Nitesh Ojha
Ranchi : विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोड़ दूसरे दलों से चुनाव लड़ चुके सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू की कांग्रेस में वापसी हो गयी है. प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय की मौजूदगी में दोनों नेताओं ने पार्टी की सदस्यता ली और अपनी गलती स्वीकारी. दोनों ने दावा किया कि उनके डीएनए में कांग्रेस है. दोनों नेताओं की घर वापसी से कांग्रेस के अधिकांश कार्यकर्ताओं में खुशी है. वहीं, एक खेमा इससे नाराज भी है. तय है कि दोनों की घर वापसी से झारखंड कांग्रेस का समीकरण बदलेगा. इस बदलाव में समीकरण का केंद्र बिंदु होगा लोहरदगा और घाटशिला क्षेत्र.
डॉ उरांव से विवाद के बाद ही सुखदेव भगत ने छोड़ी थी पार्टी
लोहरदगा क्षेत्र की बात करें, तो यहां पर कांग्रेस की राजनीति डॉ रामेश्वर उरांव (वर्तमान में कांग्रेस कोटे के मंत्री) और सुखदेव भगत के इर्द-गिर्द आकर ठहरती है. डॉ उरांव से चल रहे मनमुटाव के बाद सुखदेव भगत ने पार्टी छोड़ी थी. उस समय सुखदेव भगत यहां से कांग्रेसी विधायक थे. उनके पार्टी छोड़ने के बाद ही डॉ रामेश्वर उरांव का लोहरदगा विधानसभा से टिकट पक्का हुआ था. अभी वे यहां से विधायक हैं. 2024 में अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो उनका टिकट पक्का माना जाएगा. चर्चा तो यह भी है कि डॉ उरांव अपने बेटे को इसी सीट से विधायक बनाना चाहते हैं. वहीं, सुखदेव भगत अपने बेटे के लिए टिकट की कोशिश करेंगे. तय है कि इस सीट से दोनों दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के बीच तकराक भविष्य में देखने को मिलेगी.
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लोहरदगा संसदीय सीट पर दोनों नेता आजमा सकते हैं भविष्य
इसी तरह लोहरदगा संसदीय सीट को लेकर भी विवाद दिख सकता है. दोनों नेताओं में से किसी एक के बेटे को लोहरदगा विधानसभा का टिकट मिलता है, तो दूसरे नेता संसदीय क्षेत्र के लिए टिकट की मांग करेंगे. सुखदेव भगत और डॉ रामेश्वर उरांव जो वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं. अपना भविष्य इस सीट से जरूर आजमाना चाहेंगे. यानी विधानसभा के साथ संसदीय सीट को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच अनबन दिख सकती है.
एक तरफ डॉ उरांव और धीरज साहू, तो दूसरी तरफ सुखदेव भगत
लोहरदगा सीट इस लिए हॉट माना जा रहा है कि क्योंकि डॉ. रामेश्वर उरांव के अलावा कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू का भी यह गृह क्षेत्र है. डॉ. उरांव और साहू के सुखदेव भगत से छत्तीस के रिश्ते हैं. दोनों प्रभावी भूमिका में भी हैं. माना जाता है कि इन्हीं दोनों नेताओं के कारण सुखदेव भगत की कांग्रेस में वापसी नहीं हो पायी थी. अब चूंकि सुखदेव भगत कांग्रेस में हैं, तो दोनों गुटों में लड़ाई देखने को मिल सकती है.
घाटशिला को लेकर कांग्रेस और जेएमएम के बीच दिख सकती है अनबन
पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला की बात करें तो 2024 के चुनाव में कांग्रेस और जेएमएम के बीच इस सीट को लेकर अनबन जरूर दिखेगी. 2019 के चुनाव में प्रदीप बलमुचू ने कांग्रेस पार्टी इसी सीट के लिए छोड़ी थी. वे इस सीट से अपनी बेटी को लड़ाना चाह रहे थे. लेकिन गठबंधन के तहत घाटशिला सीट जेएमएम के खाते में चली गयी. जेएमएम कोटे से अभी यहां रामदास सोरेन विधायक हैं.
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