Adityapur (Sanjeev Mehta) : झारखंड सरकार द्वारा किए गए 20 जून को कैबिनेट बैठक में पुनर्वास नीति पर विचार नहीं होने से विस्थापितों में मायूसी छा गई है. क्योंकि, 31 मार्च 2022 के बाद से सुवर्णरेखा परियोजना में घर-बार व कृषि योग्य जमीन गंवा चुके विस्थापितों के लिए उनके जमीन का मुआवजा, विकास पुस्तिका आदि बनने बंद हो चुके हैं. उल्लेखनीय है कि चांडिल डैम में कुल 116 गांव पूरी तरह से डूब गए हैं.
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पुनर्वास नीति के एक्सपायर होने से डैम की जलधारण योजना अटकी
वहीं, 116 गांव में से अब तक 43 गांव के लोगों को ही पुनर्वास नीति के तहत विकास पुस्तिका बनाकर मुआवजा आदि मिल पाया है. वहीं, बाकी के 73 गांव के लोग अब भी मुआवजे से वंचित हैं. इधर, परियोजना के अधिकारियों ने एक लक्ष्य बनाकर विस्थापितों को जल्द से जल्द मुआवजा देकर उन्हें पुनर्वासित कर डैम की जलधारण क्षमता बढ़ाने की जो योजना बनाई थी, वह भी पुनर्वास नीति के एक्सपायर होने से अटक गई है.
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तत्कालीन सरकार ने किया था पुनर्वास नीति में पांच साल का विस्तार
विदित हो कि 2012 में पांच साल के लिए तत्कालीन सरकार ने राज्य की पुनर्वास नीति बनाई थी. जो 2017 में एक्सपायर हो गई थी, लेकिन परियोजना का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए रघुवर दास सरकार ने पुनर्वास नीति को पांच साल का विस्तार दिया था. इससे तेजी से कार्य हुए और 43 गांव को पूरी तरह से खाली कराने की योजना बनाया गया. साथ ही विकास पुस्तिका बनाकर सभी तरह का मुआवजा देते हुए पुनर्वास स्थल पर उन्हें बसाने का कार्य किया गया. हालांकि, अब भी परियोजना के उद्देश्य अधूरे हैं, जिसे पूरा करने के लिए पुनर्वास नीति को विस्तार देने की आवश्यकता है. लेकिन वर्तमान सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले रही है, लिहाजा परियोजना के विस्थापन और पुनर्वासित करने के कार्य ठप हो चुके हैं.
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विस्थापितों के साथ परियोजना के कार्य भी थमे : अपर निदेशक
सुवर्णरेखा परियोजना की अपर निदेशक रंजना मिश्रा ने बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि सोमवार की कैबिनेट बैठक में पुनर्वास नीति को विस्तार मिलेगा. जिससे परियोजना के अधूरे कार्य शुरू होंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इससे विस्थापितों के साथ परियोजना के कार्य भी थम गए हैं. डैम की जलधारण क्षमता बढ़ाने के लिए कम से कम 83 गांव को खाली कराना जरूरी है. वहां के ग्रामीणों को विकास पुस्तिका बनाकर उन्हें सभी प्रकार का मुआवजा देने की योजना फिलहाल थम सी गई है.
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