगे हैं, जबकि यही इस इलाके की जान है. कुएं से लेकर नदी और डैम तक जलस्तर गिरने लगा है. बोकारो जिले में लगभग साढ़े तीन लाख की आबादी तेनुघाट डैम से होने वाली जलापूर्ति पर आश्रित है. यह यहां का सबसे बड़ा डैम है. डैम की जल धारण क्षमता 856 फीट है, जो 4 फीट घटकर 852 पर पहुंच गई है. विगत वर्ष फरवरी के अंत और मार्च के पहले सप्ताह में यह जलस्तर 853 फीट था. यानी इस वर्ष तेनुघाट डैम के जलस्तर में 1 फीट की कमी आई है. बोकारो इस्पात नगर और आसपास के इलाके के लोग भी तेनुघाट डैम से होने वाली जलापूर्ति पर निर्भर हैं. ऐसे में जलस्तर गिरने से वे भी परेशान हैं. बोकारो जिले में गत वर्ष की तुलना में इस बार के मॉनसून ने दगा दे दिया. 2021 की तुलना में 2022 के मॉनसून में 143 मिमी कम बारिश हुई. मौसम विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बोकारो में 2019 में 841.1, 2020 में 735.8 और 2021 में 1032.8 मिमी और 2022 के मॉनसून में लगभग 890 मिमी ही बारिश हुई. समय पर बारिश होती तो ऐसी स्थिति नहीं आती. डैम का जलस्तर अपनी जगह पर होता.
—-
पलामू
हुसैनाबाद में गहराया पेयजल संकट, नल का पानी पीने लायक नहीं
पलामू जिले के हुसैनाबाद नगर पंचायत में पेयजल आपूर्ति का एकमात्र साधन देवरी कला सोन नदी है. उसी से पंप हाउस से पूरे हुसैनाबाद नगर पंचायत के लोगों के लिए जपला छठीयारी पोखरा के समीप बने पानी टंकी से किया जाता है. हुसैनाबाद नगर पंचायत की कुल आबादी लगभग 40,000 के आसपास है. इतनी बड़ी आबादी को पेयजल के लिए एकमात्र देवरी कला सोन नदी से जपला पाइपलाइन के द्वारा पानी टंकी में पानी पहुंचाया जाता है. जहां से पूरे नगर पंचायत में पेयजल आपूर्ति की जाती है, जो नगर पंचायत की इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए पानी नाकाफी है. लोगों का कहना है कि हुसैनाबाद नगर पंचायत अंतर्गत लगभग 250 से 300 के बीच चापानल लगे हुए हैं. जिनका अभी गर्मी शुरू होते ही जलस्तर काफी नीचे चला गया है. बाकी नल का पानी खारा होने के वजह से पीने के लायक नहीं है.
जल स्तर नीचे जाने का मुख्य कारण है इस बार बारिश के मौसम से लेकर अभी तक औसत वर्षा नहीं हो पाना है. इस कारण भूगर्भ जल स्तर नीचे चला गया है. हुसैनाबाद नगर पंचायत में कहीं भी पेयजल आपूर्ति के लिए चेक डैम, डैम या तालाब नहीं हैं. वैसे तो हुसैनाबाद नगर पंचायत में तीन तालाब हैं. ये पंच सरोवर, छठयारी पोखरा व तीसरा गोदामी पोखरा है. लेकिन इन तीनों पोखरा से पेयजल के लिए व्यवस्था नहीं है. क्योंकि सभी पोखरा बारिश पर निर्भर है. बारिश का पानी जमा होने पर खेतों तक पानी जाता है. कुल मिलाकर हुसैनाबाद नगर पंचायत की इतनी बड़ी आबादी के लिए एकमात्र साधन सोन नदी है. जिससे पानी टंकी में जलापूर्ति कर पेयजल की व्यवस्था की जाती है. यहां के लोग पानी के लिए तरसते हैं. लोग पानी खरीदकर पीते हैं. बता दें कि सोन नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है.
इसलिए हुसैनाबाद नगर पंचायत के लोगों को पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. पेयजल के लिए दूसरा विकल्प नहीं है. यही हाल हुसैनाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों की भी है. अभी गर्मी अपना रौद्र रूप दिखाया भी नहीं कि अधिकतर चापानल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. यह संकेत ठीक नहीं है.
