Palamu : कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य में लॉकडाउन लगाया गया है. जिसका असर कई क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के कारण पोषण अभियान पर भी गहरा असर पड़ा है. लंबे समय से आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के कारण बच्चों में कुपोषण का स्तर बढ़ा है. और कुपोषित बच्चों की मॉनिटरिंग भी नहीं हो पा रही है. सरकार का आदेश है कि आंगनबाड़ी सेविकाएं घर-घर जाकर पोषण का स्तर देखेंगी. लेकिन सरकार के इस आदेश का पालन पलामू जिले में नहीं हो रहा है.
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पौष्टिक आहार भी लाभुकों तक नहीं पहुंच पा रहा है
जिले में आंगनबाड़ी सेंटरों में गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली पौष्टिक आहार भी लाभुकों तक नहीं पहुंच पा रहा है. सेन्टर पर चलने वाली कई योजनाएं इस महामारी में प्रभावित हो रही हैं. घर- घर राशन पहुंचाने का काम जिले के अधिकतर इलाकों में बंद है. कुछ गांवों में लोग खुद ही आंगनबाड़ी सेविका के घर जाकर राशन ले रहे हैं. जो बच्चे कुपोषित हैं उनकी देखभाल हर स्तर पर काम बंद है. आंगनबाड़ी सेविकाएं खुद इस बात को स्वीकार कर रही हैं कि घर-घर जाकर बच्चों की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है.
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आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पौष्टिक हलवा भी कई महिनों से बंद है
आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के लिए मिलने वाला पौष्टिक हलवा भी बंद है. जिससे ग्रामीण इलाकों की गर्भवती महिलाओं में प्रोटीन की कमी ज्यादा हो रही है. ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और बच्चों में पोषण की भारी कमी है क्योंकि पैसे के अभाव में पौष्टिक तत्वों का सेवन करने में लोग असमर्थ हैं, इधर लॉकडाउन का बहाना बनाकर सरकारी योजनाएं भी ठंडे बस्ते में चला गया है. अगर कुछ महीने तक स्थिती यही रही तो पलामू में कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ने की पूरी आशंका है. साथ ही गर्भवती महिलाओं पर भी अगर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो प्रसव के दौरान होने वाली मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने की आशंका जतायी जा रही है.
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