- जिस कमरे में श्रद्धा के कटे हुए अंग थे, उसी में सोता था आफताब
- जिस फ्रिज में कटे हुए अंग थे, उसी फ्रिज से वह दूध निकाल कर चाय बनाता था
- किसी को शक न हो, इसलिए घर में खास किस्म का स्प्रे और अगरबत्ती जलाया करता था
- गूगल पर सर्च करता था कि खून के धब्बे कैसे मिटाएं
Anand Singh
New Delhi: क्या कोई सामान्य आदमी ऐसा कर सकता है? क्या कोई सामान्य आदमी किसी का कत्ल करके, उसके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े करके फ्रिज में रख सकता है? क्या कोई सामान्य आदमी अपनी प्रेमिका का कटा हुआ चेहरा घंटों निहारा सकता है? क्या कोई सामान्य आदमी उसी फ्रिज में से दूध निकालकर चाय बना सकता है, जिसमें उसकी माशूका की कटी हुई डेड बॉडी रखी हो? क्या कोई सामान्य आदमी उसी बेड पर सो सकता है, जिस कमरे में फ्रिज में कटी हुई डेड बॉडी रखी हो? एक लाइन में कहें तो हां. क्योंकि आफताब ने यह सब कुछ किया है. उसके जेहन में कोई शर्म, अफसोस या डर का भाव नहीं था. उसने पुलिस को बताया है कि उसने श्रद्धा का मर्डर बहुत सोच-समझ कर किया था. उसे कोई फछतावा नहीं था. उसने यह नहीं बताया कि आखिरकार उसने श्रद्धा को क्यों मारा ?
दरअसल, अब मनोवैज्ञानिक भी इस केस को रूचि लेकर देखने लगे हैं. वो इस दुर्लभतम किस्म के केस को हर कोने से जांच-परख रहे हैं. वो समझना चाह रहे हैं कि आदमी के मन की वह कौन सी अवस्था है, जिसमें आकर अपनी प्रेमिका का कुछ इस कदर कत्ल किया जाता है. किसी को इस बात का जवाब नहीं मिला है कि गला दबाकर मार देने से शुरू हुआ यह हत्या का सिलसिला कैसे एक-एक करके डेड बॉडी को 35 टुकड़ों तक करने के लिए प्रेरित करता रहा?
आम तौर पर होता यह है या सामान्य मनोविज्ञान है कि जिस घर में किसी की डेड बॉडी रखी होती है, वहां लोग नहीं जाते हैं. या जाते भी हैं तो एक डिस्टेंस मेंटेन करते हैं. नैचुरली, वह एक सामान्य मौत होती है. अन्यथा, दूसरे केस में (मर्डर, एक्सीडेंट) लोग घर में डेडबॉडी रखते ही नहीं. डेड बॉडी को जल्द से जल्द अपने-अपने विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. यह एक दुर्लभ केस है, जिसमें आफताब अपनी माशूका की हत्या करने के बाद भी उसी कमरे में रहता है, उसी में खाता-पीता सोता है, उसी फ्रिज को खोल कर श्रद्धा का कटा हुआ सिर-चेहरा निहारता है और उसकी सेहत पर कोई असर नहीं होता. मनोवैज्ञानिक दंग हैं. पुलिस वाले भी अचंभित हैं. दिल्ली के एक इंस्पेक्टर का कहना थाः ऐसा मर्डर मिस्ट्री पहली बार देख रहा हूं. समझ में नहीं आता कि आफताब इंसान है या रोबोट. उसकी हरकतें उसे कहीं से भी इंसान कहलाने योग्य नहीं हैं. यह तो बड़े-बड़े जल्लादों के लिए बेहद मुश्किल कार्य है कि वह कटे हुए सिर को रोज निहारे और बॉडी पार्ट्स को एक-एक कर ठिकाने लगाये.