सूखने लगी है अमानत नदी : पलामू जिले के पांकी प्रखंड के आसपास के क्षेत्रों में गर्मी के दस्तक के साथ ही अमानत चाको नदी सुखने लगी है. जलस्तर अभी से ही घटने लगा है. पांकी का लाइफलाइन कहे जाने वाली अमानत नदी बिल्कुल सुख गई है, जिससे गांव कस्बों के चापाकल ने अभी से पानी सप्लाई करना बंद कर दिया है. पांकी की ग्रामीण जलापूर्ति योजना बिल्कुल बीमार है. विभागीय पदाधिकारी के उदासीन रवैया के कारण सड़क किनारे लगाये गये पाइप नलकूप बेकार पडे हुए हैं. पांकी पहाड़ी मुहल्ला राहे वीर हरिजन टोला के ग्रामीणों को पानी के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. आमलोगों के साथ मवेशियों को भी पानी के किल्लत से जूझना पड़ रहा है. इस पर विभाग को ध्यान देने की जरूरत है.
—-
धनबाद
तोपचांची झील से आधे कोयलांचल को मिलता है पानी
अच्छी बात यह है कि आधे कोयलांचल के लोगों की प्यास बुझाने वाली तोपचांची झील में अभी पर्याप्त पानी है. इस वर्ष कोयलांचल के लोगों को पानी की समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा. तोपचांची झील से तिलाटांड़, छाताबाद, गुहिबांध, तेतुलमारी, सिजुआ व कतरास समेत आधे कोयलांचल में पानी की सप्लाई की जाती है. इस पर बड़ी आबादी निर्भर है. अभी तोपचांची झील में पानी 66 फीट है. पिछले तीन वर्षों से तोपचांची झील की स्थिति सामान्य रही है. इस कारण लोगों को गर्मी में पानी की किल्लत नहीं हो रही है. मिट्टी कटाई के कारण झील में पानी की भंडारण क्षमता बढ़ी है. साथ ही नालों की सफाई कराई गई है, जिस कारण झील में पर्याप्त पानी पहुंच रहा है. इससे यहां हर तरफ रौनक है. हरियाली छाई हुई रहती है. यहां आसपास पक्षियों का बसेरा है. इससे हर तरफ चहल-पहल बनी रहती है. लोग आते रहते हैं.
—-
जमशेदपुर
घटता जा रहा है स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर
जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में विश्व बैंक के सहयोग से वर्ष 2005 में शुरु हुई मोहरदा जलापूर्ति योजना से डेढ़ लाख लोगों को जलापूर्ति करने का लक्ष्य है. वर्तमान में 60 हजार लोगों को जलापूर्ति की जा रही है. इस इंटकवेल की क्षमता 2000 क्यूबिक है. लेकिन गर्मी का मौसम आते ही संकट दिखने लगा है. स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर घट गया है. जो चिंताजनक है. 2013 में आंशिक रुप से मोहरदा परियोजना से जलापूर्ति शुरू हुई थी. लेकिन प्रारंभ से लेकर अब तक उक्त योजना में रोज नई अड़चने सामने आ रही हैं. स्वर्णरेखा नदी के पानी से उक्त योजना का संचालन किया जा रहा है, लेकिन गर्मी में स्वर्णरेखा नदी का पानी सूख जाने के कारण इंटकवेल में पर्याप्त पानी जमा नहीं हो पाता है. इसके कारण चांडिल डैम से पानी छोड़ना पड़ता है. वहीं अत्यधिक वर्षा होने से नदी में तेज बहाव होने के कारण इंटकवेल में कचरा फंस जाता है. जबकि इसकी सफाई जरूरी है. जब सफाई होगी तो जो पानी आएगा, वह अपनी जगह पर समय पर और तेज गति से पहुंचेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है. इससे कई-कई दिनों तक जलापूर्ति प्रभावित होती है. लोगों को पेयजल सी समस्याओं का सामना करना होता है. जिस पर पेयजल विभाग की कोई गंभीरता नहीं दिखती है.
मैथन डैम में 9 और पंचेत डैम में 10 फीट पानी कम
मैथन और पंचेत डैम की स्थिति ठीक नहीं है. दोनों डैम का जलस्तर पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 9 फीट और 10 फीट कम है. यह चिंता का विषय है. हांलाकि केन्द्रीय जल आयोग की मानें तो डैम का जलस्तर कम होने के बावजूद लोगों को पानी के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी. 9 मार्च 2023 को मैथन डैम का जलस्तर 477 फीट है, जबकि पंचेत डैम का जलस्तर 410.18 फीट है. पिछले वर्ष 9 मार्च 2022 को मैथन डैम का जलस्तर 486 फीट था, जबकि पंचेत डैम का 418 फीट. इस तरह मैथन का जलस्तर करीब 9 फीट और पंचेत डैम का करीब 10 फीट पानी कम है. बता दें कि मैथन डैम की क्षमता 495 फीट है, जबकि पंचेत डैम की क्षमता 425 फीट है. पिछले वर्ष की तुलना में डैम का जलस्तर कम होना चिंता का विषय तो है, लेकिन डीवीसी प्रबंधन का कहना है कि फिलहाल पानी की चिंता करने की कोई बात नहीं है. मैथन और पंचेत डैम में अभी भरपूर मात्रा में पानी है. हालांकि सीडब्ल्यूसी और डीवीसी प्रबंधन जलस्तर के मामले में पूरी तरह से मुस्तैद है.
