Adityapur (Sanjeev Mehta) : उद्योग विभाग झारखंड द्वारा बुलाई गई सभी एसोसिएशन की मीटिंग में मंगलवार को एसिया की तरफ से अध्यक्ष संतोष खेतान, उपाध्यक्ष संतोख सिंह और महासचिव दशरथ उपाध्याय ने भाग लिया. रांची में आयोजित इस बैठक में उद्योगों की समस्या से एसिया के प्रतिनिधियों ने उद्योग सचिव जितेन्द्र सिंह को अवगत कराया. उद्योग सचिव को बताया कि इसमें कई वर्षों से चल रहे उद्योग जिन्होंने अपना एसएसआई सर्टिफिकेट या ईएमपार्ट 2 नहीं लिया है, उनके सामने भारी दिक्कत आ रही है. इसके अलावा एसिया ने औद्योगिक क्षेत्र की सड़क और नाली की खराब व्यवस्था से अवगत कराया. उन्हें बताया कि कई वर्षों से औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों का मरम्मत नहीं हुआ है. नालियों की साफ-सफाई भी नहीं हुई है. उद्योग सचिव को आमंत्रित किया गया कि वे आकर स्वयं औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों और नालियों का हाल देखे.
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कैपिटल सब्सिडी के भुगतान में हो रही देर से अवगत कराया
इसके अलावा एसिया ने कैपिटल सब्सिडी के भुगतान में हो रही देर और समस्याओं से अवगत कराया. जिसके वजह से उद्यमियों को उद्योग लगाए जाने के बाद सरकार द्वारा उन्हें सब्सिडी दी जाती थी. लेकिन वर्तमान में सब्सिडी के भुगतान में काफी समय लग रहा है और उनकी फाइल कहां पर रुकी हुई है यह जानकारी उन्हें नहीं मिलती है. एसिया ने इसके निदान के लिए उद्योग सचिव से मांग किया कि इसको पारदर्शी बनाया जाए ताकि लोगों को पता चल सके कि उनकी वर्तमान में फाइल का स्टेटस क्या है. उद्योग सचिव ने एसिया के प्रतिनिधियों को विश्वास दिलाया कि जल्द ही यह व्यवस्था ऑनलाइन लागू कर दी जाएगी जिससे लोगों को समय पर सब्सिडी का भुगतान हो सकेगा. एसिया ने उद्योग सचिव से आदित्यपुर नगर निगम द्वारा मांगे जा रहे होल्डिंग टैक्स के बारे में भी बताया. उन्हें बताया कि नगर निगम द्वारा उद्योगों को बार-बार नोटिस दिया जा रहा है.
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उद्योगों के लीज की अवधि 30 से बढ़ाकर 99 साल करने की मांग की
उद्योग सचिव को बताया गया है सिंगल विंडो पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पा रही है, जिससे समस्याओं का त्वरित निदान नहीं हो पा रहा है. इस पर उद्योग सचिव ने यह विश्वास दिलाया कि जल्दी ही इस सिस्टम में जो भी कमी है तो उसे शीघ्र दूर किया जाएगा और पूर्व की तरह इसमें लोगों को अपनी समस्याओं के निदान कर पाने की सुविधा मिलेगी. औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों की लीज अवधि 30 साल से बढ़ाकर 99 साल करने की मांग की और जियाडा के क्षेत्रीय प्राधिकार को हर वर्ष एक करोड़ तक का वित्तीय अधिकार प्रदान करने की भी मांग की ताकि छोटी-छोटी समस्याओं को जियाडा खुद सुलझा सके. इस पर उद्योग सचिव ने बताया कि वर्तमान में 25 लाख रुपए तक का अधिकार देने की अनुमति दी गई है भविष्य में इसकी समीक्षा करते हुए पुनः उसे बढ़ाने के बारे में बात की जाएगी.