Chaibasa (Sukesh Kumar) : झारखंड पुनरुत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु के संयोजन कैफेट्रिया होटल चाईबासा में बुधवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान सन्नी सिंकु ने कहा कि झारखंड पुनरूत्थान अभियान आगामी 9 जून धरती आबा बिरसा मुंडा की पुण्यथिति के दिन से पदयात्रा कार्यक्रम तय किया है. बिरसा मुंडा, पोटो हो, तिलका मांझी, सिदो कान्हु, बुद्धू भगत, गंगा नारायण सिंह, रघुनाथ महतो, तिलंगा खड़िया, शेख भिखारी, उमराव टिकैत, निलंबर पीताम्बर जैसे अनगिनत झारखंड के पुरखों ने अंग्रेजी सरकार के जमींदार, ठेकेदार, सूदखोर के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और उसी तरह से डुबरी में टाटा स्टील के खिलाफ जमीन की रक्षा करते हुए दर्जनों आदिवासियों ने जान की कुर्बानी दी थी.
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उसके बाद भी टाटा स्टील फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट जैसे बड़े कारखाना मालिक अंग्रेजों से भी अधिक उपनिवेशवादी साबित हो रहे हैं. टाटा स्टील फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट के संयुक्त पहल पर जमशेदपुर से डुबरी खान (कालिंगनगर) ओडिसा तक 286 किलोमीटर के बीच विकास गलियारा के नाम पर आदिवासी मूलवासियों को अनैच्छिक विस्थापित करने वाला विकास गलियारा कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिस विकास गलियारा को झारखंड और ओडिशा की सरकार भी साथ दे रही है. इसीलिए जमशेदपुर से कालिंगनगर के बीच 286 किलोमीटर में 450 गांव को विकास गलियारा के तहत विकास के नाम पर आदिवासी मूलवासियों को विनाश करने का मॉडल तैयार किया गया है. पदयात्रा का शुरुवात जमशेदपुर के खैरबानी, मनपिटा, बिरसानगर, बारीडीह, बिरसा चौक साकची में बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद करांडी, हाता, राजनगर, चाईबासा, झींकपानी, हाटगमरिया, जैतगढ़, चंपुआ, रिमिली, क्योंझर, हरिचंदनपुर, सगरपोटा, टोंका, डुबरी के शहीद स्थल वीरभूमि पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद समापन सभा आयोजित की जाएगी.
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मौके पर पूर्व राज्यसभा सांसद दुर्गा प्रसाद जामुदा ने कहा कि जमशेदपुर से कालिंगनगर के बीच पड़ने वाली दूरी मूल रूप से आदिवासी मूलवासी क्षेत्र है. इन क्षेत्रों में विकास गलियारा बनने से आदिवासी मूलवासियों की सामाजिक, पारंपरिक, रूढ़ी या प्रथा, दस्तूर, संस्कृति और आबादी पर पूरी तरह से असर पड़ेगा. पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू ने कहा कि टाटा स्टील फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट के द्वारा प्रायोजित विकास मॉडल आदिवासियों का विनाश करने वाला मॉडल है. झारखंड पुनरूत्थान अभियान के संयोजक पूर्व बैंक कर्मी अमृत मांझी ने कहा कि नव जवान अपने और आने वाले पीढ़ी को बचाने के लिए अब आदिवासी मूलवासियों के पास लड़ने और संघर्ष करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. हम नहीं लड़े तो विस्थापित हो जायेंगे.