– झामुमो ने कहा: माहौल बिगाड़ने के लिए पर्याप्त सुरक्षा के बावजूद 500 सीआरपीएफ जवान उतारे गए
– ईडी के अनुरोध पर सरकार ने 2 हजार पुलिस कर्मियों को उनके परिवार की सुरक्षा में लगाये
– इसके बावजूद झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने का प्रयास किया, माहौल बिगाड़ने का प्रयास हुआ, बिना अनुमति के सीएम हाउस में प्रवेश का प्रयास किया
– पूरे मामले की और सीआरपीएफ आईजी की भूमिका की जांच हो, नहीं तो झामुमो करेगा आंदोलन
Ranchi: झामुमो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान उतारे गए 5 से अधिक सीआरपीएफ के जवानों को लेकर हमला बोला है. झामुमो ने गंभीर अरोप लगाते हुए कहा कि एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्र ने तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने साजिश रची गयी थी. अगर झामुमो कार्यकर्ता संयम न बरते तो विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती थी. इसके बाद राज्य में विधि-व्यवस्था का हवाला देकर राष्ट्रपति शासन के हालात पैदा किया जा सके. पार्टी ने राज्य सरकार से सीआरपीएफ आईजी की भूमिका की जांच की मांग की है, नहीं तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है. यह बातें झामुमो केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद कुमार पांडेय ने कही.
इन्होंने कहा कि ईडी के अनुरोध पर ही राज्य सरकार द्वारा विधि-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रांची जिला प्रशासन ने ईडी के अधिकारियों की सुरक्षा, उनके कार्यालय की सुरक्षा, उनके परिवार की सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था संभालने के लिए करीब 2000 पुलिस एवं वरीय दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की थी. इस दौरान आम जनता एवं झामुमो कार्यकर्ताओं के द्वारा केंद्र की जांच एजेसियों के पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. इसे देखते हुए पुन: जिला प्रशासन ने त्वरित कदम उठाते हुए सीएम हाउस के 500 मीटर की दूरी पर धारा-144 लगा दिया. मगर इसी बीच अचानक सीआरपीएफ के सैकड़ों जवानों को बस में भरकर बिना किसी अनुमति या सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश कराने का प्रयास किया गया.
माहौल बिगाड़ने के लिए झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने लगे सीआरपीएफ जवान
झामुमो नेताओं ने कहा कि एक तो बिना अनुमति या सूचना के सीआरपीएफ के जवानों को उतारा गया. बिना अनुमति या सूचना के सीएम हाउस में प्रवेश करने की कोशिश की गई. इतना ही नहीं सीआरपीएफ जवानों ने झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने का भी प्रयास किया, ताकि महौल को बिगाड़ा जा सके.
बिना अनुमति या सूचना के सीआरपीएफ की तैनाती भड़काऊ एवं गैर कानूनी
झामुमो नेताओं ने कहा कि विधि-व्यवस्था के इतने संवेदनशील समय एवं स्थान पर जिला प्रशासन की अनुमति के बिना और बिना सूचना दिए इतनी बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के बल का निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश करना एक भड़काऊ एवं गैर-कानूनी कार्य है. झामुमो कार्यकर्ताओं ने यदि संयम का परिचय नहीं दिया होता तो हिंसक परिस्थिति उत्पन्न हो सकती थी.
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सीआरपीएफ आईजी इस साजिश में रहे शामिल ताकि विधि-व्यवस्था बिगड़ सके
झामुमो नेताओं ने कहा कि मिली जानकारी के अनुसार, सीआरपीएफ का यह कृत्य एक सोची समझी साजिश के तहत थी. जिसमें सीआरपीएफ के आईजी भी शामिल थे. वे चाहते थे कि सीआरपीएफ एवं प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो जाये और प्रदर्शनकारी उग्र होकर यदि सीआरपीएफ पर हमला कर दें तो राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाया जा सके और राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके.
केंद्र के इशारे पर हुआ कायरना हमला
सीआरपीएफ कभी भी जिला प्रशासन के अनुरोध अथवा अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की विधि-व्यवस्था का कार्य नहीं कर सकती है. इससे स्पष्ट है कि सीआरपीएफ ने यह कार्रवाई साजिशन केंद्र सरकार के इशारे पर किया, जो राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है तथा संघीय ढांचे पर एक कायराना हमला है.
केंद्रीय बलों का व्यवहार आगामी चुनावों को प्रभावित करना
झामुमो नेताओं ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बल देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं. उनका इस प्रकार से राजनैतिक दुरूपयोग अत्यंत ही गंभीर चिंता का विषय है. ऐसी घटनाओं से ही आम जनता का विश्वास केंद्रीय एजेसियों के प्रति कम होता जा रहा है एवं यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि केंद्रीय बलों का यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनावों को भी दुष्प्रभावित कर सकता है. यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनावों को भी दुष्प्रभावित कर सकता है.
राज्य सरकार पूरे मामले की जांच कराए अन्यथा झामुमो करेगा आंदोलन
झामुमो ने राज्य सरकार से मांग किया है कि सीआरपीएफ आईजी कमांडेट एवं उनके अन्य वरीय पदाधिकारियों पर इस असंवैधानिक कार्य के लिए सख्त कानूनी कारवाई करते हुए एक उच्च स्तरीय जांच करा कर पूरे साजिश का भांडा फोड़ किया जाये, अन्यथा झामुमो आंदोलन के लिए बाध्य होगा.