Bokaro : साल 2022 चंद दिनों में अतीत बन जाएगा. नए साल से बोकारो वासियो को कई उम्मीदें हैं. लेकिन 2022 में सता और राजनीतिक गलियारों ने बोकारो वासियों को कई बार मायूस किया. जनसमस्याओं के निराकरण नहीं होने से 2022 आंदोलन का वर्ष रहा. अपनी ज्वलंत मुद्दों को लेकर लोग आंदोलन करते रहे, लेकिन उनका समाधान नहीं हुआ. कई बार स्थानीय मुद्दों को लेकर आम पब्लिक व अधिकारी आमने सामने हुए. लेकिन महज कोरे आश्वासन के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ.
तोड़े गए घर, नही दिया मलिकाना हक के दस्तावेज़
रेलवे और जिला प्रशासन ने उतरी विस्थापित के धनघरी गांव के ग्रामीणों के घर को डोजरिंग कर तोड़ दिया. मलिकाना हक पर अभी भी जीच बरकरार है. घर तोड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने रेलवे से उस जमीन का मालिकाना हक के सबूत मांगे हैं, लेकिन रेलवे ने अबतक नही उपलब्ध कराया. लिहाजा तीन महीनों से ग्रामीण धरने पर बैठे हैं.
पचौरा बस्ती में एक साल से जारी है विरोध
हरला थाना क्षेत्र के पचौरा बस्ती में एक साल से ग्रामीण आंदोलित है. धरना प्रदर्शन ज़ारी है. यहां के रैयत अपनी जमीन वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं. यही कारण है कि बीएसएल का वाटर पाइप लाइन बिछाने का काम एक साल से बंद पड़ा हैं. कई बार प्रशासन रैयत आमने-सामने हुए. गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गई, लेकिन समस्याओं का निदान नहीं हुआ. ग्रामीण रैयत अपनी जमीन वापसी या फिर मुआवजा, पुनर्वास की मांग पर अड़े हुए हैं.
नियोजन के इंतज़ार में मृत बीएसएल कर्मी के आश्रित
बीएसएल मे कार्यरत मजदूरों के मौत के बाद उनके आश्रित और विस्थापितो के आश्रित नियोजन की मांग को लेकर कई वर्षो से आंदोलित है. अप्रेंटिस संघ ने इसे लेकर कई बार आंदोलन किया लेकिन उन्हें नियोजन नहीं मिला. आंदोलित लोगो को कैंप जेल में बंद रखा गया. उन्होंने नंग धड़ंग प्रदर्शन किया. नतीजा सिफर निकला. नियोजन की उम्मीदों को साल 2022 धराशायी कर गया.
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