Rohtak : सरकार की अग्निपथ योजना की घोषणा ने निराश होकर 5 साल से सेना में भर्ती की तैयारी कर रहा जींद का रहने वाला 23 वर्षीय सचिन लाठर ने गुरुवार को खुदकुशी कर ली. जानकारी के अनुसार, रिटायर्ड आर्मी के बेटे ने अपने पिता की तरह ही आर्मी में जाने का सपना सजा लिया था. जींद से रोहतक तकरीबन 3 साल पहले सचिन यही ख्वाब लेकर आया था कि अपना कतरा-कतरा वो भी देश के नाम कर देगा. उसके इसी कुछ कर दिखाने के जज्बे और हौसले ने आज उसकी जान ले ली. देव कॉलोनी के पीजी में सचिन ने फांसी का फंदा लगा लिया. जब सुबह दोस्त उसे प्रैक्टिस के लिए जगाने आए तो उन्हें पता लगा कि अब सचिन कभी प्रैक्टिस पर नहीं जा पाएगा. जींद के लजवाना कलां के रहने वाले सचिन के पिता सत्यपाल इसमें किसी को दोषी नहीं मानते. उनका कहना है कि वो भी सेना से जवान के पद से रिटायर्ड हैं. बस उनके बेटे का टाइम आ गया था.
परिवार और दोस्तों में गम का माहौल
6 भाई-बहनों में सचिन सबसे छोटा था. उसकी मां नहीं थी. पिता बतौर सैनिक रिटायर्ड हुए थे. सबसे हंस खेल कर बात करने वाला सचिन किसने सोचा था कि वह ऐसा कदम उठाने को मजबूर हो जाएगा. मौसी अपने आंसू नहीं रोक पा रही थी. सचिन की मौत पर विलाप करते हुए मौसी ने बताया कि रोहतक की देव कॉलोनी पीजी में उनका भांजा रह रहा था. उसकी तो भर्ती भी क्लियर थी, फिर क्यों उसने ऐसा खौफनाक कदम उठा लिया. परिवारजनों के अलावा दोस्त अपने आप को संभाल नहीं पा रहे थे. अकादमी से लेकर प्रैक्टिस पर सचिन के साथ हर जगह साथ जाने वाले दोस्तों को आज उसका गंभीर और शांत चेहरा रास नहीं आ रहा था. दोस्तों का कहना था कि सचिन मेहनती तो था ही, साथ में नटखट भी था.
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भाई ने बताया – 4 साल बाद क्या करेगा युवा?
सचिन के भाई ने बताया कि गोवा की भर्ती में उसने मेडिकल और फिजिकल दोनों क्लियर कर रखे थे. इंतजार था तो बस अब इंटरव्यू और सिलेक्शन का. नौजवान आर्मी की भर्ती को लेकर इतने आवेशित रहते हैं कि उन्हें सिलेक्शन के आलावा कुछ नहीं दिखाई देता. ऐसा खौफजदा कदम उठाने से पहले कम से कम उन्हें अपने परिवार का तो सोचना चाहिए. अग्निपथ योजना के जरिए मात्र 4 साल के लिए वो सेना में भर्ती नहीं होना चाहता था. आखिर उन 4 साल बीत जाने के बाद युवा क्या करेंगे. क्या किसी ने सोचा की जिन 75% युवाओं को निष्कासित कर दिया जाएगा. उनके मनोबल पर क्या असर पड़ेगा.
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