Pravin Kumar
Ranchi : झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, रांची के संचालन में नियमों को ताक पर रख दिया गया है. झारखंड सरकार और नाबार्ड भी बैंक में हो रही अनियमितताओं की तरफ से नजरें फेरे हुए है. इससे बैंक में जमा किसानों व अन्य जमाकर्ताओं की खून-पसीने की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गये हैं. बैंक के बायलॉज के अनुसार हर तीन माह में बोर्ड की बैठक होनी चाहिए, लेकिन बैठक 9 माह से बैठक नहीं हुई है. जानकारी के अनुसार निदेशक मंडल के कुछ सदस्य अपने हिसाब से बैंक को चलाना चहते हैं. इसलिए बायलॉज एवं बोर्ड को दरकिनार कर बैंक का कामकाज चलाया जा रहा है. बैंक में घोटालो की आशंका के कारण निदेशक मंडल के पांच सदस्य इस्तीफा भी दे चुके हैं. सूचना के अनुसार झारखंड सरकार के निबंधक (सहयोग समितियां) के समक्ष बैंक के निदेशक मंडल भंग कर प्रशासक की नियुक्ति करने की मांग उठायी गयी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बिना बोर्ड के अनुमोदन के दिये जा रहे बड़े लोन
झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के पास करीब 2200 करोड़ की पूंजी है. इसमें झारखंड के किसानों तथा अन्य जमाकर्ताओं करीब 1700 करोड़ रुपये जमा हैं. बैंक ने करीब 500 करोड़ रुपये ऋण के रूप में भी दिये हैं. इसमें अकेले एफसीआई को 300 करोड़ रुपये का लोन दिया गया है. यह लोन भी बोर्ड की बैठक में पास कराये बिना ही दिया गया बताया जाता है.
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बैंक के 13 निदेशकों में 5 दे चुके हैं इस्तीफा
जानकारी के अनुसार बैंक के 13 निदेशकों में से 5 सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं. इस्तीफा देने वाले सदस्यों में बास्को बेसरा, कौशल्य कुजूर, सुनयना पाठक, शंभू चरण कर्मकार और प्रभात कुमार सिंह शामिल हैं. इन पांच से सुनयना पाठक और कौशल्या कुजूर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. तीन अन्य सदस्यों के इस्तीफे पर अध्यक्ष ने अभी तक फैसला नहीं लिया है. वहीं शंभू चरण कर्मकार द्वारा इस्तीफा वापस लिये जाने की जानकारी मिली है.
बैंक के निदेशक मंडल में हैं ये हैं शामिल
वर्तमान में बैंक के निदेशक मंडल में अध्यक्ष अभयकांत प्रसाद के अलावा मीरा सिंह, प्रमिला देवी, नगीना सिंह, रघुनंदन पाठक, बैंक के सीईओ प्रेम प्रकाश, कृषि निदेशक निशा उरांव एवं सीजीएम नाबार्ड निदेशक के रूप में हैं. बैक का सुपविजन भी नाबार्ड के हाथ में ही है.
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क्या कहते हैं इस्तीफा दे चुके बास्को बेसरा
लगातार न्यूज से बातचीत में बैंक के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे चुके बास्को बेसरा ने कहा कि कुछ निदेशकों द्वारा मनमानी की जा रही है. इससे बैंक के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. बेसरा के इस्तीफे का कारण पूछे जाने पर उन्होंने साफ-साफ कहा कि बैंक में गड़बड़ी की जा रही है. फर्जी तरीके से लोन दिया जा रहा है. बिना बोर्ड मीटिंग के ही फैसले लिये जा रहे हैं. इस स्थिति में बैंक के निदेशक मंडल में रहना उचित नहीं है .कुछ लोग गरीब किसानों का पैसा डुबाने में लगे हैं. बोर्ड के कुछ लोग अपने लोगों को लाभ पहुंचाने में लगे हैं. इसके विरोध में मैंने इस्तीफा दिया है.