Adityapur (Sanjeev Mehta) : रेस्टोरेंट संचालक और होटल मालिकों को प्रदूषण नियंत्रण पर्षद री माइंडर नोटिस सोमवार से भेजकर सावधान कर रही है. नोटिस में उन्हें आगाह किया जा रहा है कि वाटर एंड एयर पॉल्युशन एक्ट के तहत इसके दोषी पाए जाने पर 5 साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी ने बताया कि वैसे रेस्टोरेंट संचालक जिनका रेस्टोरेंट 35 सीटर है और एक कमरे का भी रेसिडेंशियल होटल है तो प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की स्थापना समिति से अनुमति लेना अनिवार्य है. इस बात को लेकर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय कार्यालय कोल्हान के तीनों जिले के रेस्टोरेंट, होटल संचालक के साथ मैरेज हॉल आदि के संचालक को री-माइंडर नोटिस भेजना शुरू किया है.
इसे भी पढ़ें :खनन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 142 कंपनियों का कोल लिंकेज रद्द
सीटीई व सीटीओ प्रमाण पत्र नहीं लेने पर होगी कार्रवाई
उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों के विरुद्ध प्रदूषण नियंत्रण पर्षद वाटर एंड एयर एक्ट के तहत कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है. जानकारी देते हुए पर्षद के क्षेत्रीय निदेशक जीतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यह विडंबना है कि अब तक कोल्हान के महज 20 रेस्टोरेंट, होटल, मैरेज हॉल और बैंक्वेट हॉल संचालकों ने स्थापना समिति से अनुमति ली है. जबकि तीनों जिले में इसकी संख्या 1000 से ज्यादा है. उन्होंने बताया कि पहले भी ऐसे संचालकों को नोटिस भेजा गया था लेकिन किसी ने आवेदन नहीं दिया और न ही इसमें रुचि दिखाई है. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार उन्हें री-माइंडर भेजा जा रहा है. अगर नोटिस के बावजूद स्थापना समिति से सीटीई और सीटीओ प्रमाण पत्र नहीं लेते हैं तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
इसे भी पढ़ें :बड़गाईं CO ने आपत्ति के बाद भी काट दी चेशायर होम रोड की जमीन की रसीद, कहा-जो सही लगा किया, दिक्कत है तो आगे बढ़िये
दोषी पाए जाने पर पांच साल की होगी सजा
उन्होंने बताया कि वाटर एंड एयर पॉल्युशन एक्ट के तहत इसके दोषी पाए जाने वाले लोगों को पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है, जुर्माना नहीं भरने की स्थिति में सजा 5 साल से बढ़कर 7 साल हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस एक्ट के दायरे में 35 सीटर होटल, 1 कमरे का भी रेसिडेंशियल होटल, 10 गुना 10 वर्गफीट का मैरेज या बैंक्वेट हॉल आते हैं. उन्होंने बताया कि इनके द्वारा पॉल्यूटेड वाटर, चूल्हा जलाने, डीजी सेट के इस्तेमाल करने, वेस्टेज खाद्य पदार्थों का जेनरेशन होता है जो वाटर और एयर पॉल्युशन के दायरे में आता है. अतः इन्हें प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की स्थापना समिति को आवेदन देकर प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य किया गया है.
इसे भी पढ़ें :हरियाणा : करनाल में राइस मिल की तीन मंजिला इमारत ढही, 4 मजदूरों की मौत, 20 घायल
[wpse_comments_template]