Dhanbad : शहर के कोर्ट मोड़ स्थित सदर अस्पताल में आंखों की जांच करनेवाला डॉक्टर नहीं है. 3.5 लाख की लागत से खरीदी गई फोरोप्टर मशीन भी बेकार पड़ी है. परिणाम यह है कि अस्पताल का नेत्र जांच विभाग पूरी तरह ठप पड़ गया है. फोरोप्टर मशीन की खरीदारी आंखों के बेहतर इलाज के लिए की गई थी. मगर डॉक्टर ही नहीं तो बेचारी मशीन क्या करे. बंद कमरे के कोने में धूल फांक रही है. अस्पताल में प्रतिदिन आंख के दर्जनों मरीज पहुच रहे हैं और डॉक्टर को ढूंढ़ते हुए बिना इलाज कराए बैरंग लौट जाते हैं.
इलाज कराना है तो गुरुवार को आएं
सूत्रों की मानें तो सदर अस्पताल में नेत्र जांच विभाग मात्र एक असिस्टेंट के भरोसे है. वह भी एक माह से छुट्टी पर है. अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञों का ना होना तथा ऑप्थैठलमिक असिस्टेंट के छुट्टी पर जाने से नेत्र जांच सेवा पूरी तरह ठप पड़ गयी है. कतरास के अंगार पथरा निवासी रमेश प्रसाद मंगलवार 2 मई को अपनी 15 वर्षीय बच्ची की आंख का इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचे. उन्हें अस्पताल कर्मियों ने बताया कि डॉक्टर नहीं रहने के कारण इलाज बंद है. अगर जांच कराना है तो गुरुवार को आना पड़ेगा.
हमारे पास क्टर ही नहीं: उपाधीक्षक
अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि मोतियाबिंद सहित आंख के कई अन्य ऑपरेशन ठप हैं. फिलहाल अस्पताल प्रबंधन ने एक नेत्र रोग विशेषज्ञ को हायर किया है, जो हर गुरुवार को सदर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की आंख का इलाज करते हैं. अस्पताल के उपाधीक्षक संजीव प्रसाद कहते हैं कि हमारे पास डॉक्टर नहीं है. इसीलिए आंख की मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को लिखा गया है, लेकिन डीएमएफटी की तरफ से अब तक अस्पताल को डॉक्टर उपलब्ध नहीं कराया गया है. फिलहाल मरीजों की परेशानियों को देखते हुए विकलांग दिवस के दिन गुरुवार को एक डॉक्टर अप्वॉइंट किया है, जो मरीजों को इलाज कर रहे हैं.