Adityapur : इस भीषण गर्मी में सूख रहे बोरिंग और पानी के लिए दर-दर भटक रहे लोगों को राहत दिलाने के लिए नगर निगम टैंकर जलापूर्ति को सुदृढ बना रही है. विदित हो कि नगर निगम के अपर नगर आयुक्त ने प्रतिदिन 60 हजार लीटर पानी टैंकर से जलापूर्ति करने की योजना बनाई है. वहीं, अपर नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने कहा कि हमने जलापूर्ति की तैयारी शुरू कर दी है. सारे टैंकर को दुरुस्त कराया जा रहा है. कुल 64 एचवाईडीटी को भी दुरुस्त कराकर उससे सुबह शाम टाइमली जलापूर्ति की योजना बनी है. जरूरत पड़ने पर पानी के टैंकर किराए पर लेकर जलापूर्ति कराये जाएंगे. जुस्को से सीएसआर के तहत आदित्यपुर में टैंकर जलापूर्ति करने के लिए भी पहल शुरू कर दी गयी है. जहां तक स्थायी समाधान की बात है तो यहां वृहद पाइप लाइन जलापूर्ति योजना का कार्य करीब 500 करोड़ रुपए से जारी है, जिसका 80 फीसदी कार्य पूरे हो चुका है. कुछ बाधा है जिसे दूर कर बहुत जल्दी घर-घर पाइपलाइन से जलापूर्ति योजना शुरू कर दी जायेगी.
![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/04/girija-shankar-prasad-nagar-nigam-600x375.jpg)
इसे भी पढ़े : कोडरमा: DC ने किया मतदान केंद्रों का निरीक्षण, दिये निर्देश
नगर निगम के पास उपलब्ध संसाधन
विदित हो कि नगर निगम के पास 12 हजार लीटर क्षमता के दो टैंकर, छह हजार लीटर के एक टैंकर और दो हजार लीटर के चार टैंकर उपलब्ध है. वहीं, 12 हजार लीटर के टैंकर एक दिन में दो ट्रिप लगाएंगे जिससे कि रोज 24 हजार लीटर की जलापूर्ति होगी. छह हजार लीटर के एक टैंकर चार ट्रिप लगाएंगे जिससे कि 24 हजार लीटर जलापूर्ति होगी. साथ ही दो हजार लीटर के टैंकर रोजाना छह ट्रिप लगाएगी जिससे कि 12 हजार लीटर जलापूर्ति होगी. इस प्रकार रोज 60 हजार लीटर पानी टैंकर से जरूरतमंदों को नगर निगम ने देने की योजना बनाई है. इसके अलावा 35 वार्ड में कुल 64 एचवाईडीटी प्लांट हैं जिसे भी दुरुस्त कराया जा रहा है. इस पर सभी वार्ड के करीब 20 हजार परिवार निर्भर रहेंगे.मालूम हो कि करीब 55 हजार परिवार वाले निगम क्षेत्र में महज साढ़े आठ हजार परिवारों को ही पाइपलाइन जलापूर्ति का लाभ मिलता है. वहीं, करीब 47 हजार परिवार पाइपलाइन जलापूर्ति से वंचित भूमिगत या टैंकर जलापूर्ति पर निर्भर रहने को मजबूर हैं.
चार वर्ष बीत जाने पर भी जलापूर्ति योजना का कार्य अधूरा
गौरतलब है कि आदित्यपुर में वर्तमान जलापूर्ति योजना सीतारामपुर डैम से होती है. जिसकी क्षमता महज पांच एमजीडी यमिलियन गैलन पर डेद्ध की है. इससे केवल साढ़े आठ हजार परिवारों को ही पाइपलाइन जलापूर्ति का लाभ मिल पाता है. वहीं, यह जलापूर्ति योजना भी 60 साल पुरानी हो गयी है और पाइपलाइन भी लगभग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. इसे देखते हुए 2018 में करीब 500 करोड़ रुपए की वृहत जलापूर्ति योजना बनायी गयी. जिसका काम जिंदल पावर को मिला है. हालांकि, 30 माह की इस योजना के चार वर्ष बीत जाने पर भी अब तक कार्य अधूरा है. ऐसे में पिछले 15 वर्षों में आदित्यपुर की आबादी तीन गुना बढ़ गयी है, लेकिन इस क्षेत्र में पाइपलाइन की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. लिहाजा लोग घरों में सीधे बोरिंग कराकर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं. वहीं, भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन से भूमिगत जल भी अब पानी देने की स्थिति में नहीं है. मालूम हो कि आदित्यपुर में वर्तमान में 600 फीट गहराई तक जलस्तर पहुंच गया है. जिससे एक-एक परिवार को तीन से चार बार बोरिंग कराना पड़ा है.
इसे भी पढ़े जमशेदपुर : विधायक सरयू राय पर दायर मानहानि का मुकदमा विशेष न्यायालय को स्थानांतरित
जल संकट के लिए आवास बोर्ड जिम्मेदार : मोर्चा
जल संकट पर सामाजिक संगठन जन कल्याण मोर्चा ने कहा कि यहां पेयजल की समस्या से जूझ रहे करीब 20 हजार आबादी के लिए आवास बोर्ड को जिम्मेदार है. मोर्चा अध्यक्ष ओम प्रकाश ने कहा कि 1995 के बाद बनी किसी भी कॉलोनी में आवास बोर्ड ने मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं करायी है. इसके लिए आवास बोर्ड के शीर्षस्थ पदाधिकारियों को दोषी मानकर उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. मालूम हो कि वार्ड 17 नगर निगम का नया वार्ड है, जिसका विकास तकरीबन 20 वर्ष पूर्व हुआ है. यहां आवास बोर्ड की 1200 के करीब एलआईजीए, एमआईजी व एचआईजी प्लॉट्स व मकान और फ्लैट है, जिसमें बड़ी आबादी रहती है. लेकिन इन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं दी गई है. यहां के लोगों ने 15 वर्ष तक भू-जल पर निर्भर रहकर समय बिताया लेकिन अब तक यहां के लोगों के लिये पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया गया है.
‘क्या है आवास बोर्ड अधिनियम’
विदित हो कि बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम 1982 के अध्याय छह में यह उल्लेख है कि आवास बोर्ड को अपने विकसित किए गए क्षेत्र में सड़क, मार्ग, पेयजल, जल निकास, स्ट्रीट लाइट जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक होगा. इस अधिनियम के तहत ही बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम 1983 की धारा 44 (क) के अनुसार पुरानी आवासीय कॉलोनी में विकास कर 28.06.1989 को तत्कालीन कार्यपालक अभियंता आवास बोर्ड ने तत्कालीन आदित्यपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को हैंड ओवर कर दिया. चूंकि न्यू दिंदली हाउसिंग कॉलोनी बाद में बना इसलिए यह क्षेत्र अब तक आवास बोर्ड के अधीन है. यहां जो भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, इसके लिए आवास बोर्ड को पहल करने की जरूरत है.
इसे भी पढ़े : न्यायिक हिरासत से रिहा होंगे लालू प्रसाद यादव, रंजन सिंह और अंजल सिंह बने लालू के बेलर