LagatarDesk : लगातार दो महीने तक निकासी के बाद विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय शेयर बाजार में लौटा है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, मार्च में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने शेयर बाजार में 7936 करोड़ का निवेश किया है. अमेरिका की जीक्यूजी पार्टनर्स ने अडानी समूह की कंपनियों में पैसा लगाया. जिसकी वजह से मार्च में एफपीआई का निवेश मार्च में सकारात्मक रहा. इससे पहले एफपीआई ने 19 मार्च तक भारतीय इक्विटी में 11,500 करोड़ डाले थे. इसमें अडानी ग्रुप की कंपनियों में अमेरिका स्थित जीक्यूजी पार्टनर्स के बड़े निवेश का प्रमुख योगदान था. (पढ़ें, पीएम की सुपारी वाली टिप्पणी पर कांग्रेस भड़की, सिब्बल ने कहा, मोदी जी हमें नाम बतायें… हम उन पर मुकदमा करेंगे)
जनवरी-फरवरी में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से निकाले पैसे
बता दें कि इससे पहले एफपीआई लगातार दो महीने से बिकवाली कर रहे थे. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने फरवरी में 5,294 करोड़ और जनवरी में 28,852 करोड़ की शुद्ध निकासी की थी. इस तरह साल 2023 में अभी तक एफपीआई ने इक्विटी में शुद्ध रूप से 22,651 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. वहीं दिसंबर 2022 में फॉरेन इन्वेस्टर्स ने 11,119 करोड़ और नवंबर में 36,239 करोड़ रुपये का निवेश किया था. हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक और फर्स्ट रिपब्लिक बैंक में आयी वित्तीय संकट से आने वाले दिनों में एफपीआई सतर्क रुख अपना सकते हैं.
इसे भी पढ़ें : अग्निशमन विभाग बहुमंजिली इमारतों के लिए 26.85 करोड़ की लागत से खरीदेगा हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म, गृह विभाग ने दी मंजूरी
अडानी ग्रुप की कंपनियों का निवेश हटाने से एफपीआई निवेश रहा नकारात्मक
जीएलसी वेल्थ एडवाइजर एलएलपी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संचित गर्ग ने कहा कि यदि अडानी समूह की कंपनियों में आये निवेश को निकाल दिया जाये तो मार्च में एफपीआई का शुद्ध निवेश नकारात्मक हो जायेगा. इसका आशय है कि मार्च में भी एफपीआई बिकवाल ही रहे हैं. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई का सतत बिकवाली का सिलसिला समाप्त होता दिख रहा है. पिछले कुछ सत्रों से विदेशी निवेशक लिवाल बन गये हैं.
इसे भी पढ़ें : अब राज्य के सभी जिलों में आंदोलन तेज करने की तैयारी
आगे चलकर भारतीय रुपये के स्थिर रहने की संभावना-विजयकुमार
वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई के लिए निकट भविष्य का दृष्टिकोण अब और अधिक सकारात्मक दिखता है. भले ही भारतीय मूल्यांकन अपेक्षाकृत अधिक बना हुआ है. लेकिन हाल के समय में बाजार में जो ‘करेक्शन’ हुआ है उससे अब मूल्यांकन कुछ ठीक हो गया है. उन्होंने कहा कि निर्यात में बढ़ोतरी की वजह से चालू खाते के घाटे (कैड) की स्थिति सुधरी है. ऐसे में एफपीआई आगे संभवत: आक्रामक तरीके से बिकवाली नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि बीते वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा 4.4 प्रतिशत था. तीसरी तिमाही में चालू खाते का अधिशेष रहा है. इसलिए आगे चलकर भारतीय रुपये के स्थिर रहने की संभावना है.
इसे भी पढ़ें : CCL ने रचा नया कीर्तिमान, वित्त वर्ष 22-23 में 76.09 एमटी कोयले का उत्पादन किया
Leave a Reply