Anand Kumar
एक राजा था. बड़ा प्रतापी. एक छोटी सी रियासत थी उसकी. एक दिन कुछ षडयंत्रकारियों ने रियासत में फसाद फैलाया. राजा ने इस षडयंत्र को बुरी तरह कुचल दिया. साजिश में शामिल लोगों के जाति-धर्म वाले लोगों को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया. इस पर राजा की समूची दुनिया में बड़ी थू-थू हुई. कुछ लोगों ने सम्राट से शिकायत की. सम्राट ने राजा को राजधर्म निभाने की नसीहत देकर अपना फर्ज निभा लिया. दरअसल वह राजा सम्राट के सबसे ताकतवर वजीर का खासमखास था. सो सम्राट चाह कर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाये. कुछ दिनों बाद देश में चुनाव आये. सम्राट का शासन खत्म हो गया, लेकिन राजा अपने विरोधियों को कुचलने के कारण अपने समुदाय का हीरो बन चुका था. उसकी बादशाहत कायम रही. इधर दस साल तक देश में दूसरे स्रमाट का शासन रहा. लेकिन लोग कहते थे कि वह सम्राट कठपुतली था. दरअसल उसकी डोर तो एक विदेशी राजमाता के हाथ थी, जो एक राजसी खानदान की बहू भी थी. उस खानदान के कई स्रमाटों ने देश पर शासन किया था.
फिर चुनाव आया. अपने धर्म के लोगों के हृदय सम्राट बन चुके उस छोटे राज्य के राजा को उसके धर्म के लोगों ने सम्राट के मुकाबले खड़ा कर दिया. अपने ओजस्वी भाषणों में उस राजा ने राजमाता और उसके शहजादे पर खूब व्यंग्य किये. शासन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. अपने दुश्मन पड़ोसी देश को खूब डराया. जनता को उस राजा में उम्मीद दिखी. उन्हें लगा कि वह राजा ही उन्हें उनकी सभी मुसीबतों से आजाद करायेगा. उन्होंने उसे सिर माथे बैठाया. देखते-देखते छोटे से राज्य का राजा अब सम्राट बन गया.
सम्राट बनते ही राजा निरंकुश हो गया. उसने अपने दल के बड़े-बड़े नेताओं को किनारे लगाना शुरू किया. अपने पुराने राज्य में अपने सबसे विश्वासी मंत्री के साथ मिलकर उसने पूरे शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली.
फिर एक दिन उसने देश में प्रचलित मुद्रा को बंद कर दिया. देश में हाहाकार मच गया. लेकिन राजा से नये-नये सम्राट बने उस आदमी को इसमें बहुत मजा आया. सम्राट के चापलूस दरबारियों ने एक सेना बना ली, जो आलोचकों को गाली और धमकी देकर चुप करा देती. उन्होंने अर्बन नक्सल नाम का एक नया शब्द बनाया, जो आलोचकों के लिए था. सम्राट ने प्रचार के सभी साधनों पर कब्जा कर लिया. अब वह छोटे राज्यों को जीतने की और बढ़ा. जनता द्वारा चुने गये छोटे-छोटे शासकों को वह अपदस्थ कर देता. धन-दौलत के लालच और कानून का डर दिखा कर वह राजाओं के सभी प्रतिनिधियों को अपनी ओर कर लेता. लोग तो यह भी कहते कि चुनाव करानेवाली संस्था भी सम्राट के कहने पर काम करती है और मतदान वाला यंत्र भी.
सम्राट को पहले दुनिया घूमने का बड़ा शौक था. एक पैर उनका अपने देश में तो दूसरा किसी और देश में रहता. चाय का उन्हें बड़ा शौक था. सम्राट वैसे तो बचपन से प्रतापी और तेजोमय थे, लेकिन पूर्वजन्म में एक साधु के शाप के कारण उन्हें एक गरीब परिवार में जन्म लेना पड़ा था. एक दिन खेलते-खेलते वे एक सरोवर में उतर गये. उस सरोवर में एक विशालकाय मगरमच्छ रहता था. गांववाले उससे बड़े परेशान थे. लेकिन सम्राट बिल्कुल नहीं डरे. जैसे श्रीकृष्ण ने कालिया नाग के फन पर खड़े होकर बांसुरी बजायी थी, वैसे ही सम्राट ने खेल-खेल में उसे अपनी बगल में चांप लिया.
सम्राट को चाय से इतना प्रेम था कि कभी-कभी तो वे दुश्मन के देश में भी चाय पीने उतर जाते थे. एक दिन सम्राट ने एक नया कर लगाया. यह टैक्स शिवाजी के चौथ और औरंगजेब के जजिया के नाम पर नहीं बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर था, जो परोपकार के लिए पूरी दुनिया में मशहूर था. लोग उसे गब्बर सिंह कहते थे. यह टैक्स लगाकर सम्राट को उतना ही मजा आया जितना उसे नोटों को बंद करके आया था.