सूखने के कगार पर है माटीगढ़ का जमुनिया डैम
बाघमारा प्रखंड के माटीगढ़ स्थित जमुनिया डैम की स्थिति अच्छी नहीं है. कभी यह डैम पानी से लबालब भरा रहता था. लेकिन देखरेख के अभाव व लापरवाही के कारण सूखने के कगार पर पहुंच गया है. डैम की बात करें तो नदी में मात्र 4 फीट पानी है. पानी घटने से डैम के फाटक से गिरने वाले पानी का मनोरम दृश्य विलोपित हो गया है. जबकि यह काफी आकर्षक होता है. नदी जगह-जगह सूख गई है. अभी गर्मी की शुरुआत भी नहीं हुई है. इधर नदी का स्तर काफ़ी नीचे चला गया है. नदी में गाद, कीचड़ व बालू भर गया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि अविलंब ध्यान नहीं दिया गया तो अगले एक माह के अंदर नदी सूख जाएगी. जबकि इस नदी को यहां के लोगों को काफी राहत मिलती है. इस डैम से बीसीसीएल की कॉलोनियों में जलापूर्ति की जाती है. इनमें माटीगढ़, भीमकनाली, हरिना, मुराईडीह व डुमरा स्थित कॉलोनी प्रमुख हैं. इसके अलावा कतरास बाजार के एक बड़े हिस्से में जमुनिया नदी से जलापूर्ति की जाती है.
—
चंदवा
जगराहा डैम का जलस्तर तेजी से गिरा
चंदवा प्रखंड में तीन डैम है. जगराहा, चटुआग और गनियारी. पिछले कई महीनों से बारिश नहीं होने की वजह से डैम का जलस्तर काफी तेजी से घट रहा है. आसपास की आबादी इसी पर निर्भर है. पेयजल से लेकर पटवन में पानी का उपयोग किया जाता है. डैम में पानी कम होने से आसपास के बस्ती में स्थित कुआं और नलकूपों में भी पानी घट जाता है. कई कुएं अभी से ही सूख गए हैं, तो कई का पानी एकदम नीचे चला गया है. चंदवा शहर के मुख्य जलस्त्रोत जगराहा डैम को माना जाता है, लेकिन डैम की दयनीय स्थिति पर शासन-प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है. जगराहा डैम जलकुंभी से भर गया है. लेकिन इसकी सफाई को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है. निवर्तमान डीसी अबु इमरान ने डैम के सुंदरीकरण की पहल की थी, लेकिन उसी दौरान उनका तबादला हो गया.
पानी कम होने की वजह से इस बार किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं : वहीं चटुआग डैम का भी यही हाल है. पानी से आसपास के किसान खेती करते हैं. इस बार डैम का पानी तेजी से सूख रहा है. पानी कम होने की वजह से इस बार किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पानी कम होने से हमलोगों को काफी परेशानी होती है. खेती के अलावा पीने के पानी की कमी हो जाती है. कुएं सूख जाते हैं. दूसरी ओर प्रखंड के गनियारी डैम में भी पानी काफी कम हो गया है. यह डैम पिकनिक स्थल के रूप में क्षेत्र में विख्यात है. इस डैम में गांव के कुछ लोग मछली पालन कर अपना घर-परिवार चलाते हैं.
—-
देवघर
अभी से ही सूखने लगा सिकटिया बराज
देवघर। अभी मार्च का महीना खत्म भी नहीं हुआ है और देवघर जिले में गिरते जलस्तर ने जल संकट का इशारा कर दिया है. नदी से लेकर तालाब और कुओं का जलस्तर तेज़ रफ्तार से गिर रहा है. सिकटिया बराज डैम भी अभी से सूखता दिख रहा है. अप्रैल और मई जैसी तस्वीर मार्च में ही दिखने लगी है. जिले के कई इलाको में अभी से ही पेयजल संकट गहराने लगा है. रही सही कसर अनियमित जलापूर्ति पूरी कर रही है. देवघर नगर निगम क्षेत्र में भी लोग मार्च महीने में ही पानी के लिए परेशान दिख रहे हैं.
