यहां फंसी है योजना : सपड़ा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए वन विभाग को नीमडीह में दी गई साढ़े 11 एकड़ सरकारी जमीन, अब वन विभाग ने रखी नई शर्त कहा- जमीन पर पौधरोपण कर डेवलप करें, तब मिलेगी एनओसी.
Adityapur (Sanjeev Mehta) : जून 2022 में आदित्यपुर में जलापूर्ति योजना पूरी होने थी, लेकिन वन विभाग के एनओसी नहीं देने के कारण अधर में लटका हुआ है. आदित्यपुर वृहद जलापूर्ति योजना रघुवर दास सरकार के समय धरातल पर आई थी. योजना का मेन पॉइंट सीतारामपुर औऱ सपड़ा में क्रमशः 30 और 60 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण होना है. इसके लिए नगर निगम को वन विभाग की साढ़े 11 एकड़ जमीन की जरूरत थी. वन विभाग को जमीन के बदले जमीन चाहिए थी. उसे साढ़े 11 एकड़ सरकारी जमीन नीमडीह में उपलब्ध भी करा दी गई है. लेकिन अब वन विभाग ने नई शर्त यह रखी है कि हस्तांतरित जमीन पर पौधरोपण कर डेवलप करें तब एनओसी दी जाएगी.
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योजना 450 करोड़ रुपए होंगे खर्च
इस शर्त के मुताबिक जुडको द्वारा वन विभाग को हस्तांतरित जमीन पर पौधरोपण किया जा रहा है, लेकिन अब तक वन विभाग ने एनओसी नहीं दी है. इस वजह से योजना का कार्य गड्ढे भरने तक सिमट कर रह गई है. बता दें कि करीब 450 करोड़ रुपए की लागत से आदित्यपुर में वृहद जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारा जाना है. इसका शिलान्यास वर्ष 2018 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था. तब 30 माह में जलापूर्ति योजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. टेंडर जिंदल पावर को मिला था, कार्य भी धरातल पर उतरा है. इस योजना के तहत करीब 500 किलोमीटर पाइप लाइन बिछानी थी जिसमें करीब 480 किलोमीटर पाइप लाइन बिछ चुकी है. अब केवल वन भूमि पर पाइप लाइन बिछानी बाकी है.
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55 हजार घरों को देना है कनेक्शन
वहीं कुल 55 हजार घरों को कनेक्शन देना है, जिसमें करीब 18 हजार घरों को न्यू वाटर कनेक्शन देकर उनके घरों में वाटर मीटर भी लगा दी गई है. इस योजना के तहत 11 जलमीनारों का निर्माण होना है, जिसकी कार्य प्रगति पर है. अब तक 2 जलमीनार के कार्य पूरे हुए हैं. 1 का कार्य वन भूमि होने की वजह से निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. बता दें कि इस योजना के तहत सीतारामपुर में 30 एमएलडी और सपड़ा में 60 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनना है. लेकिन सारा कार्य सुचारू रूप से चलने के बावजूद वन विभाग के एनओसी नहीं मिलने की वजह से 2 साल से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम ठप है. अब जमीन के बदले जमीन देने के बाद जमीन को वनों से आच्छादित करने की शर्त से काम शुरू करने में फिर अड़चन डाल दी है. जबकि 2022 से आदित्यपुर नगर निगम के सभी 55 हजार घरों में नियमित रूप से पाइप लाइन जलापूर्ति करने का लक्ष्य निर्धारित था, औऱ अब तो 2022 साल खत्म होकर 2023 का जनवरी आ चुका है और स्थिति कुल मिलाकर आधी कार्य पर अटकी पड़ी है.
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8 को जन कल्याण मोर्चा जल संकट को लेकर बुलाई है बैठक
आदित्यपुर में पेयजल संकट को देखते हुए साथ ही कई अन्य मुद्दों को लेकर सामाजिक संस्था जन कल्याण मोर्चा ने अपनी कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई है. जिसमें जलापूर्ति योजना की लत लतीफी को लेकर विमर्श के बाद आंदोलनात्मक रणनीति बनाने की योजना है. मोर्चा अध्यक्ष अधिवक्ता ओम प्रकाश ने कहा है कि एक तो 4 साल से आदित्यपुर की सवा दो लाख आबादी इस आशा और भरोसे पर गड्ढे भरी सड़कों पर चलकर कष्ट सह रहे हैं कि इसके बदले उन्हें पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ मिलेगा लेकिन 30 महीने की योजना 4 साल बाद भी अधूरी रहने से उनके भरोसे को ठेस पहुंची है. अब जन कल्याण मोर्चा इन सारी बातों पर विमर्श कर जनहित में आगे की रणनीति बनाएगी. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वे न्यायालय भी जाएंगे और कार्यकारिणी के निर्णय पर जनहित याचिका दायर भी कर सकते हैं.
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क्या कहते हैं जिम्मेवार अधिकारी
जलापूर्ति कार्य प्रगति पर है, केवल वन विभाग के नए अड़चन से काम में देर हो रही है. उन्हें वन भूमि के बदले नीमडीह में साढ़े 11 एकड़ सरकारी जमीन दे दी गई है लेकिन नई शर्त यह रखी गई है कि भूमि को वनों से आच्छादित कर दें. इस शर्त के तहत जुडको जमीन और पौधरोपण कर भी रही है लेकिन जमीन का एनओसी वन विभाग नहीं दे रही है.
अजय कुमार, नगर प्रबंधक, नगर निगम आदित्यपुर