हजारीबाग में 1485 स्कूलों में नामांकित हैं 2.26 लाख नौनिहाल
दो माह अतिरिक्त मोहलत के बाद भी प्रिंटर्स नहीं कर पा रहे आपूर्ति
राज्य परियोजना ने कराया है टेंडर, प्रखंडवार स्कूलों में पुस्तकें पहुंचाने की तय की गई है जिम्मेदारी
Amarnath Pathak
Hazaribagh : शैक्षणिक सत्र 2023-24 शुरू हो चुका है, लेकिन बच्चों के पास अब तक किताबें ही नहीं पहुंच पायी हैं. दो माह का अतिरिक्त मोहलत मिलने के बाद भी प्रिंटर्स स्कूलों में वक्त पर पुस्तक आपूर्ति करने में पूरी तरह फेल रहा है. वह तो बीच में ग्रीष्मावकाश हो गया, अन्यथा नौनिहालों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती. पहले शैक्षणिक सत्र अप्रैल से मार्च था. दो वर्ष कोविड काल रहने के कारण अब यह सत्र जुलाई से जून कर दिया गया है. एक तरह से कहें, तो पुस्तक मार्च तक ही स्कूलों में पहुंच जानी चाहिए. लेकिन जून गुजरने को है, फिर भी बच्चों तक किताबें नहीं पहुंची हैं. हजारीबाग जिले के 1485 स्कूलों में दो लाख 26 हजार 772 बच्चे नामांकित हैं. यह बच्चे कक्षा एक से दसवीं तक के हैं.
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शिक्षक और समिति के अध्यक्ष ने कहा- नहीं पहुंची हैं पुस्तकें
कदमा मिडिल स्कूल की ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष मुरारी सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय में नए शैक्षणिक सत्र में एक भी बच्चे को पुस्तकें नहीं मिली हैं. प्राथमिक विद्यालय कनौदी दारू के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव झा ने भी यही बात कही.
पदाधिकारी बीच-बचाव की करते हैं बात
डीइओ उपेंद्र नारायण कहते हैं कि कक्षा दो की पुस्तकें जिले में आ चुकी हैं. वहीं झारखंड शिक्षा परियोजना की एडीपीओ सुनीला लकड़ा कहती हैं कि 21 जून से पुस्तकें पहुंचनी शुरू हो चुकी हैं. पहले किताब आ जाने से रखरखाव में परेशानी होती थी. इसलिए वक्त पर ही किताबें मंगाई जा रही हैं. नए शैक्षणिक सत्र शुरू हुए अभी क्लास शुरू हुए दो से तीन दिन हुए हैं. पहले से पुस्तक बैंक में कुछ पुस्तकें उपलब्ध हैं. हालांकि कोई माकूल जवाब नहीं दे रहे हैं. पदाधिकारी बीच-बचाव का बयान दे रहे हैं.
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जून तक पुस्तकें नहीं मिलीं, तो होगी परेशानी : मनोज कुमार
झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी जिलाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि जून तक पुस्तकें नहीं मिली, तो नौनिहालों को परेशानी होगी. यह शिक्षा पदाधिकारियों की जिम्मेवारी है कि प्रिंटर्स या राज्य परियोजना पर पहले से दबाव बनाकर शैक्षणिक सत्र शुरू होने के पहले पुस्तकें मंगवाकर कर बच्चों तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी. लेकिन इस मामले को नजरअंदाज किया गया, इसी का परिणाम है कि अब तक पुस्तकें नहीं आयी हैं. शिक्षक जहां बच्चों को पढ़ाने के प्रति गंभीर रहते हैं, विभागीय पदाधिकारी बेफिक्र रहते हैं. निश्चित रूप से पुस्तकों के बिना बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
इस सप्ताह आ जाएंगी किताबें : डीइओ
डीइओ उपेंद्र नारायण ने कहा कि निश्चित रूप से इस सप्ताह किताबें आ जाएंगी. आपूर्तिकर्ता को ही प्रखंड और विद्यालय वार पुस्तकें उपलब्ध कराई जानी है. यह राज्य परियोजना से ही टेंडर हुआ है. वह सूची मिलान करा रहे हैं कि कहां-कहां पुस्तकें आयी हैं.