Anand Kumar
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) झारखंड में उग्रवादी और नक्सली संगठनों को धनराशि दिये जाने की जांच कर रही है. इस मामले में आरोपी लोगों के खिलाफ NIA कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. मामला टंडवा के आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट में शांति समिति के जरिये लेवी वसूली का है. इसका कुछ भाग उग्रवादी संगठन टीपीसी को दिया जाता था, जिसका इस्तेमाल वे हथियार खरीदने में करते थे. पहले इसकी जांच राज्य की पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में एनआइए ने इस मामले को टेकओवर कर लिया. टेरर फंडिंग के इस मामले में आधुनिक ग्रुप के एमडी महेश अग्रवाल भी आरोपी बनाये गये हैं. लेकिन ऐसे मामले में आधुनिक का नाम पहली बार नहीं आया है. नक्सलियों की फंडिंग में आधुनिक का नाम पहले भी आ चुका है. हालांकि तब अज्ञात कारणों से यह मामला दबा दिया गया था.
पुलिस अभियान के दौरान मिली थी नक्सली जॉनसन की डायरी
आधुनिक समूह का नाम 2010-11 के आसपास भी नक्सलियों को पैसा देने में आया था. मौजूदा परिस्थिति में यह मामला प्रासंगिक हो गया है. वर्ष 2010-11 में चाईबासा पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त एलआरपी के दौरान कुछ नक्सलियों से सामना हुआ था. पुलिस को देखकर नक्सली अपने हथियार और सामान छोड़ कर भाग निकले थे. वहां से पुलिस को कुछ सामान और एक पिट्ठू मिला. पिट्ठू में एक डायरी थी. जो कुख्यात नक्सली कमांडर जॉनसन गंझू उर्फ चंदर गंझू की थी. उस डायरी में नक्सलियों को पैसा देनेवाली कई कारपोरेट कंपनियों के नाम थे. इनमें आधुनिक और उसकी सहयोगी कंपनी ओएमएम भी शामिल थे.
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डायरी में आधुनिक के आगे लिखा है 5 लाख रुपया
माओवादी नक्सली जॉनसन की डायरी में सारंडा क्षेत्र में स्रकिय बीड़ी पत्ता कारोबारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों और लौह अयस्क खनन करनेवाली कंपनियों के नाम थे. ये लोग माओवादियों को हर महीने लाखों रुपये लेवी के रूप में देते थे. डायरी में एक नाम आधुनिक का भी था. आधुनिक की सब्सीडियरी कंपनी ओएमएम सारंडा के घाटकुरी में लौह अयस्क का खनन करती थी. नक्सली जॉनसन की डायरी के अनुसार आधुनिक कंपनी हर महीने पांच लाख रुपये माओवादी संगठन को देती थी. चाईबासा पुलिस ने जॉनसन की डायरी को जब्त किया था. जानकारी के अनुसार जॉनसन की डायरी बतौर सबूत कोर्ट में जमा है.
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दबाव में ठंडी पड़ गयी चाईबासा पुलिस की जांच
2012 में गिरफ्तारी के कुछ दिन पहले पुलिस ने उसकी प्रेमिका हेलेन चेरवा के घर छापा मार कर हथियार, चार लाख रुपये नकद और एक और डायरी बरामद किया था. यह सारा सामान जॉनसन का था. उस डायरी में भी लेवी देनेवाली कंपनियों के नाम दर्ज थे. इसमें भी आधुनिक कंपनी का नाम था. चाईबासा के तत्कालीन एएसपी शंभू कुमार एलआरपी में मिली जॉनसन की डायरी में मिली जानकारी पर लेवी देनेवालों की जांच कर रहे थे. उन्होंने डायरी में दर्ज सूचनाओं और लेवीदाताओं की छानबीन शुरू की थी. आधुनिक कंपनी के अधिकारियों को भी उन्होंने पूछताछ के लिए बुलाया था. डायरी में कई बड़ी कंपनियों के नाम और उनके द्वारा दी जानेवाली राशि का ब्योरा दर्ज था. बाद में उच्चस्तरीय दबाव के कारण मामले की जांच धीमी पड़ गयी और ठंडे बस्ते में डाल दी गयी.
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आधुनिक के खिलाफ अहम सबूत मिल सकते हैं NIA को
अब, NIA ने झारखंड में टेरर फंडिंग के मामले की जांच अपने हाथों में ली है. जॉनसन की दो डायरियों में दर्ज कंपनी आधुनिक के एमडी महेश अग्रवाल इस मामले में प्रमुख आरोपी हैं. ऐसे में जॉनसन गंझू की सारंडा में लेवी वसूली का हिसाब NIA की जांच को एक नयी दिशा दे सकता है. अगर सही तरीके तफ्तीश हो, तो आधुनिक कंपनी के साथ कई अन्य बड़ी मछलियां भी जाल में फंसेंगी.