Ranchi: राजधानी के नामकुम में स्थित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान शताब्दी समारोह मना रहा है. शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिरकत करेंगे. एक सदी में यह संस्थान कई उपलब्धियों को समेटे हुए है. निदेशक डॉ. अभिजीत कर ने बताया कि पिछले एक सदी में लाखों किसानों को वैज्ञानिक खेती एवं प्रसंस्करण में मदद की है. इसमें मुख्यतः झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के पिछड़े जिलों में निवास करने वाले आदिवासी और गरीब किसान शामिल हैं. करीब 10 लाख से अधिक कृषि परिवार लाभान्वित हुए हैं.
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लाह उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाई
संस्थान ने अनुसंधान, नवाचार, और खेती, प्रसंस्करण, और अनुप्रयोगों में उन्नति के माध्यम से देश को लाह उत्पादन में अपनी अगुवाई बनाए रखने में मदद की है. लाह के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुरक्षित करने और झारखंड और छत्तीसगढ़ में इसे कृषि उत्पाद के रूप में घोषित करवाने में संस्थान की भूमिका शामिल है. ‘कुसुमी लाह उत्पादन बेर के पेड़ों पर’ और ‘फ्लेमिंजिया सेमियालता पर लाह खेती’ जैसी प्रौद्योगिकियों ने लाह को एक प्लांटेशन फसल में बदल दिया. संस्थान की नवाचारों ने 100 करोड़ की अतिरिक्त वार्षिक आय अर्जित की. देशभर में लाह उत्पादन को स्थिरता प्रदान किया. भारत सालाना लगभग 8,000 टन लाह और मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करता है.
अगले 25 वर्षों में विश्व का अग्रणी संस्थान बनाने का है लक्ष्य
संस्थान के निदेशक ने बताया कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि उत्पादों से उच्च मूल्य वाले अणुओं का विकास और ग्रामीण औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि उत्पादों से मूल्यवर्धित अणुओं का विकास कर अगले 25 वर्षों में विश्व के अग्रणी संस्थान बनने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लाह को राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उपज का दर्जा देने के साथ लाह को कृषि उपज के रूप में मान्यता देकर इसके उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य होना चाहिए.
चक्रीय कृषि के लिए निरंतर प्रयासरत
संस्थान चक्रीय कृषि के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करने और अग्रणी बनने के लिए निरंतर प्रयासरत है. यह अनुसंधान, उन्नत प्रशिक्षण और नई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से चक्रीय कृषि के सिद्धांतों को बढ़ावा दे रहा है. संसाधनों के कुशल प्रबंधन और प्रभावी नीतियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करके, संस्थान कृषि की स्थिरता और उत्पादकता को सुधारने में जुटा है. इस प्रयास से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चक्रीय कृषि में नवाचार और नेतृत्व को प्रोत्साहन मिल रहा है.
कार्यक्रम में ये करेंगे शिरकत
कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ,मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ शामिल होंगे.
तीन पुस्तकों का होगा लोकापर्ण
मुख्य कार्यक्रम के बाद, डॉ. हिमांशु पाठक संस्थान के शताब्दी स्मारक के रूप में “माय स्टाम्प” के साथ “लाक्षा 2024”, “विज़न 2047”, “100 वर्षों की उत्कृष्टता” नामक तीन पुस्तकों का लोकार्पण करेंगे. इस अवसर पर मुख्य पोस्टमास्टर जनरल झारखंड विधान चन्द्र रॉय, उपमहानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी) एवं सहायक महानिदेशक (प्रक्षेत्र अभियांत्रिकी) भी उपस्थित रहेंगे.
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