Ranchi: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में झारखंड भाजपा के 9 सांसद-विधायक पसीना बहा रहे हैं. झारखंड से गये नेताओं को मुख्य रूप से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के गढ़ गुलबर्गा (कलबुर्गी) में किलाबंदी करने की जिम्मेदारी मिली है. झारखंड से सांसद आदित्य साहू, निशिकांत दुबे, सुनील सिंह, विधायक मनीष जायसवाल, बिरंची नारायण, अनंत ओझा, कोचे मुंडा और नीरा यादव यहां कैंप कर रहे हैं. पूर्व राज्यसभा सांसद अजय मारू भी चुनाव प्रचार में हिस्सा ले रहे हैं. झारखंड से गये नेता गुलबर्गा जिले के गुलबर्गा दक्षिण, गुलबर्गा उत्तर, चित्तापुर और सेदम में चुनाव प्रचार, जनसंपर्क, सांगठनिक बैठकों, चुनावी सभाओं में तो हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा अपने-अपने समाज और जाति से जुड़े संगठनों के नेताओं और बुद्धीजीवियों से भी संपर्क कर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं.
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चित्तापुर में आदित्य साहू ने संभाला है कमान
गुलबर्गा जिला मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ माना जाता है. वे यहां से 2014 और 2009 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वहीं उनके पुत्र प्रियंक खड़गे गुलबर्गा के चित्तापुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं. इस सीट से मल्लिकार्जुन भी चुनाव जीत चुके हैं. चित्तापुर में 1952 से 2008 तक कांग्रेस 12 बार चुनाव जीत चुकी है. 2009 में एक बार भाजपा ने यहां सेंधमारी की थी. 2013 और 2018 में प्रियंक खड़गे यहां से लगातार दो बार चुनाव जीते हैं. चित्तापुर में झारखंड से राज्यसभा सांसद आदित्य साहू एक हफ्ते से कमान संभाले हुए हैं. उनके साथ कोचे मुंडा भी चुनाव अभियान में पसीना बहा रहे हैं.
निशिकांत दुबे गुलबर्गा में बहा रहे पसीना
सांसद निशिकांत दुबे गुलबर्गा उत्तरी और गुलबर्गा दक्षिणी विधानसभा में लगातार दौरा कर रहे हैं. निशिकांत ब्राम्हण और राजपूत नेताओं और संगठन के लोगों से मिलकर उन्हें भाजपा के पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं. गुलबर्गा दक्षिण में 2018, 2013 और 2008 में लगातार तीन बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. इसलिए भाजपा यहां इस बार भी जीत का परचम लहराने के लिए बेकरार है. लेकिन गुलबर्गा उत्तर में राह आसान नहीं है, क्योंकि यहां 2018, 13 और 08 में लगातार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.
सेदम विधानसभा में सुनील सिंह कर रहे बैठकें
सांसद सुनील सिंह सेदम विधानसभा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. सेदम में 2018 में भाजपा ने कब्जा किया है. इससे पहले 1999 से 2013 तक लगातार 4 बार कांग्रेस ने वहां कब्जा जमाया है. कुल मिलाकर इस सीट पर कांग्रेस अबतक 6 बार जीत चुकी है. सुनील सिंह लगातार कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ बैठक कर चुनाव में जीत की रणनीति बना रहे हैं.
यादगीर, आलंद और यशवंतपुर में भाजपा को फिर से जिताने की चुनौती
सांसद अनंत ओझा को यादगीर विधानसभा का जिम्मा मिला है. यादगीर में 2018 में भाजपा ने कब्जा जमाया था. लेकिन इससे पहले 1978 से 2013 तक 7 बार यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. उधर बिरंची नारायण की आलंद विधानसभा में ड्यूटी लगी है. आलंद में फिलहाल भाजपा का कब्जा है. इससे पहले एक बार वहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज किया था. वहीं विधायक मनीष जायसवाल बेंगलुरु जिला का यशवंतपुर विधानसभा क्षेत्र मिला है. 2019 के उपचुनाव में भाजपा यहां से चुनाव जीती है, लेकिन इससे पहले 4 बार कांग्रेस यहां से जीत चुकी है.
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