Adityapur (Sanjeev Mehta) : बहुद्देश्यीय सुवर्णरेखा परियोजना समेत राज्य के सभी योजनाओं में पुनर्वास कार्य अप्रैल 2022 से ठप पड़े हैं. इसके कारण विकास कार्य भी अवरुद्ध हैं. इस संबंध में सुवर्णरेखा परियोजना के चांडिल कॉम्प्लेक्स के मुख्य अभियंता अशोक कुमार दास ने बताया कि पुनर्वास नीति की फाइल एक्सटेंशन के लिए सरकार के पास भेजी गई है. एक्सटेंशन मिलते ही पुनर्वास और विस्थापितों को मुआवजा देने का कार्य शुरू हो जाएगा. एसएमपी में पुनर्वास और मुआवजा देने के लिए पैसे की कमी नहीं है. इस मद में 60 करोड़ का फंड उपलब्ध है.
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हाईड्रल पावर प्लांट को चालू कर बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य
उन्होंने बताया कि राज्य में पुनर्वास नीति 2012 में बनी थी, जिसकी अवधि 2017 में समाप्त हो गई थी. तब वर्तमान सरकार ने पुनः 5 वर्ष का एक्सटेंशन दिया था, जिसकी मियाद भी मार्च 2022 को पूरी हो चुकी है. इसके बाद से पुनर्वास और विस्थापितों को मुआवजा देने का कार्य बंद है. इससे परियोजना के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमें मार्च 2023 तक चांडिल डैम का जलस्तर 185 मीटर रख कर वहां लगे हाईड्रल पावर प्लांट को चालू कर बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य मिला है.
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योजना के लिए डैम से प्रभावित 84 गांव को करना होगा खाली
उन्होंने बताया कि इसके लिए चांडिल डैम से प्रभावित 84 गांव को पूरी तरह से खाली कराकर उन्हें पुनर्वासित करना है, तभी डैम की क्षमता 185 मीटर रखी जा सकेगी. साथ ही परियोजना की राशि बढ़ाकर 13 हजार 106 करोड़ रुपये करने के साथ मार्च 2026 तक का विस्तार मिला है. लेकिन जब तक पुनर्वास नीति को एक्सटेंशन नहीं मिलता है, तब तक परियोजना के कार्य को पूरा करना असंभव है.
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