Adityapur (Sanjeev Mehta) : जमशेदपुर विद्युत एरिया बोर्ड के अंतर्गत पड़ने वाले कोल्हान के तीनों जिले में एक लाख छह हजार उपभोक्ताओं के साथ जेबीवीएनएल का बिजली के बिल का विवाद वर्षों से लंबित है. इस विवाद में जेबीवीएनएल का करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये फंसा हुआ है. इस विवाद को निपटाने और बकाया वसूलने के लिए जेबीवीएनएल ने झारखंड सरकार के साथ मिलकर वन टाइम सेटलमेंट योजना लाई है, लेकिन इस योजना में भी विवादित बकायेदार उपभोक्ता विवाद सुलझाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. जानकारी देते हुए विद्युत महाप्रबंधक श्रवण कुमार ने बताया कि अब तक महज करीब 7 हजार उपभोक्ताओं ने ही इस योजना में रुचि दिखाई है और आवेदन किया है. इस स्कीम में आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 जून तक ही निर्धारित है. बता दें कि पहली बार जेबीवीएनएल ग्रामीण उपभोक्ताओं के साथ शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लाई है. इसमें आवेदन कर वे समझौता कर विवाद को समाप्त कर सकते हैं. यह वन टाइम सेटलमेंट स्कीम एक मार्च से प्रभावी है.
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बता दें कि फरवरी में ही झारखंड सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में जेबीवीएनएल के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जो कि बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देने के उद्देश्य से प्रस्तावित था. इसमें ग्रामीण के साथ शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को मंजूरी दी गई थी. प्रस्ताव को मिली मंजूरी से सरकार ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के ग्रामीण घरेलू और शहरी घरेलू उपभोक्ताओं (5 किलोवाट तक) के साथ (सिंचाई और कृषि सेवा-आईएएस-I निजी) को भी राहत प्रदान करते हुए “वन टाइम सेटलमेंट” योजना में शामिल किया है. इससे अब डीपीएस में 31.12.2022 तक की बकाया राशि के एवज में राहत दिया जा रहा है. जीएम ने बताया कि ओटीएस योजना के तहत ग्रामीण घरेलू और शहरी घरेलू उपभोक्ता (5 किलोवाट तक) और आईएएस-I (निजी) (सिंचाई और कृषि सेवाएं) के उपभोक्ता को बकाया बिल जमा करने पर कुल डीपीएस माफ किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि यह योजना किसी भी प्राथमिकी/जुर्माने की राशि के मामले में लागू नहीं होगी. विवादित बिलों के निपटारे के मामले में विवाद की तारीख से 31.12.2022 (नवंबर 2022 के लिए बिल) तक डीपीएस राशि की छूट पर विचार किया जाएगा. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ता को एक अंडरटेकिंग शपथ पत्र देना होगा, जिसमें उल्लेख होगा कि सभी कानूनी मामले लंबित हैं, को किसी भी न्यायालय/मंच के समक्ष बिना शर्त वापस ले लिया जाएगा. यदि यह पाया जाता है कि उपभोक्ता ने दिए गए हलफनामे में कोई गलत जानकारी दी है तो ओटीएस योजना वापस ले ली जाएगी और उपभोक्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. विवादित बिलों के निपटान के मामले में, यदि यह पाया जाता है कि उपभोक्ता द्वारा अधिक/कम राशि का भुगतान किया गया है, तो इसे निगम के मानदंडों के अनुसार भविष्य के बिलों में समायोजित किया जाएगा. 31.12.2022 के बाद बकाया राशि पर डीपीएस माफ नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस स्कीम में शहरी उपभोक्ता दिलचस्पी नहीं दिखाना चिंतनीय है.