पांच साल बीत गये. सम्राट को लगा कि उनकी प्रसिद्धि कम हो रही है. अचानक एक दिन राजा के कुछ सैनिक अज्ञात हमले में मारे गये. दरबारियों ने संदेह जताया कि पड़ोसी दुश्मन देश की यह चाल है. सम्राट को बड़ा गुस्सा आया. उन्होंने रात को अपने सैनिकों को दुश्मन देश में भेज दिया. टीवी पर इसकी फोटो देख जनता खुशी से लहालोट हो गयी. सम्राट की जयजयकार से आसमान गूंज उठा. वह प्रचंड बहुमत से चुनाव जीत गये.
सम्राट का एक शौक था. वे जुमले उछालते रहते. उनके नये-नये जुमले सुनकर जनता फिदा होती रहती और आलोचक कुढ़ते रहते. सम्राट को एक और काम में बड़ा मजा आता था. वह था चुनाव. सम्राट हर वक्त चुनाव के मूड में रहते. भाषण देने का उन्हें इतना शौक था कि वह एक सीट का चुनाव भी दो चरण में कराते, ताकि उन्हें भाषण देने का मौका मिले. अपने विरोधी राजाओं का उपहास उड़ाने में उन्हें बड़ी महारत हासिल थी. राजमाता और शहजादे से लेकर दीदी-ओ-दीदी जैसे मशहूर राग उन्होंने ही ईजाद किये थे.
इस बीच दुनिया में एक बड़ी महामारी फैली. सम्राट ने लोगों को तरह-तरह के नुस्खे बताये. थाल बजवाया, ताली पिटवाई और दीप जलवाया. धीरे-धीरे बीमारी नियंत्रण में आ गयी. सम्राट की पूरी दुनिया में वाह-वाह हुई.
धीरे-धारे सम्राट ने बहुत सारे राज्य जीत लिये या दरबारियों को फोड़ कर उन पर कब्जा कर लिया. लेकिन एक राज्य था बंग, जो स्रमाट के बस में नहीं आ रहा था. ठीक वैसे ही, जैसे सम्राट अशोक के काबू में कलिंग नहीं आया था. उस राज्य के लोग बहुत बुद्धिमान थे. उन्होंने कभी धर्म-जाति को लेकर राजा का चुनाव नहीं किया था. वे पढ़े-लिखे लोग थे और उनकी काफी समृद्ध संस्कृति थी. वे इतने प्रगतिशील थे कि उन्होंने एक महिला को अपना शासक चुना था.
सम्राट सोचने लगे कि इस राज्य को कैसे जीता जाये. इस सोच-विचार में उनकी दाढ़ी बढ़ने लगी और बाल लंबे हो गये. एक दिन उन्होंने आईने में खुद को देखा तो खुशी से झूम उठे. वे बंग राज्य के एक महापुरुष की तरह दिखने लगे थे. सम्राट और उनके लोगों ने बंग राज्य के लोगों को धर्म-जाति और बाहरी-भीतरी में बांट दिया. आपस में प्यार से रहनेवाले उस राज्य के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गये.
इधर महामारी लौट रही थी. सम्राट ने इस बार थाली-ताली और दीप का नुस्खा त्याग दिया और लोगों को टीके लगवाये. दुनिया में सबसे जल्दी और सबसे तेज टीके लगाने के लिए लोगों ने फिर उनकी वाहवाह की. लेकिन टीके लगते ही महामारी दोबारा भयंकर रूप लेकर लौट आयी. लोग दनादन मरने लगे. सम्राट बंग राज्य के चुनाव में लगे रहे. लोगों ने कहा कि चुनावी सभा और रैलियों पर रोक लगायी जाये, लेकिन सम्राट का मानना था कि यह महामारी चुनाव से दूर भागती है. इसलिए उन्होंने स्कूलों को बंद कर दिया.
महामारी चरम पर है, लेकिन बंग राज्य में चुनावी उत्सव है, सो महामारी वहां जाने से डर रही है. सम्राट को पूरी उम्मीद है कि उस राज्य के लोग भी उसके पक्ष में आ जायेंगे. इस राज्य को जीतने के बाद सम्राट कुछ और राज्य को हड़पने की तैयारी में लग जायेंगे. सम्राट शहसवारी के बड़े शौकीन हैं. उनका अश्वमेध अभियान हमेशा जारी रहता है. उनका घोड़ा भी समय के चक्र की तरह सालों भर चलता रहता है. जहां घोड़ा रुक जाता है, सम्राट उसे जीतने में जुट जाते हैं. फिलहाल महामारी रोज सम्राट की दाढ़ी की तरह बढ़ती ही जा रही है. देश के लोगों का मानना है कि बंग राज्य के चुनाव के बाद सम्राट की दाढ़ी भी गायब हो जायेगी और महामारी भी.