Koderma: सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में एनपीएचसीई के तहत जेरियाट्रिक क्लब की बैठक सिविल सर्जन सह अध्यक्ष जेरियाट्रिक क्लब की अध्यक्षता में हुई. इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार ने क्लब के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि बुजुर्गावस्था एक सतत, अपरिवर्तनीय और सार्वभौमिक प्रक्रिया है. हालांकि जिस उम्र में व्यक्ति के उत्पादक योगदान में गिरावट आती है और वह आर्थिक रूप से निर्भर हो जाता है, उसे संभवतः जीवन के वृद्ध चरण की शुरुआत माना जाता है. जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार भारत में लगभग 10 करोड़ बुजुर्ग हैं. औद्योगीकरण, शहरीकरण, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और वैश्वीकरण के प्रभाव में भारतीय समाज तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. नतीजतन पारंपरिक मूल्य और संस्थाएं क्षरण की प्रक्रिया में हैं, जिसके परिणाम स्वरूप अंतर-पीढ़ीगत संबंध कमजोर हुए हैं, जो भारतीय पारंपरिक परिवार की पहचान थे. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के देखभाल के लिए सबसे जरुरी है कि आप उनसे पारस्परिक प्यार वाला व्यवहार रखें और उनका सम्मान करें. थोड़ा समय निकाल कर आप अपने दादा-दादी, नाना-नानी या फिर मम्मी-पापा के बूढ़े चेहरों पर मुस्कान ला सकते हैं.
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