Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) धनबाद में पूरे साल वाहन चोरों का गिरोह सक्रिय रहा. कहने का अर्थ यह कि वाहन उड़ानेवालों के लिए धनबाद जिला मनपसंद जगह बना हुआ है. सिर्फ पुलिस के आंकड़ों को ही देखें तो जिले में जनवरी से नवंबर तक 660 गाड़ियों की चोरी हुई. वह भी खास ढंग से. गिरोह के लोग भीड़भाड़ वाली व व्यस्त जगहों पर पहुंचते हैं और वहां खड़े वाहनों को अपना समझ कर लेकर चले जाते हैं.
पुलिस ने बरामद की मात्र 22 बाइक
चोरी का यह आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है. पुलिस व कानून का कोई खौफ नहीं तो आंकड़ों में कोई गिरावट भी नहीं. पिछले तीन वर्षों में 2,126 वाहन की चोरी हुई. वर्ष 2020 में 777, वर्ष 2021 में 689 व 2022 में 660 वाहन की चोरी हो चुकी है. 2022 के जनवरी माह में 55 वाहन उड़ा लिये गए. यह आंकड़ा फरवरी माह में 49 पर रहा, मगर मार्च में 58 वाहनों की चोरी के साथ लगातार बढ़ता चला गया. अप्रैल में 67, मई में 66, जून में 63, जुलाई में 50, अगस्त में 38, सितंबर में 79, अक्तूबर में 64 और नवंबर में 71 वाहनों पर गिरोह ने हाथ साफ किया. 2022 में जनवरी से नवंबर तक 660 वाहन की चोरी हो चुकी है. हालांकि नवंबर तक पुलिस ने 22 बाइक बरामद भी की.
भीड़ भाड़ वाली जगहों पर सक्रिय रहता है गिरोह
वाहन चोर भीड़भाड़ वाले इलाके पर नजर गड़ाये रखते हैं और मौका मिलते ही आसानी से वाहन लेकर निकल जाते हैं. ऐसे इलाकों में सरायढेला, भूली, बैंकमोड़, धनसार आदि वाहन चोरों की मनपसंद जगह है. इन्हीं इलाकों से उन्हें ज्यादा कामयाबी मिलती है और पुलिस के लिए सिर दर्द भी. सिटी सेंटर, हीरापुर, बरटांड़, गोल्फ ग्राउंड, बेकारबांध व स्टेशन रोड़ में भी बाइक चोरों का गिरोह सक्रिय रहता है. इसके अलावा झरिया, कतरास, निरसा, चिरकुंडा, मैथन, केंदुआडीह बाजार, केंद्रीय अस्पताल, एसएनएमसीएच, बिग बाजार स्टील गेट तथा कोयला नगर क्षेत्र में भी बाइक चोरी की घटनाएं अधिक होती हैं.
दिसंबर में 11 बाइक के साथ तीन हुए गिरफ्तार
विगत 21 दिसंबर को सिटी एसपी रेशमा रमेशन ने बैंक मोड़ थाने में प्रेस वार्ता की थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि वाहन चोर गिरोह के तीन सदस्यों को 11 बाइक के साथ गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने दावा किया था कि जल्द ही पूछताछ के बाद गिरोह के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
हर मौके पर सच नहीं होते पुलिस के दावे
मगर पुलिस के दावे हर मौके पर सच नहीं होते. ग्याह महीने मे. 660 बाइक की चोरी हो गई. इस बीच पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. गिरोह के सदस्य शहर में घूमते रहते हैं. जगह की तलाश में रहते हैं और अवसर मिलते ही वाहन चोरी कर चंपत हो जाते हैं. अधिकतर कि वाहन मालिक इंतजार करते रहते हैं कि किसी दिन उनकी बाइक बरामद हो जाएगी. मगर पुलिस प्रायः विफल रहती है.
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