मो. शफीक थे मंदिर निर्माण समिति के उपाध्यक्ष, साल 1948 से हो रही है दुर्गा पूजा
Ashish Tagore
Latehar: शहर का श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर न सिर्फ लातेहार वरन आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. लोग यहां दूर-दूर से मां का दर्शन करने आते हैं. माता के चरणों में माथा टेक कर सुख व समृद्धि की कामना करते हैं. यही नहीं श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सोहार्द की मिसाल भी है. जब साल 1992 में इस मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था तो मुस्लिम समुदाय के मो शफीक (अब महरूम) को मंदिर निर्माण समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया था. मो शफीक ने न सिर्फ मंदिर निर्माण में व्यक्तिगत रूप से आर्थिक सहयोग दिया वरन चंदा संग्रहण में भी अहम भागीदारी निभाई. श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर के सिल्वर जयंती वर्ष पर मो. शफीक के पुत्र मो. शकील अख्तर (सदस्य, स्थायी लोक अदालत, लातेहार) को मंदिर समिति के द्वारा माता की चुनरी भेंट कर सम्मानित किया था. मो शकील ने अपने विचार व्यक्त किये थे कि इस मंदिर से उनका एवं उनके परिवार का विशेष लगाव है.
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वर्ष 1994 में स्थापित हुई थी मां वैष्णव दुर्गा की प्रतिमा
आज जिस स्थान पर श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर है, वहां एक बड़ा सा तालाब हुआ करता था. आजादी के एक साल बाद साल 1948 को तालाब के एक हिस्से को भर कर देवी मंडप का निर्माण कराया गया था. उसके बाद से लगातार देवी मंडप में माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती थी. बाद में यहां एक मंदिर निर्माण कराने का निर्णय लिया गया. वर्ष 1992 में यहां मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किया गया. दो वर्ष बाद वर्ष 1994 में माघ मास की त्रयोदशी, शुल्क पक्ष को मंदिर में माता वैष्णव दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी. तब से प्रति वर्ष इस तिथि को मंदिर का तीन दिवसीय स्थापना दिवस मनाया जाता है. स्थापना दिवस कार्यक्रम में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तक भाग ले चुके हैं.
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विधायक बैद्यनाथ राम ने बनवाया विवाह मंडप
झारखंड अलग होने के बाद जब बैद्यनाथ राम विधायक बने तो उन्होंने अपने विधायक कोटे की राशि से मंदिर परिसर में एक विशाल विवाह मंडप का निर्माण कराया. बैद्यनाथ राम ने विधायकी के अपने दूसरे कार्यकाल में भी विवाह मंडप के उपर एक हॉल एवं छह कमरों का निर्माण कराया है. आज मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष दर्जनों शादियां व अन्य कार्यक्रम होते हैं. बता दें कि अभिनंदन प्रसाद ने लगातार 30 वर्षों तक मंदिर समिति के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवायें दी. इन 30 वर्षों में मंदिर ने काफी विकास किया और प्रतिष्ठा हासिल की. श्री प्रसाद के स्वेच्छा से त्याग पत्र देने के बाद राजेश कुमार गुप्ता (भोला) को मंदिर समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.