New Delhi : हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अडाणी समूह के शेयरों में हाल में गिरावट पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय गुरुवार को अपना आदेश सुना सकता है. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ शेयर बाजार के लिए मौजूदा नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए विषय विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के संबंध में अपना फैसला सुना सकती है. शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को आदेश सुरक्षित रखते हुए प्रस्तावित विशेषज्ञ पैनल पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. पीठ ने कहा कि वह निवेशकों के संरक्षण के लिए पूरी पारदर्शिता चाहती है. उसने प्रस्तावित समिति के कामकाज पर किसी सेवारत न्यायाधीश की निगरानी रखने की संभावना को भी खारिज कर दिया था.
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क्या है मामला
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अडाणी ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियां ओवरवैल्यूड हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडाणी समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में लगा हुआ है. अपने जवाब में अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग पर कॉपी-पेस्ट करने का आरोप लगाया था. समूह ने कहा था कि या तो हिंडनबर्ग ने सही तरीके से रिसर्च नहीं किया है या फिर जनता को गुमराह करने के लिए उसने गलत तथ्य पेश किए हैं. 400 से अधिक पन्नों की प्रतिक्रिया में गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह ने सभी आरोपों को भ्रामक बताया था. इसके बाद अडाणी ग्रुप के शेयरों में तेजी से गिरावट हुई और गौतम अडाणी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में टॉप 30 से भी बाहर हो गए.
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