दिल्ली पुलिस इस पहलू की जांच कर रही है क्या आफताब ने कत्ल की साजिश बनाने के बाद उसे अंजाम देने के लिए दिल्ली के छतरपुर इलाके में मकान किराये पर लिया था? पुलिस कहती है कि आफताब एक फूड ब्लॉगर भी रहा है, जो दिल्ली में एक कॉल सेंटर में काम किया करता था. उसके 28000 फॉलोवर हैं. हाल के दिनों में उसने कोई वीडियो अपलोड नहीं किया था. कहा जा रहा है कि जब श्रद्धा जीवित थी, तब आफताब और श्रद्धा अलग-अलग जगहों पर घूमने जाया करते थे. मार्च-अप्रैल में वे हिल स्टेशनों पर गए थे. मई में वे हिमाचल प्रदेश गए थे, जहां उनकी मुलाकात दिल्ली के छतरपुर में रहने वाले एक शख्स से हुई. दिल्ली आने के बाद वे दोनों पहले उसी शख्स के घर पर रहे. बाद में आफताब ने छतरपुर में ही मकान किराये पर ले लिया. वह श्रद्धा के साथ वहीं शिफ्ट कर गया. पुलिस इस बिंदु पर भी काम कर रही है कि क्या आफताब ने पहले से ही श्रद्धा के कत्ल की साजिश रच रखी थी और उसी लिहाज से इस फ्लैट को किराये पर लिया था.
पुलिस का कहना है कि आफताब, श्रद्धा की हत्या के बाद शाम में 6 से 7 बजे के बीच घर आया करता था. वह सीधे फ्रिज तक जाता था और उसमें रखे श्रद्धा के शव के कई टुकड़ों में से एक को उठाता था और पॉलीथिन में लपेट कर या काली फॉयल में लपेटकर ले जाया करता था. किसी को उस पर शक न हो, इसलिए शरीर का टुकड़ा वह जंगल में फॉयल से निकालकर फेंका करता था. कभी भी उसने शरीर का टुकड़ा फॉयल समेत नहीं फेंका.
यह भी पता चला है कि उसने श्रद्धा की हत्या करने के बाद खून साफ करने के लिए गूगल का सहारा लिया था. उसने पढ़ा था कि किस केमिकल से खून कैसे साफ होता है. गूगल पर सर्च करके ही उसने दुर्गंध दूर करने के लिए कुछ खास किस्म के स्प्रे और अगरबत्तियों का इस्तेमाल किया था. खून साफ करने के बाद उसने जिन कपड़ों का इस्तेमाल किया था, उसे बेहद करीने से ठिकाने भी लगाता जाता था.
दक्षिण दिल्ली जिले के अतिरिक्त डीसीपी अंकित चौहान ने बतायाः दोनों (आफताब और श्रद्धा) एक डेटिंग ऐप के जरिये मुंबई में मिले थे. तीन साल से वे लिव-इन में थे. दिल्ली आने के तुरंत बाद ही श्रद्धा ने आफताब पर शादी के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था. शादी को लेकर दोनों का अक्सर झगड़ा होता था, झगड़ा काबू से बाहर चला जाया करता था. 18 मई को हुई घटना के दौरान आफताब आपा खो बैठा और उसने श्रद्धा का गला दबा दिया. आरोपी ने हमें बताया कि उसने शव के छोटे-छोटे टुकड़े किए और पास ही मौजूद छतरपुर एन्क्लेव के जंगल वाले इलाके में उन्हें ठिकाने लगाया.
पुलिस बहुत जोर देकर यह बताती है कि आफताब का रिश्ता पहले भी अनेक लड़कियों से रहा था. श्रद्धा कोई पहली लड़की नहीं थी, जिसके साथ वह लिव इन में था. वह पहले भी कई लड़कियों के साथ लिव इन में रह चुका था. इस जुर्म को अंजाम देने से पहले आफताब ने कई अपराध-संबंधी फिल्में और वेबसीरीज देखी थीं, जिनमें अमेरिकी क्राइम ड्रामा सीरीज डेक्सटर भी शामिल थी.