—
कोडरमा
तिलैया डैम का जलस्तर गिरा, अब बचा है 1055 फीट पानी, गर्मी है बाकी
मानसून खत्म होने के बाद अब तक बारिश नहीं हुई है. इससे लोगों को पानी कमी महसूस होने लगी है. साथ ही चिंता सताने लगी है. ठंड अभी खत्म ही हुई है और उससे पहले गर्मी महसूस होने लगी है. तापमान की बात करें तो तापमान 15 दिन पहले से 30 डिग्री पर पहुंच गई है. उसके साथ ही कुआं और चापाकल भी सूखने के कगार पर हैं. जबकि पास में ही तिलैया डैम है. गर्मी के आते ही इसका जलस्तर गिर गया है. बता दें कि जिले का एकमात्र तिलैया डैम चंदवारा प्रखंड में पड़ता है. इस गर्मी में डैम का जलस्तर काफी कम हो चुका है. तिलैया डैम की क्षमता 1210 फीट की है. जबकि वर्तमान में जलस्तर 1055 फीट ही पानी बचा है. पिछले मार्च में इसमें पानी ज्यादा था. तब 1190 फीट था. जो कि ठीक नहीं है. यही हाल रहा तो अभी बढ़ती गर्मी में मुश्किल और बढ़ेगी. जबकि अभी तेज गर्मी और लू बाकी है. बता दें कि तिलैया डैम पर बहुद बड़ी आबादी निर्भर करती है. यहां से पूरे जिले को पानी मिलता है. साथ ही कुछ पानी बिहार के गया जिला को भी जाता है. ऐसे में डैम का जलस्तर गिरना अच्छा संकेत नहीं है.
—-
घाटशिला
बुरुडीह डैम का पानी आठ घनमीटर घटा, अब बचा है 12 घनमीटर पानी
घाटशिला में गर्मी के दस्तक देते ही जलाशय एवं डैम की स्थिति दयनीय हो गई है. जलाशय का जलस्तर तेजी से घट रहा है. इसके आसपास रहनेवाले लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरनी शुरू हो गई हैं. उन्हें हर बार इस समस्या का सामना करना पड़ता है. बता दें कि घाटशिला प्रखंड का सबसे बड़ा जलाशय मुराहीर जलाशय बुरुडीह डैम के रूप में जाना जाता है. इस डैम के पानी पर लगभग 20 हजार की आबादी निर्भर है. इससे आसपास के कुएं और चापानल को पानी मिलता है. वहीं खेत में सिंचाई भी होती है. पिछले कई वर्षों में मार्च में इसका जलस्तर 20 घन मीटर के आसपास रहता था, लेकिन इस वर्ष लगभग 5 माह से बारिश नहीं होने के कारण 12 घन मीटर पानी शेष रह गया है. जो चिंताजनक है. डैम की क्षमता लगभग 75 घन मीटर है. ऐसा माना जाता है कि पूरी तरह से क्षेत्र में नमी सूख गई है, जिसके कारण तालाब व डैम सूखने के कगार पर हैं. जबकि पिछले वर्ष फरवरी-मार्च में 20 घन मीटर पानी था. वहीं अभी से ही आठ घन मीटर घट गया है. इस डैम के सूखने से जलापूर्ति पर तो असर पड़ेगा ही, साथ ही यहां पर्यटकों की संख्या भी कम हो जाएगी. बुरुडीह में डैम में पानी रहने पर जमशेदपुर व आसपास के लोग घूमने के लिए आते हैं.
—-
चाईबासा
रोरो नदी के डैम का जलस्तर एक फीट घटा, एक लाख लोग इस पर हैं निर्भर
गर्मी आते ही जलस्तर घटना शुरू हो गया है. चाईबासा शहर की एक लाख की जनसंख्या को जलापूर्ति करने वाला रोरो डैम का जलस्तर घट रहा है. डेढ़ माह पहले तक इस डैम में जलस्तर लगभग 4 फीट था. मार्च में घटकर डैम में लगभग 3 फीट पानी है. पिछले 2 से 3 वर्षों में पहला मौका है, जब डैम का पानी मार्च माह के निर्धारित जलस्तर से 1 फीट कम है. मार्च में इसका निर्धारित जलस्तर 4 फीट हुआ करता है और बरसात के दिनों में यह बढ़ कर 12 फीट से अधिक होता है. इससे पानी की समस्या नहीं रहती है. वहीं गर्मी के मौसम में तीन फीट पानी रहता है. इस पानी को पाइप लाइन के माध्यम से शहर के लोगों को आपूर्ति की जाती है. इस डैम पर चाईबासा के एक लाख लोग निर्भर हैं. इस वर्ष मार्च में ही इसका पानी घटने लगा है, जो चिंता का विषय है. लोगों को पानी की कमी चिंता सताने लगी है. लोग अभी से आनेवाली समस्या पर विचार करने लगे हैं.