NewDelhi : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर सुर्खियों में है. जेएनयू सुर्खियों में नये विवाद के कारण है. खबर है कि सेंटर फॉर वूमंस स्टडीज के बैनर तले यहां 29 अक्टूबर को एक वेबिनार का आयोजन किया गया था. कश्मीर पर आधारित इस कार्यक्रम में कश्मीर को Indian occupation in Kashmir (कश्मीर में भारत का कब्जा ) के रूप में संबोधित किया गया. इस कार्यक्रम की आहट मिलते ही एबीवीपी के छात्रों ने हल्ला बोल दिया. एबीवीपी इस मामले में आयोजनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है.
प्रशासन से इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली गयी थी
जब इस कार्यक्रम और उसके विषय की जानकारी जेएनयू प्रशासन को लगी, तो बिना देर किये इस वेबिनार को शुरू होने से पहले ही रद्द कर दिया गया. बता दें कि प्रशासन ने इसके जांच के आदेश भी दे दिये हैं. जेएनयू प्रशासन ने वेबिनार को रद्द करते हुए नोटिस जारी करके कहा कि प्रशासन से इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली गयी थी. इसमें Indian occupation in Kashmir जो शब्द लिखा गया है वह बेहद आपत्तिजनक है और प्रशासन इसकी निंदा करता है.
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त्रिपुरा हिंसा को लेकर लेफ्ट समर्थकों का मार्च
खबर है कि जेएनयूएसयू और लेफ्ट समर्थक छात्रों द्वारा त्रिपुरा हिंसा को लेकर रात में एक मार्च निकाला गया. लेफ्ट छात्रों का आरोप है कि त्रिपुरा में मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ वहां की सरकार और कई संस्थाएं अत्याचार कर रही हैं. छात्रों ने डफली और नारेबाजी के साथ प्रोटेस्ट मार्च गंगा ढाबा से निकला और पूरे कैंपस में घूमा, प्रदर्शन की अगुआई जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइसी घोष ने की.
दूसरी ओर एबीवीपी के छात्रों ने सेंटर फॉर वूमंस स्टडीज द्वारा आयोजित कार्यक्रम का विरोध किया. एबीवीपी के छात्रों ने कार्यक्रम के नोटिस की प्रतियों को जलाकर अपना विरोध दर्ज किया. एबीवीपी ने कहा कि नोटिस में लिखा जाने वाला शब्द, राष्ट्र विरोधी है और इसके खिलाफ ना सिर्फ प्रशासनिक बल्कि कानूनी कार्रवाई भी करनी चाहिए.
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