- छोटे-छोटे इलाज के लिए भी बंदी मरीज भेजे जाते हैं शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल
- दवाओं की जगह सिर्फ लिया जाता है बिल
- टेंडर लेनेवाली एजेंसी से होनी थी दवाओं की आपूर्ति
Hazaribagh : लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. जेल अस्पताल में न तो ढंग से बंदियों का इलाज किया जाता है और न ही हर प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराई जाती है. छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी मरीजों को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया जाता है. बताया जाता है कि छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए यहां दवाइयां भी उपलब्ध नहीं रहती है.
अगर दवाइयां हैं, तो मरीजों को क्यों नहीं दी जाती है, यह भी यक्ष प्रश्न है. सेंट्रल जेल में दवाइयों की आपूर्ति के लिए टेंडर का प्रावधान है. यह टेंडर सदर अस्पताल में पूरे सरकारी संस्थानों के लिए कराया जाता है. उन्हीं एजेंसियों में कुछ सेंट्रल जेल में दवाओं की आपूर्ति करते हैं. बताया जाता है कि सदर अस्पताल से बंदी मरीजों का इलाज करा लिया जाता है और जेल के दवाओं की खपत बिल के माध्यम से दिखा दी जाती है. यह जेल प्रशासन की मर्जी पर निर्भर होता है कि कितनी दवाओं की खपत दिखा कर कितने का बिल बनाना है.
एजेंसी से मांगा जाता 10 से 15% तक कमीशन
बताया जाता है कि जेल के अंदर भेजी जाने वाली दवाइयां कम होती हैं और बिल मर्जी के अनुसार बना लिया जाता है. इसमें एजेंसी से 10 से 15% तक कमीशनखोरी की बात कही जा रही है. इसी कमीशनखोरी की वजह से कई ऐसी एजेंसियां थीं, जिसने जेल में दवाओं की आपूर्ति बंद कर दी. ऐसे एजेंसी संचालकों का कहना है कि वह टेंडर भी लेते हैं और उनसे दवाएं भी नहीं खरीदते हैं. सिर्फ बिल का खेल चलता है, जिसे देना वे लोग भी पसंद नहीं करते हैं. चूंकि उनका दिया गया बिल पक्का होता है, इसलिए जितनी दवाइयां देंगे, उतने का ही बिल देंगे.
दवाओं और बिल के बीच ये कैसा खेल
केस-1 : जेल के एक बंदी सोहर हेंब्रम को कांख में छोटा सा जख्म हुआ था. उसका इलाज जेल अस्पताल में न कर गुरुवार को सीधा शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया. दवा का अभाव बताकर उसे सदर अस्पताल इलाज के लिए भेज दिया गया. बंदी विष्णुगढ़ के अरजरी का रहनेवाला है. वह 29 दिसंबर को झाड़-फूंक करने वाले ओझागुणी की हत्या के आरोप में 19 दिसंबर 2022 से जेल में है. उसने बताया कि जेल अस्पताल में दवाई नहीं थी, इसलिए सदर अस्पताल भेजा गया.
केस-2 : गिरिडीह पुलिस लाइन रोड निवासी सुनील कुमार राय 13 साल से हजारीबाग जेपी केंद्रीय कारा में बतौर बंदी है. उसे हल्की बुखार आयी और दवाई के अभाव में उसे शुक्रवार को सदर अस्पताल भेज दिया गया. बंदी सुनील कुमार राय ने बताया कि सीने में हल्का दर्द है और बुखार लग रहा है, इसलिए सदर अस्पताल भेजा गया.
जेल से इलाज के लिए नहीं भेजा गया है कोई बंदी : अधीक्षक
जेपी केंद्रीय कारा के अधीक्षक कुमार चंद्रशेखर ने कहा कि इस जेल से कोई बंदी इलाज के लिए सदर अस्पताल नहीं भेजा गया है. जहां तक दवाओं की बात है, तो जेल में गायत्री इंटरप्राइजेज से आपूर्ति की जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि जिस बीमारी के विशेषज्ञ डॉक्टर जेल में नहीं हैं और उस बीमारी की शिकायत आती है तो बंदी को तो सदर अस्पताल भेजा ही जाएगा.
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