आधी आबादी के लिए भी खास दिन लेकर आया रंगों का त्योहार
Amarnath Pathak
Hazaribagh : इस वर्ष आठ मार्च को जहां एक ओर दिन से देर शाम तक अबीर-गुलाल उड़ेंगे, वहीं दूसरी तरफ रात में शब-ए-बरात मनेगी. एक ओर होली है. जोगीरा…सारारारा… की गूंज होगी, तो मस्जिदों से अजान के बोल सुनाई देंगे. दरअसल कुदरत ने सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनोखी महफिल सजाई है. एक ही दिन दो धर्मों के महापर्वों का अनूठा संगम होगा. सौहार्द्र के इस समंदर में हर कोई सराबोर होने को तैयार है. दिलचस्प बात यह भी है कि रंगों का यह त्योहार आधी आबादी महिलाओं के लिए भी खास दिन लेकर आया है. होली के दिन ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जाएगा. ऐसे में इस बार की होली महिलाओं के लिए खास और दोहरी खुशी लेकर आयी है.
इस बारे में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के तहत काम करनेवाली रेखा दीदी कहती हैं कि वैसे भी होली में घर-घर में लजीज व्यंजन महिलाएं ही तैयार करती है. आधी आबादी के बिना हर घर अधूरा है. यही वजह है कि कुदरत ने भी बेहतर संयोग के साथ इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर होली लेकर आयी है.
पगमिल निवासी खैरूल वरा उर्फ बॉबी कहते हैं कि शब-ए-बरात इबादत की रात है. एशा और फजर की नमाज के बीच मुस्लिम धर्मावलंबी कब्रिस्तान में जियारत करते हैं और फिर पूरी रात इबादत में गुजरती है. शब-ए-बरात के दिन रोजा भी रखने का विधान है. रात में लोग चना का हलवा समेत लजीज व्यंजन का स्वाद चखते हैं और मेहमानों का भी आवभगत करते हैं. ठीक होली में भी शाम अबीर-गुलाल के साथ एक-दूजे को लोग भाइचारगी और सौहार्द्र का पैगाम देते हैं. साथ ही पुए-पकवान के साथ सभी लोग एक-दूसरे का स्वागत-सत्कार करते हैं.
सद्भावना मंच बरही के अध्यक्ष राज सिंह चौहान कहते हैं कि अपने देश भारत की यही तो खासियत है. यहां एक धर्म का त्योहार जाता है, तो दूसरे संप्रदाय का पर्व आता है. विभिन्नता में एकता का प्रतीक हिन्दुस्तान की भाइचारगी विश्वभर में प्रसिद्ध है. सभी को होली और शब-ए-बरात शांति और सौहार्द्र से मनाने की जरूरत है, ताकि कौमी एकता का पैगाम चहुंओर बिखरे. उन्होंने महिलाओं को भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दीं.
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