- दो वर्षों से था लापता बच्चा
- CWC और बचपन बचाओ आंदोलन टीम ने कराया मुक्त
- मध्यप्रदेश के होशंगाबाद से बच्चे को किया गया रेस्क्यू
Ranchi: ‘आप पुलिस थाने जाकर शिकायत क्यों नहीं कर देते ?’- बीते 26 जनवरी को बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने जब गढ़वा थाना निवासी एक परिवार से संपर्क किया, तो जवाब मिला- ‘हमें पुलिस थाना नहीं जाना. दो साल से मेरे बेटे का कोई पता नहीं. हमने गढ़वा स्थित बच्चों वाले कोर्ट में शिकायत कर तो कर ही दिया है.’ शायद उस परिवार ने बाल कल्याण समिति गढ़वा को अपने बेटे का गायब होने की कहानी बता दी थी, जिसे वह बच्चों वाला कोर्ट कह रहा था.
हैरत की बात है कि 13 साल का एक आदिवासी बच्चा मई-जून 2019 से गायब हो और उसके पिता का ऐसा रूखा जवाब कि वह एक मजूरी करने वाला आदमी कहां- कहां चक्कर लगाए. ऐसे में, उस गुमशुदा बच्चे को खोजना चुनौतीपूर्ण तो होगा ही. लेकिन, बाल कल्याण समिति गढ़वा एवं बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने हार नहीं माना और उस बच्चे को ढूंढ़ कर ही दम लिया. आइये जानते हैं मध्यप्रदेश में बाल दासता से इस गणतंत्र दिवस को मुक्त हुए गढ़वा जिले के एक बच्चे की कहानी:
जानें क्या है मामला
गढ़वा थानान्तर्गत एक गांव की आदिवासी महिला को उसके एक परिचित सीताराम उरांव ने गढ़वा में ही एक चिकित्सक के यहां उसके 13 साल के बेटे को घरेलू काम के बदले 2500 रुपये प्रतिमाह दिलाने की लालच देकर देता है. उस महिला के अनुसार, उक्त चिकित्सक द्वारा उसके बेटे को पटना में किसी रिश्तेदार के यहां काम करने के लिए भेज दिया जाता है. कुछ दिनों के बाद ही, चिकित्सक दंपति ने उस महिला को बताया कि उसका बेटा पटना उनके रिश्तेदार के यहां से कहीं गायब हो गया है. महिला ने उनसे अपने बेटे को खोजने की मिन्नतें की, जिसपर चिकित्सक दंपति ने उसे धमकी दी. तब से (मई 2019) से अब तक उस बच्चे की कोई खबर नहीं.
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बाल कल्याण समिति गढ़वा ने पुलिस को लिखा पत्र
बच्चे के गायब होने की जानकारी प्राप्त होते ही बाल कल्याण समिति गढ़वा ने आवश्यक कार्रवाई हेतु, गढ़वा पुलिस को एवं जिले में मौजूद अन्य सम्बंधित एजेंसी को जनवरी 2020 में ही पत्र भेजा था. लेकिन, पुलिस ने इस दिशा में अब तक क्या कार्रवाई की, पता नहीं.
गुमशुदा बच्चे के मामले में क्या है कानूनी प्रक्रिया ?
बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार जनहित याचिका मामले में उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि किसी बच्चे की गुमशुदगी के मामले की सूचना पर पुलिस तत्काल प्राथमिकी दर्ज करेगी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा भी गुमशुदा बच्चों हेतु एक एसओपी जारी की गई है. मालूम हो कि इस गुमशुदा बच्चे के मामले में हस्तक्षेप करने के लिए बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने फरवरी 2020 में ही गढ़वा एसपी को पत्र भेजकर आग्रह किया था.
बच्चा कैसे हुआ बरामद?
बचपन बचाओ आंदोलन की टीम को 25 जनवरी देर रात बाल कल्याण समिति गढ़वा से मालूम चलता है कि उक्त बच्चे को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में एक अन्नपूर्णा ढाबा में बंधक बनाया गया है.
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सटिक जानकारी मिलते ही, 26 जनवरी दिन के 12 बजे इसकी सूचना बचपन बचाओ आंदोलन मध्यप्रदेश की टीम के साथ साझा की जाती है और शानदार कार्रवाई करते हुए, मध्यप्रेश पुलिस एवं अन्य सम्बंधित एजेंसी के साथ समन्वय में शाम ढलने से पहले ही उस बच्चे को मुक्त करा लिया.
क्या कहा बचपन बचाओ आंदोलन के मनीष शर्मा ने
बचपन बचाओ आंदोलन के मनीष शर्मा कहते हैं- “बाल कल्याण समिति गढ़वा की संवेदनशीलता और हमारी टीम एवं मध्यप्रदेश पुलिस की प्रतिबद्धता से इस गणतंत्र दिवस के अवसर यह एक शानदार उपलब्धि है. अब आवश्यक है कि पीड़ित बच्चे का समुचित पुनर्वास एवं दोषियों को कड़ी सजा मिले.” दिन में 20 घंटे जबरन काम लिया जाता था, होती थी मारपीट भी, नहीं मिलता था एक भी पैसा- बच्चे ने जैसा बताया.
पीड़ित बच्चे ने सुनायी आपबीती
मुक्त कराये गए बच्चे ने अपने बयान में बताया कि जबसे वह वहां काम कर रहा है. एक भी पैसा नहीं मिला. उसे 3000 प्रतिमाह देने की बात कही गई थी. सुबह 4.30 बजे से रात 12 बजे तक उससे काम लिया जाता था. ढाबे का मालिक, उसके साथ मारपीट करता था. वह उसे गंदी- गंदी गालियां भी देता था.
अब हो रही है कानूनी कार्रवाई
बताते चलें कि इस मामले में, बचपन बचाओ आंदोलन की शिकायत पर होशंगाबाद जिले के डोलरिया थाने में बंधुआ मजदूरी क़ानून की धारा 16, अनुसूचित जाति एवं जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) (एच) एवं 3 (2) (वीए), भादवि की धारा 323, 344,506, जेजे एक्ट की धारा 33, 34, 75, 79 और बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) कानून 14 के तहत प्रथिमिकी दर्ज कर ली गई है.
विधिसम्मत कार्रवाई हेतु, विमुक्त बच्चे की चिकित्सकीय जांच के बाद उसे फिलहाल चाइल्ड लाइन होशंगाबाद को सौंप दिया गया, ताकि उसका समुचित संरक्षण सुनिश्चित कराया जा सके.
“देखना होगा कि गढ़वा पुलिस एवं गढ़वा जिला प्रशासन द्वारा पीड़ित बच्चे को न्याय दिलाने की दिशा में आगे क्या कारवाई की जाती है?”
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