Adityapur (Sanjeev Mehta) : आदित्यपुर के कई इलाकों में बोरिंग सूखने लगे हैं. अपने सूखे हलक को भिंगोने के लिए कई परिवार चौथी बार बोरिंग कराने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं नगर निगम की टैंकर जलापूर्ति की बनाई गई है जो फेल होती दिख रही है. कई इलाकों में लोग टैंकर आने का इंतजार करते देखे जा रहे हैं लेकिन टैंकर नहीं पहुंच रहा है. बता दें कि नगर निगम ने बढ़ती गर्मी को देखते हुए रोज 60 हजार लीटर पानी टैंकरों से जरूरतमंदों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था जो कि फेल होता दिख रहा है. पिछले दिनों नगर निगम के नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने बताया था कि गर्मी में होने वाली पानी की किल्लत को लेकर टैंकर से जलापूर्ति की योजना बनाई गई है. उन्होंने दावा किया था कि नगर निगम क्षेत्र के करीब 47 हजार परिवार जो पाइप लाइन जलापूर्ति से मरहूम हैं और भूमिगत या टैंकर से जलापूर्ति पर निर्भर हैं, सभी को टैंकर से पानी मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
बोरिंग पर ही निर्भर हैं ज्यादातर परिवार
बता दें कि आदित्यपुर में वर्तमान जलापूर्ति योजना सीतारामपुर डैम से संबद्ध है जिसकी क्षमता महज 5 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) की है. इससे केवल करीब 13 हजार परिवारों को ही पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ मिल पा रहा है. यह योजना 60 साल पुरानी है और पाइप लाइन भी लगभग क्षतिग्रस्त हो चुकी है. ऐसे में पिछले 20 वर्षों में आदित्यपुर की आबादी तो तीन गुना बढ़ी है लेकिन इस क्षेत्र में पाइप लाइन की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. लिहाजा लोग घर में सीधे बोरिंग कराकर अपनी जरुरतें पूरी कर रहे हैंं. भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन से भूमिगत जल भी सुख चुके है. आदित्यपुर में वर्तमान में 600 फीट की गहराई तक जलस्तर पहुंच गया है इससे एक-एक परिवार को तीन से चार बार बोरिंग कराना पड़ रहा है. हर बार बोरिंग कराने पर करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च होते हैं जो 3 से 4 साल बाद सुख जा रहे हैं.
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नगर निगम के पास यह संसाधन हैं उपलब्ध
12 हजार लीटर क्षमता का 2 टैंकर, छह हजार लीटर का 1 टैंकर और दो हजार लीटर का 4 टैंकर उपलब्ध है. नगर निगम ने उपलब्ध संसाधन से जो योजना बनाई है उसके तहत 12 हजार लीटर के 1 टैंकर दिन में 2 ट्रिप लगाएंगे जिससे कि रोज 24 हजार लीटर की जलापूर्ति होगी. वहीं 6 हजार लीटर के 1 टैंकर दिन भर में 4 ट्रिप लगाएंगे जिससे कि 24 हजार लीटर जलापूर्ति होगी वहीं 2 हजार लीटर के टैंकर रोजाना 6 ट्रिप लगाएगी जिससे कि 12 हजार लीटर जलापूर्ति होगी. इस प्रकार रोज 60 हजार लीटर पानी टैंकर से जरूरतमंदों को नगर निगम देने की योजना बनाई गई है. इसके अलावा 35 वार्ड में कुल 64 एचवाईडीटी प्लांट हैं जिसे भी दुरुस्त कराया जा रहा है इस पर सभी वार्ड के करीब 20 हजार परिवार निर्भर हैं.
47 हजार परिवार हैं भू जल पर निर्भर
बता दें कि वर्तमान में आदित्यपुर की आबादी तकरीबन 60 हजार परिवारों की हो गई है लेकिन महज 13 हजार परिवारों को ही पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ मिल रहा है. बाकी के 47 हजार परिवार भू जल पर निर्भर हैं. मालूम हो कि वार्ड 17 जो नगर निगम का नया वार्ड है, इसका विकास तकरीबन 20 वर्ष पूर्व हुआ है. यहां आवास बोर्ड की 1200 के करीब एलआईजी, एमआईजी व एचआईजी प्लॉट्स एवं मकान व फ्लैट हैं. जिसमें बड़ी आबादी रहती है लेकिन इन्हें मुलभुत सुविधाएं नहीं दी गई है. यहां के लोग पिछले 20 वर्ष से भू जल पर निर्भर रहकर समय बिता रहे हैं. अब तक भी यहां के लोगों को पीने का पानी मयस्सर नहीं हो पाया है.
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आवास बोर्ड ने बगैर मूलभूत सुविधाओं के ही बसा दी रिहाइशी कॉलोनी
बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम 1982 के अध्याय 6 में यह उल्लेख है कि आवास बोर्ड को अपने विकसित किए गए क्षेत्र में सड़क, मार्ग, पेयजल, जल निकासी, स्ट्रीट लाइट जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक होगा. इस अधिनियम के तहत ही बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम 1983 की धारा 44 (क) के अनुसार पुरानी आवासीय कॉलोनी में विकास कर जून 1989 को तत्कालीन कार्यपालक अभियंता आवास बोर्ड ने तत्कालीन आदित्यपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को हैंड ओवर कर दिया. लेकिन न्यू दिंदली हाउसिंग कॉलोनी चूंकि बाद में बना इसलिए यह क्षेत्र अब तक आवास बोर्ड के अधीन है. यहां जो भी मुलभुत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है इसके लिए आवास बोर्ड को पहल करने की जरुरत है.