Kaushal Anand
Ranchi : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के करीब साढ़े छह माह बाद बाबूलाल मरांडी ने अपनी टीम का एलान कर दिया है. पिछले दिनों मरांडी ने 44 लोगों की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित कर दी. मगर इस घोषित टीम में एक बार फिर बाबूलाल मरांडी के पुराने कैडर (झाविमो) के नेताओं और पदाधिकारियों की घोर उपेक्षा होने की बात सामने आयी है. मात्र तीन पुराने झाविमो नेताओं को जगह मिली है.
उम्मीद थी कि मरांडी को कमान मिलने के बाद उनका वनवास समाप्त होगा
भाजपा में विलय के बाद से आशान्वित रहे झाविमो के नेता और पदाधिकारियों को दूसरी बार निराशा हाथ लगी है. इन्हें उम्मीद थी कि उनके नेता बाबूलाल मरांडी को कमान मिलने के बाद उनका वनवास समाप्त होगा. मगर फिर निराशा ही हाथ लगी. शुभम संदेश ने पुराने झाविमो के कई पदाधिकारियों एवं नेताओं से बात की, तो कई ने खुद फोन किया और अपनी पीड़ा बतायी. नाम कोट नहीं करने की शर्त पर बताया कि उन लोगों ने करीब 15 साल तक बाबूलाल के लिए खून-पसीना बहाया, लाठी-डंडा, गोली तक खायी. झाविमो को मजबूत करने में विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में उनके साथ खड़े रहे. मगर लगातार दूसरी बार उनलोगों को काफी निराशा हाथ लगी है.
इन्होंने यह भी कहा कि क्या वे लोग केवल पार्टी का झंडा ढोने के लिए आये हैं. बताया कि वे लोग काफी निराश एवं हताश हैं. जल्द वे लोग एक बैठक करेंगे और आगे का रणनीति तय करेंगे. यहां तक कि पार्टी छोड़ने का भी निर्णय हो सकता है.
40-60 की शर्त पर 2020 में झाविमो का भाजपा में हुआ था विलय
17 जनवरी 2020 में झाविमो के भाजपा में विलय के समय यह तय हुआ था कि जब भी कमेटी घोषित की जायेगी, उसमें भाजपा के लोगों को 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत झाविमो के नेताओं को जगह मिलेगी. झाविमो का करीब 250 से अधिक पदाधिकारी और कुल 20 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में विलय हुआ था. सभी को आशा थी कि बाबूलाल अपने पुराने कैडरों को सेट करायेंगे.
पहले तो दीपक प्रकाश ने कमेटी ही घोषित नहीं की. बाद में गिने-चुने झाविमो नेताओं को संगठन में मामूली पद दिये गये. जब अचानक बाबूलाल को कमान मिली तो पुराने झाविमो कैडरों का चेहरा खिल उठा. छह महीने तक इंतजार करते रहे. मगर जब टीम घोषित हुई तो सभी निराश हो गये. महज तीन पुराने झाविमो नेता सुनीता सिंह रांची, सरोज सिंह धनबाद और दिलीप वर्मा गिरिडीह को मरांडी ने अपनी टीम में जगह दी है.
झाविमो के पूर्व केंद्रीय पदाधिकारियों तक को नहीं मिली जगह
अगर झाविमो के जिलाअध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष को छोड़ दिया जाये तो पुराने झाविमो के केंद्रीय पदाधिकारियों को भी मरांडी ने अपनी नयी टीम में जगह नहीं दी. अगर झाविमो केंद्रीय कार्यकारिणी कमेटी की बात करें, तो महासचिव रहे अभय सिंह, केंदीय महामंत्री संतोष कुमार, उपाध्यक्ष विनोद शर्मा, सचिव रमेश राही, उपाध्यक्ष रामचंद्र केशरी, सचिव राजीव रंजन मिश्रा, सचिव सुनील कुमार गुप्ता, छात्र मोर्चा अध्यक्ष जितेंद्र कुमार रिंकू, झाविमो युवा मोर्चा केंद्रीय अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, झाविमो महिला मोर्चा अध्यक्ष शोभा यादव, मीडिया प्रभारी तौहिद आलम, उत्तम यादव, सुचिता सिंह, जितेंद्र कुमार, मंतोष सिंह, सत्येंद्र वर्मा, प्रकाश तिर्की, संजय तिग्गा, संजय टोप्पो समेत कई ऐसे नेता जो मरांडी (झाविमो)की टीम में अहम पदों पर रहे और संगठन को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, इन सभी को बाबूलाल ने अपनी भाजपा के घोषित नयी टीम में पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है.